Tuesday, May 18, 2021

सामाजिक परिक्षेत्र क्या है What is Social enclosure | Indian Economy

सामाजिक परिक्षेत्र और निर्धनता अंतर्संबधित हैं। इसमें सम्मिलित हैं- गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग तथा जनसंख्या का वह भाग जो विकास की मुख्यधारा से अछूता है; जैसे कि सुविधाहीन लोग, पिछड़ी जातियाँ, अनुसूचित जातियाँ और कबीलों में रहने वाले लोग। इस जनसंख्या में भूमिहीन, छोटा और सीमांत किसान जोकि अनौपचारिक क्षेत्र में नित्य मजदूरी कर रोज-दर-रोज जीविकोपार्जन कर रहा है, शामिल है। यह निर्धन समाज का सबसे असुरक्षित वर्ग है, जिसका शोषण होता है, इनके ऊपर नियम थोपे जाते हैं और इनकी आवाज की कहीं सुनवाई नहीं होती है। इन्हें "मूक-सहनशील" और दर्शक-मात्र जैसे नामों से भी जाना जाता है। इनकी दयानीय अवस्था इस बात से अनजान है कि आज भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़नेवाली अर्थव्यवस्था है। 

हम पिछली Posts  देख चुके हैं कि निर्धनता की आज तक यथावत् स्थिति क्यों हैं। प्रश्न यह है कि अभी तक सरकारों ने इस संबंध में क्या कुछ किया है? सरकार ने इस दिशा में त्रिफलक रणनीति बनाकर सामाजिक परिक्षेत्र को इस प्रकार संबोधित किया है -

1.  वृहद् आधार पर लक्ष्य निर्धारण 

2. संकुचित आधार पर लक्ष्य निर्धारण 

3. सामाजिक सुरक्षा 

1. वृहद् आधार पर लक्ष्य निर्धारण (Broad Targetting) 

इसके अंतर्गत सरकार ने दो महत्त्वाकांक्षी योजनाएँ तैयार की हैं। पहली योजना है, भारत-निर्माण (2005-2010) जिसके अंतर्गत निम्नलिखित छह उप-कार्य योजनाएँ हैं -

(i)  इंदिरा आवास योजना गरीबों के लिए 6 मिलियन घरों का निर्माण। 

(ii) सर्व शिक्षा अभियान 6-14 वर्ष की आयु समूह के सभी बच्चों का स्कूल में दाखिला। 

(iii) मध्याह्न भोजन योजना 

(iv) महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) 

(v) संपूर्ण स्वच्छता अभियान (Total Sanitation Campaign) (TSC) 

(vi) जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन (JNURM) 

(vii) एकीकृत बाल विकास और सेवाएं (ICDS) 

(viii) राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) 

(ix) राजीव गाँधी पेय-जल योजना (RGNDWM) 


उपरोक्त सभी योजनाओं में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, सरकार की सबसे महत्त्वाकांक्षी योजना है और इतने बड़े स्तर का क्रियान्वयन दुनिया में और कहीं नहीं दिखाई देता। यह योजना बेल्जियम के अर्थशास्त्री जीन ड्रेज के दिमाग की उपज है। यह योजना देश में अधिनियमित कर दी गयी है और इसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के हर परिवार के एक सदस्य को (अकुशल श्रमिक को) 100 दिन काम, न्यूनतम मजदूरी दर पर मिलने की गारंटी है। इस योजना के अंतर्गत 100 दिन रोजगार का आशय यह है कि कृषि कार्य से बचे समय का उपयोग हो सके। इस समय इस योजना का क्रियान्वयन देश के सभी जिलों में किया जा रहा है और साथ ही इसे रोजगार के अवसर पैदा करने और गरीबी उन्मूलन की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम माना जा रहा है। योजना के अंतर्गत महिलाओं को मजदूरी देने में प्राथमिकता दी जाती है और बगैर किसी बिचौलिये या ठेकेदार के सीधे ग्राम पंचायतों के माध्यम से क्रियान्वयन होता है। इसमें मजदूरी सीधे श्रमिक के बैंक खाते में भेजी जाती है। राज्य सरकारें, किसी श्रमिक के पंजीकरण के बाद यदि 15 दिन के अंदर रोजगार नहीं दे सकती, उस स्थिति में निर्धारित मजदूरी का एक-तिहाई बेरोजगारी भत्ते के रूप में प्रभावित व्यक्ति को देगी। इस योजना को पूरे विश्व में सराहा गया है और सामाजिक क्षेत्र में सुधार के लिए सबसे अच्छे इरादे वाली योजना कहा गया है। 

फिर भी इस योजना के आलोचकों का मत है कि दीर्घकाल में ऐसी योजनाएं नुकसानदायक हो सकती हैं क्योंकि कृषि क्षेत्र और शहरों में न्यूनतम मजदूरी की दर बढ़ जायेगी, उत्पादन लागत पर असर पड़ेगा और श्रमिकों का देशांतर (migration) प्रभावित होने के साथ ही मुद्रास्फीति को भी बढ़ावा मिलेगा। 


2. संकुचित आधार पर लक्ष्य निर्धारण (Narrow Targetting) 

सरकार द्वारा सूक्ष्म आधार पर लक्ष्य निर्धारण इस प्रकार है -

(i) मजदूरी रोजगार योजना - मूलतः मनरेगा। 

(ii) स्व रोजगार योजना - मूलतः ग्रामीण क्षेत्रों में स्वर्ण जयंती ग्रामीण स्व रोजगार योजना (SGSY) और शहरी क्षेत्रों में स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (SJSRY) के माध्यम से। 

(iii) खाद्य सुरक्षा - मुख्य तौर पर TPDS और AAY, और वरिष्ठ नागरिकों के लिए अन्नपूर्णा योजना

(iv) पं. दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY) 

(v) दीन दयाल अंत्योदय योजना (DAY) 

(vi) राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM) आदि। 


3. सामाजिक सुरक्षा (Social Security) 

सरकार निम्नलिखित कार्यक्रमों के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर रही है- 

जिस योजना के बारे में आपको संक्षेप में पढना है उस योजना पर क्लिक करे |

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