भारत तथा यूरोप के बीच व्यापारिक संबंधों को प्रोत्साहित करने वाले कार/Factors encouraging trade relations between India and Europe
1. धर्म युद्ध तथा कास्ट तूने दुनिया का पतन - 1453 कष्टों दुनिया के पतन के साथ भूमध्यसागरीय क्षेत्र से होकर भारत तथा यूरोप के बीच व्यापारिक मार्ग अवरुद्ध हो गया इसका स्वाभाविक परिणाम था पूरब के मसाले व्यापार पार इटालियन नगर राज्यों के व्यापारियों का एक अधिकार
2. भौगोलिक अन्वेषण तथा नई दुनिया की खोज - पुर्तगाल तथा स्पेन के द्वारा नई दुनिया की खोज के लिए पहल की गई उन्हें पोप का भी समर्थन प्राप्त हुआ इसी क्रम में स्पेनिश नाविक कोलंबस/Columbus ने America की खोज की एक Portuguese नागरिक Bartholomew Diaz न कैप ऑफ़ गुड होप/Cap of good hope का पता लगाया फिर आगे वास्कोडिगामा/Vasco Da Gama ने भारत की खोज की इस प्रकार 1 व्यापक व्यापारिक संरचना क़ायम हुई जो पश्चिम में अमेरिका से लेकर पूर्व में चीन/China तथा दक्षिणी न्यू एशिया/South New Asia तक फैल गई तथा आगे अमेरिका से प्राप्त क़ीमती धातुओं के कारण ही यूरोपीय कंपनियों के द्वारा एशियाई व्यापार का संचालन संभव हो सका
3. वैकल्पिक मार्ग की खोज के परिणामस्वरूप भारत तथा यूरोप के बीच सीधा सामुद्रिक संबंध क़ायम हो गया अतः उचित यातायात साधनों की कमी से उत्पन्न वह तकनीकी बाधा समाप्त हो गई जो लाल सागर के मार्ग से व्यापार ने क़ायम की
4. इस कालइस काल में नौ परिवहन में नवीन तकनीकी के विकास के कारण नौपरिवहन गतिविधियों में कि मिटा आयी उदाहरण के लिए भी एस्ट्रो लैब दिशा सूचक यंत्र आदि
5. सबसे बढ़कर इस काल में यूरोपीय अर्थव्यवस्था का प्रचार हुआ था यूरोप में पूरब से आने वाली वस्तुओं की माँग बढ़ गई
पुर्तगीज़ कंपनी - वास्कोडिगामा ने जब मालाबार तट पर लँगर डाला तो अरब व्यापारियों के द्वारा पुर्तगीजो का विरोध किया गया किन्तु कालीकर के शासक जमोरिन ने पुर्तगीज़ व्यापारियों को संरक्षण दिया जब वास्कोडिगामा अपने जहाज़ों में मसाले लेकर लौटा तो ये मसाले यूरोप में 60 गुणा अधिक दाम में बिकी इस तथ्य ने पूर्वी मसाले व्यापार के आर्थिक महत्व को उजागर कर दिया डि अलमिड़ा के अधीन भारत में पुर्तगीज़ गवर्नर का पदस्थापित किया गया डी अलमेडा के काल में पुर्तगीज जो का संघर्ष और मूँछ के अक्षित पर क़ब्ज़ा करने के लिए मुस्लिम सबकी ओर से ही हुआ अंतिम में 15 सौ9 में पुर्तगीज हीहीरो मुझ पर क़ब्ज़ा करने में सफल रहे दी अलमीडा के उत्तराधिकारी बाख नेदस में बीजापुर सेगोवा के अक्षित छीन लिया इस प्रकार उसने पुर्तगीज राज्य की आधारशिला रखी फिर पुर्तगाली जॉन ने भारतीय उप महाद्वीप के अन्य क्षेत्रों में भी उन्होंने अपनी फैक्ट्रियां स्थापित की उनका मुख्य उद्देश्य था पूर्व के मसाले व्यापार पर एकाधिकार स्थापित करना पड़ता है उन्होंने दक्षिणी न्यू एशिया की और भी क़दम बढ़ाया तथा इंडोनेशिया में भी अपने किलाबंदी फ़ैक्ट्री की स्थापना की इस प्रकार उन्होंने पश्चिम में हो और मुझ से पूर्व में मतलब का तक दक्षिण में हिन्द महासागर तक अपना वर्चवर्चस्व स्थापित किया पुर्तगीज़ साम्राज्य को इत्ता दो दा इंडिया कहा जाता था
पुर्तगीज जॉन ने एशिया में प्रचलित खुले समुद्र की नीति को धक्का पहुंचाया तथा समुद्रीय गतिविधियों पर पूरा नियंत्रण स्थापित करने का प्रयत्न किया पुर्तगीज़ व्यापारियों ने मसाले घोड़ी गोला बारूद तथा कुछ अन्य सामग्रियों के व्यापार पर एकाधिकार स्थापित करने का प्रयत्न की आप सब से बढ़कर उन्होंने कार बोझ पद्धति की शुरुआत की यह एक प्रकार का प्रपत्र परमिट होता है जो भारतीय व्यापारी पुर्तगीज जो से प्राप्त करती थी तभी वे अपनी चाहत समुद्र में ले जा सकती थी ना था उनके जहाज़ को युद्ध का माल समझ कर लूट लिया जाता फिर पूर्ति की जो ने भारत में धार्मिक कट्टरता भी दिखाई तथा लोगों को ज़ज़बरन ईसाई धर्म में धर्मांतरण करने का प्रयास किया इसके अतिरिक्त पुर्तगीज उन्हें व्यापार के साथ लूटमार की नीति जारी रखी पता है पुर्तगीज जो के विरुद्ध विरोध बढ़ता गया
पुस्तक की जो का व्यापारिक एकाधिकार तब टूटा जब सत्रहवीं सदी के आरंभ में ब्रिटिश कंपनी का आगमन हुआ 10 तथा ब्रिटिश कंपनी अपने स्वरूप में भी पुर्तगीज़ कंपनी से अलग थी पुर्तगीज़ कंपनी जहाँ राजकीय एक अधिकार में काम करती थीं वहीं उच्च और ब्रिटिश कंपनी संयुक्त उद्यम कम्पनी थी जिन्हें हम वर्तमान की बहू GIC कंपनी का पूर्व आज मान सकते हैं फिर भी इन कंपनियों को अपनी सरकार का समर्थन प्राप्त था सरकार से ही इन्हें व्यापारिक एकाधिकार का चार्टर मिला था तथा आवश्यकता पढ़ने पर उन्हें अपनी सरकार से नौसेना नौसैनिक समर्थन भी प्राप्त होता आरंआरंभ में डच कंपनी की तरह ब्रिटिश कंपनी भी पूर्व के मसाले व्यापार पर एकाधिकार स्थापित करने के लिए प्रयासरत थी यही वजह है कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की पहली यात्रा दक्षिण न्यून्यू एशिया के लिए हुई थी न कि भारत के लिए 10 तथा ब्रिटिश कंपनी ने पुर्तगीज़ कंपनी को अधिकांश भूभाग से वंचित कर दिया पुर्तगीज जॉनी और मुझ से तो बेटी के हाथों गंवा दिया तो मतलब पक्का कहा अब क्षेत्र बच्चों के हाथों और फिर अंत में पुर्तगीज भारत में गोवा दमन एवं दीव में सिमट कर रह गई जहाँ से स्वतंत्र भारत की सरकार के द्वारा61 में वेवे भारत से गए
वस्तुत आया ब्रिटिश की उपलब्धिउपलब्धियों में शायद ही कोई उपलब्धि इतनी अंत इच्छुक और आपका स्मिथ ही जितनी भारत की विजय उपयोग दृष्टिकोण आधुनिक भारत के इतिहास लेखन में साम्राज्यवादी दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करता है वहीं एक दूसरे विचार के अनुसार कंपनी ने अपनी स्थापना के काल से ही भारत विजय की महत्वाकांक्षी योजना बना रखी थी जब 80 अंअंग्रेज़ 1599 मैंमैं लंदन में एक संयुक्त उद्यम कम्पनी की स्थापना के लिए एक मित्र हुए तभी उन्होंने भारत में राम के लक्ष्य को निर्धारित किया था और फिर एक बाद दूसरी सफलता प्राप्त करते हुए उन्होने इस लक्ष्य को प्राप्त कर लिया किन्तु सूक्ष्म परीक्षण के पश्चात हमें यह ज्ञात होता है कि वास्तविक तथा उपरोक्त दोनों अतिवादी विचारों के मध्य में ही ढूंढा जा सकता है
यह सही है कि आराम में ब्रिटिश कंपनी का लक्ष्य पूरा के मसाले व्यापार पर एकाधिकार क़ायम करना था वह एक व्यापारिक उद्देश्य से परिचालित थी आराम में परिस्थितियां भी कम्पनी के विपरीत थी तथा 1 सशक्त मुग़ल साम्राज्य क़ायम था इन 2 आगे दो कारणों से कंपनी ने व्यापारिक उद्देश्य थोड़ा अलग हटकर राजनीतिक उद्देश्य के संदर्भ में भी सोचना आरंभ कर दिया प्रथम मुग़ल साम्राज्य के विघटन के कारण 1 शून्य की स्थिति उत्पन्न हो रही थी दूसरे कंपनी ने अपने व्यापारिक हितों का स्वर प्रदान करने के लिए राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना आवश्यक समझा वास्तुकार कंपनी के समक्ष एक महत्वपूर्ण समस्या थी वाणिज्य व्यापार में निवेश की समस्या इस प्रकार कंपनी की राराजनीतिक महत्वकांक्षा प्रज्वलित हो गई फिर बदलते हुए हितों के अनुकूल कम्पनी भारत के संदर्भ में अपनी नीति को भी परिवर्तित करती रही तत्पश्चात सुनियोजित रूप में उसने भारत में अपने साम्राज्य का निर्माण कर दिया आराम में कम्पनी भारत के राज्यों के साथ समानता के लिए संघर्ष करती रही सपा में इलाहाबाद की संधि के दौरान इसका यह लक्ष्य पूरा हो गया फिर सपनापैंसठ में कंपनी ने भारतीय राज्यों के प्रति एक नई नीति की शुरुआत की जिसे हम घेरे की नीति के नाम से जानते हैं शायद सहासहायक संधि प्रणाली भी इसी नीति का हिस्सा थी पता इसका उद्देश्य आधा अप्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिश शासन का विस्तार उस काल में कंपनी की संचालन व्यवस्था उतनी शूसूत्र नहीं थी यही वजह है कि कंपनी ने भारतीय राज्यों पर अप्रत्यक्ष निर्धनता ही अपने को सीमित रखा क़ीमतों13 के पश्चात ब्रिटेन ब्रिटेन में औद्योगिक पूंजीवादी के विकास के साथ भारत के संदर्भ में कंपनी की नीति में नाटकीय परिवर्तन आया 18 सौ तेरा के पश्चात ब्रिटिश साम्राज्यवाद विस्तार को बल मिला इसकी पहचान अभिन्न स्तर पर थकान की नीति के रूप में की जाती है इसका उद्देश्य था कि अधिक से अधिक भारतीय राज्यों को प्रत्यक्ष ब्रिटिश नियन्त्रण में लेना ताकि वह ब्रिटिश वस्तुओं की बिक्री को प्रोत्साहन दिया जा सके यही काल है जब लार्ड होस्टिंग ने मैं कार दाल हो जीतता 1 के बाद एक साम्राज्यवादीएक साम्राज्यवादी प्रशंसक हुए
इस प्रकारइस प्रकार हम देखते हैं कि यायद्दपि आराम में ब्रिटिश कंपनी की मैं दुकान सा व्यापारिक लाभ तक ही सीमित रही थी इन तो आगे चलकर उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा जागी और 1 फिर एक सुनियोजित नीति के तहत भारत में कंपनी का साम्राज्य स्थापित हुआ
ब्रिटिश ने बेख़बरी के दौर में ही भारत को जीत लिया/British conquered India in the era of beggary
यह कथन आधुनिक भारत के इतिहास लेखन में साम्राज्यवादी दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करता है इसके विचार में ब्रिटिश कंपनी ने भारत जीतने की कोई भी योजना नहीं बनायी थी और न ही वह भारत जीतने की लालसा से प्रेरित थी किन्तु उसके अकादमी एवं आन इच्छुक रूप में भारत को जीत लिया यद्यपि यह सही है कि कंपनी भाग आरंभ में भारत से ही प्रेरित रही थी किंतु यह मानना तार्किक नहीं हैं कंपनी के द्वारा भारत विद्या 1 आकस्मिक घटना की वास्तविकता भारत के संदर्भ में बदलती परिस्थितियों के अनुकूल कंपनी के हित भी बदलते रहे तथा भी फिर उसी के अनुकूल कंपनी के कार्यक्रम में भी परिवर्तन आप कंपनी ने घेरेगी निधि युद्ध की नीति व्याव्यापन गत का सिद्धांत आदि उपकरणों का सहारा लेकर अपने प्रभावक्षेत्र एवं साम्राज्य का विस्तार करती रही आता आधार बेख़बरी ही तो यह भारतीय राज्यों के लिए नया कि ब्रिटिश कंपनी के लिए ब्रिटिश कंपनी को इस स्थिति के लिए पूरी तरह तैयार थी
भारतीय राज्यों के विरुद्ध ब्रिटिश कंपनी के सफलता के कारण/Due to the success of British company against Indian states
1- एक दृष्टि सेएक दृष्टि से भारत पर विधि विज्ञान एवं पूंजीवादी शक्ति की एक सामान की राज्य पर विजय थी भारत में आगमन से पूर्व ही ब्रिटेन आर्थिक एवं प्राचार्य के परिवर्तन की प्रक्रिया से गुज़र चुका था व्यवसायिक कंपनी पुनर्जागरण धर्म सुधार आन्दोलन आदि परिवर्तनों की प्रक्रिया से गुज़र का ब्रिटिश साम्राज्य एक पूंजीवादी साम्राज्य के रूप में संगठित हो गया वहीं दूसरी तरफ़ भारतीय साम्राज्य सामंती अनेकता मैंमें विभाजित था
2- इस कालइस काल की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी यूरोप तथा भारत के बीच बढ़ता हुआ सांस्कृतिक विभाजन एक तरफ़ जहाँ यूरोप तकनीकी परिवर्तन की प्रक्रिया से गुज़र रहा था वहीं भारत में विज्ञान एवं तकनीकी के विकास की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं दिखा भारतीय राज्यों ने भी ब्रिटिश चुनौतियों को मैच सैनिक संघर्ष के संदर्भ में लिया भारतीय शासकों में केवल एक ही टीपू सुल्तान ने ब्रिटिश चुनौतियों को आर्थिक संदर्भ में भी लेने का प्रयास किया जब उसने यूरोपीय व्यापारिक कंपनी के मॉडल बार एवं व्यापारिक कंपनी स्थापित करना चाहता किन्तु टीपू ने भी आधुनिक विज्ञान तथा तकनीकी के विकास में अथवा आधुनिक वैवैज्ञानिक शिक्षा के विकास में कोई रुचि नहीं दिखाई
3- अगर हम बक्सबक्सर के युद्धक को अपवाद में रखें तो ब्रिटिश सबकी के विरुद्ध भारतीय राज्य कोई गठबंधन का निर्माण नहीं कर सके
4- भाभारतीय राज्य ब्रिटिश कंपनी के वास्तविक चरित्र को समझने में विफल रहे उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा था कि ब्रिटिश कंपनी के ऊपर दो महत्वपूर्ण अंकुर थे एक कोर्ट ऑफ़ डाडायरेक्टर तथा दूसरा ब्रिटिश सांसद आता उनके विचार में इन दोनों अंकुश के रहते हुए कम्पनी राजनीतिक महत्वकांक्षा प्राप्त करने की ओर अग्रसर नहीं हो सकती फिर कंपनी ने भी यह सावधानी बरती तथा उसमें भी राज किया उपाधि लेने से परहेज़ किया भारतीय राज्य ब्रिटिश कंपनी को महज़ 7 थ्रो का विक्रेता समझ पा रहे तथा एक दूसरे के विरुद्ध इसका उपयोग करते रहे
5- मुग़ल साम्राज्य के विघटन के पश्चात क्षेत्र के अस्त्र पर कुछ सक्षम राज्यों की आस्था अपना हुई यह राज्य के उत्तराधिकारी राज्य एवं कुछ अन्य राज्य इन राज्यों के शासकों के द्वारा वित्तीय व्यवस्था को सुदृढ़ करने का प्रयास किया गया और फिर कई अन्य प्रकार के सुधार किए गए इस क्रम में उद्दण्ड जमींदारों को दबाया गया अधिकारियों को अनुशासित किया गया एवं व्यापारियों पर कर लगाया गया आधा इन राज्यों के अधीन कुछ भी शुभ तत्व भी उत्पन्न हो गई उधार ब्रिब्रिटिश कंपनी की सफलता ही आ रही थी उसमें विशुद्ध तत्वों को अपनी ओर आकर्षित या तथा इन तत्वों के सहयोग से अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा को पूरा किया
6- भाभारतीय राज्यों के विरुद्ध ब्रिटिश कंपनी की सफलता का एक कारण था संघर्ष की विशिष्ट स्थिति अर्थात ब्रिटिश तथा भारतीय राज्यों का श्रंगार राजनीति का क्षेत्र तक ही सीमित था जैसा कि हम जानते हैं कि भारत में सामान्य लोग राजनैतिक परिवर्तनों में विशेष दिलचस्पी नहीं लेते थे तथा ऊपरी आधार पर होने वाले सत्ता परिवर्तन से लगभग अप्रभावित ही रहते थे आता इस संघर्ष ने सामान्य भारतीयों की कोई भागीदारी नहीं रही जब उनके सामाजिक सांस्कृतिक मामलों में हस्तक्षेप किया जाता तब भी वे अपनी प्रतिक्रिया दिखाते हैं वे जैसे की हमेंहमें 18,57 के विद्रोह में देखने को मिलता है जिसमें पाँच सौ लोग हताहत हुए सब से बढ़कर जब इस प्रतिकूल परिस्थिति में भी नवाब की छोटी सी सेना साहसपूर्वक संघर्ष कर रही थी तो फिर मीर का फ़र्क के ये ग़लत सैन्य सुझाव ने पूरी सुरक्षा प्रणाली को ही दावा कर दिया युद्ध का पलड़ा अचानक से ब्रिटिश की ओर मुड़ गया इस प्रकार हम देखते हैं कि बंगाल का नाम अपने अधिकारियों के विश्वासघात के कारण युद्ध से पहले ही पराजित हो गया था इस बीच वारदात का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि भावी लाभ की प्रत्याशा में नवाब के उत्तराधिकारी तथा बंगाल के व्यापारी एवं बैंकरों ने 9 आपके साथ विश्वासघात किया किंतु अंअंत में वह स्वयं ही एक बड़े विश्वासघात के शिकार हो गए
बंगाल
प्लासी की लड़ाई एक बड़ा झूठ नहीं वरन एक बड़ा विश्वासघात था/The Battle of Plassey was not a big lie but a big betrayal
प्लासी का युद्ध एक खुला युद्ध नहीं था सैनिक संघर्ष की दृष्टि से इसका कोई विशेष महत्व नहीं है वस्तुत यह एक विश्वासघात की कहानी है क्योंकि वर्तमान के क्रिकेट मैच फिक्सिंग की तरह इसके परिणाम पहले ही सुनिश्चित थे नवाब के मुख्य संचालन अधिकारी नी बख़्शी मीर जाफर 1 सैन्य अधिकारी राय दुर्लभ ये दूसरा सैन्य अधिकारी वादिम ख़ान सभी ब्रिटिश कंपनी से मिल चुके थे इस सयंत्र में बंगाल के बैंकर जगत सेट तथा 1 महत्वपूर्ण व्यापारी उम्मीद चंद्र भी शामिल थे नवाब की मुख्य सेना मीर बरसीं मीर जाफर तथा राय दुर्लभ के अधीन हाथ बाँधे खड़ी रही जबकि 1 छोटी सी सेना मीर मदन तथामदन तथा मोहन सिंह के आदिम संघर्ष करती रही आता है यह मैच युद्ध का एक नाटक था ब्रिटिश की ओर केवल 65 लोग मारे गए जबकि नवाब की सेना ध्वस्त हो गई तथा बहुत से सैनिक मारे गए
प्लासी का युद्ध एक ऐसी सौदेबाज़ी था जिसमें नवाब के अधिकारी तथा बंगाल के बैंकरों एवं व्यापारियों ने नवाब को ब्रिटिश के हाथों बेच दिया
The Battle of Plassey was a bargain in which Nawab officials and Bengal bankers and traders sold the Nawab to the British
23 जून 1757 को मध्य युग के समाप्ति तथा आधुनिक युग की शुरूआत हुई/The end of the Middle Ages and the modern era began on 23 June 1757
यह कथन आधुनिक भारतयह कथन आधुनिक भारत के इतिहास लेखन में साम्राज्यवाद दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करता है साम्राज्यवादी लेखों का भी फ़ेस बाल अठारहवीं सदी के पूर्व को अंधकार का युग घोषित करने पर रहा है ताकि प्लासी के युद्ध को एक ऐसी क्रान्ति सिद्ध किया जा सके जिसने भारत में सकारात्मक परिवर्तन को जन्म दिया किंतु परीक्षण करने पर यह ज्ञात होता है कि अठारहवीं सदी के उत्तरार्ध में भी परिवर्तन की तुलना में निरंतरता ही अधिक महत्वपूर्ण बनी रही यही वजह है कि प्लासी के युद्ध के परिणाम को आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में नहीं जोड़ सकते 28 सदी के उत्तरार्ध में भारत में शासन करने वाले अधिवक्ता ब्रिटिश अधिकारी अपने दृष्टिकोण में प्राप्राच्य वादी थे उन्होंने बंगाल में परंपरागत मॉडल को ही बनाए रखने पर बल दिया प्रचलित सामाजिक तथा सांस्कृतिक संरचना में परिवर्तन की ये पहल नहीं की गई प्रशासनिक संरचना में भी केवल वहाँ हस्तक्षेप किया गया जहाँ ब्रिटिश के हित प्रत्यक्ष तार जुड़े हुए थे उदाहरण के लिए भूराजस्व सुधार तथा उसी से संबंध न्यायिक सुधार अन्यथा यहाँ भी परम्परागत ढांचे को ही बनाए रखने पर बल दिया गया जहाँ तक परिवर्तन का सवाल है तो व्यायाम 19वीं सदी के आरंभिक दर्शकों में देखते हैं ब्रिटेन में होने वाले औद्योगिक क्रान्ति ने भारत के संदर्भ में ब्रिटिश नीतियों को प्रभावित किया तथा भारत के आंशिक आधुनिकीकरण के लिए क़दम उठाया गया आधार अठारहवीं सदी पूर्व वाद एवं उत्तरार्ध हाँहाँ दो भिन्न चरणों में देखने के बजाय निरंतरता मैं ही देखा जाना चाहिए
1760 में बंगाल में होने वाला सत्ता परिवर्तन शयद ही कोई क्रांति थी/The change of power in Bengal in 1760 was a revolution
October 1760 में बंगाल में होने वाले सत्ता परिवर्तन को वैकेंसी वार्ड में क्रांति का नाम दिया जैसा कि हम जानते हैं इस परिवर्तन के तहत बंगाल के नवाब के रूप में मीर जाफर की जगह मीर क़ासिम को स्थापित किया गया था किन्तु हम यहाँ वैकेंसी टाट के कथन से सहमत नहीं होंगे बंगाल में सांसद परिवर्तन की घटना को किसी भी रूप में क्रांति नहीं मानी जा सकती वस्तुएँ क्रांति के लिए दो शब्दों का पूरा होना आवश्यक है प्रथम जो परिवर्तन हो रहा व्यापन और मौलिक है तथा दूसरा उसमें जन भागीदारी है हिन्दू बंगाल में होने वाला यह सांसद परिवर्तन दोनों में किसी भी साथ को पूरा नहीं करता अगर ग़ौर से देखा जाए तो मीर जाफर की जगह मीर क़ासिम के स्थापना एक कठपुतलीएक कठपुतली शासक की जगह एक दूसरे कठपुतली शासकीय स्थापना थी जबकि सत्ता का वास्तविक बागडोर पहले भी कंपनी के हाथ में था और बाद में भी कंपनी के हाथ में बना रहा दूसरे इस घटना से जनसामान्य को कुछ भी लेना देना नहीं था इसमें जनसामान्य की कोई भागीदारी नहीं थी इस लिए बंगाल में होने वाले सत्ता परिवर्तन को हम क्रान्ति नहीं मान सकते
लॉर्ड क्लाइव साम्राज्य का प्रायोजक नहीं वरन एक ऐसा प्रयोग करता था जिसने ब्रिटिश साम्राज्य के कुछ अंश को उद्धृत किया/Lord Clive was not a sponsor of the empire but used an experiment that quoted portions of the British Empire
लॉर्ड क्लाइव साम्राज्य का प्रायोजक नहीं था किन किन क्योंकि उस काल में साम्राज्य का निर्माण ब्रिटिश कंपनी के लिए बड़ी दूर की चीज़ थी फिर भी लोड क्लाइंट के कई ऐसे पद्धति विकसित की जिसके आधार पर कंपनी का भविष्य में 1 साम्राज्य खड़ा कर सके
लॉर्ड क्लाइव ने Duplay कि इस पद्धति से सी दिल्ली कि कैसे भारतीय राज्यों के आंतरिक संघर्ष से लाभ उठाकर कंपनी की स्थिति मज़बूत की जा सकती है
लॉर्ड क्लाइव ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर भारतीय सिपाही को भी यूरोपीय मॉडल पर प्रशिक्षित करके आधुनिक आज तक शस्त्रों से लैस कर दिया जाए तो वे यूरोपीय सैनिक से पीछे नहीं रहेंगे अंधकार के घेरे तथा प्लासी के युद्ध के अवसर पर उसने यह सिद्ध कर दिया
लॉर्ड क्लाइव ने बंगाल की दीवानी प्राप्त कार कंपनी के लिए निवेश की समस्या का हल किया
लॉर्ड क्लाइव ने अपने कुछ कार्यों से अपनी कीर्ति को धूमिल कर दिया/Lord Clive tarnished his fame with some of his works
कीर्ति :
आकर के घेरे के अवसर पर उसने युद्ध का पलड़ा फ़्रान्सीसी से ब्रिटिश के पक्ष में सुनिश्चित कर दिया इस तरह कर्नाटक युद्ध में कंपनी को सफलता मिली
प्लाप्लासी के युद्ध में कंपनी की सफलता को सुनिश्चित कर दिया इस प्रकार भारत के सबसे समृद्ध प्रांत पर कंपनी का नियंत्रण हो गया
इलाइलाहाबाद के संगी में उसने अत्याधिक योग्यता का परिचय देते हुए कम्पनी के लिए बंगाल की दीवानी सुरक्षित कर दी
धूमिल कर दिया
उसने बंगाल में रिश्वतख़ोरी और भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन दिया
सोसायटी ऑफ़ रेड की स्थापना करके उसमें भ्रष्टाचार को व्यक्तिगत पास तार से सामूहिक का स्तर पर स्थापित कर दिया
सब से बढ़कर लॉर्ड क्लाइव के द्वारा स्थापित दुआएँ सांसद प्रणाली ने बंगाल में कुशासन और एवं व्यवस्था को प्रोत्साहन दिया इसका परिणाम थासत्तर के दशक होने वाले बंगाल का आकार
यही वजह है कि यहाँ प्लासी की सफलता के लिए उसे बैरंग कलाई की उपाधि मिली वहीं सलाम उपहार पूर्ण ग़लत ढंग से हस्तक्षेप करने के कारण उस भ्रष्टाचार का अभियोग लगाया गया अंत में 1714 में उसने आत्महत्या कर ली
प्लासी के विजय की पुष्टि बक्सर के युद्ध ने कर दी/The victory of Plassey was confirmed by the Battle of Buxar.
प्लासी का युद्ध जहाँ विश्वासघात और धोखाधड़ी से जीता गया था वहीं बक्सर का युद्ध एक ख़ुलासा निक संघर्ष था जिसने कंपनी की सैन्य श्रेष्ठता स्थापित कर दी
बक्सर के युद्ध के साथ ब्रिटिश ने बंगाल के साथ साथ आवाज़ पर भी अपना वर्चस्व वर्चस्व स्थापित कर लिया
बक्सर की स्थापना के पश्चात् मुगलों बाद दिशाओं साझा आम आदमी भी कंपनी के पेंशन प्राप्तकर्ता बन गए तथा बंगाल की दीवानी कंपनी प्राप्त हो गई
ब्रिटिश कंपनी तथा नवाबों के बीच मतभेद का कारण बताइए तथा बंगाल पर प्लासी के युद्ध के परिणाम का आकलन कीजिए
मतभेमतभेद के कारण
दस्ताk का दुरुपयोग
नवाब के विरोधियों के साथ मिलकर षड्यंत्र करना
फ़ोर्ड बिलियम के ही Fort बंदी तथा नवाब का आक्रमण
प्लासी के युद्ध का प्रभाव
कंपनी के द्वारा नवाब से एक बड़ी रक़म प्राप्त करना
बंगाल की लूट से प्राप्त धन से व्यापारिक वस्तुओं की ख़रीद यही से धन की निकासी की समस्या आरंभ
बंगाल से प्राप्त धन ने कर्नाटक में ब्रिटिश की सफलता सुनिश्चित कर दी
बंगाल में दरिद्री करण को प्रोत्साहन मिला तथा भारत का सबसे समृद्ध प्रांत बंगाल सपासत्तर के दशक में एक अहंकार आ गाल का शिकार हो गया
मराठा
सालबाई कि संधि ब्रिटिश के लिए सम्मान जनक और उपयोगी नही थी/The treaty that the treaty was not respectable and useful to the British
सालबाई की संधि का वास्तविक मूल्यांकन तेल गाँव के युद्ध तथा बड़ा दाँव की संधि के संदर्भ में किया जाना चाहिए फिर हमें यह ज्ञात होगा कि साल बाय की संधि ब्रिटिश के लिए सम्मानजनक ही तथा उपयोगी थी पुराने बार की संधि में कंपनी ने मराठों से जो भी कुछ हासिल किया भाव है उसने बड़ा गाँव की संधि में खो दिया भड़काऊ किसान भी एक अपमानजनक संधि की जो तेल गाँव के युद्ध के पश्चात बॉम्बे के ब्रिटिश अधिकारियों पर आयोजित की गई थी किंतु वारेन हर 3 में इस अपमानजनक संधि को मानने से इनकार कर दिया था उसने एक बार फिर युद्ध को पुनर्जीवित किया फिर धीरे धीरे उसमें अपनी सैन्य स्थिति को मज़बूत कर लिया एवं मराठों पर सैनिक दबाव बनाया ग्वालियर को ख़तरे में पड़े वे महादजी संघियों ने माह मध्यस्थता के लिए पहल की हत्या 17 सौंप दिया फिर में ब्रिटिश कंपनी तथा मराठों के बीच सासाल वाई संधि पर हस्ताक्षर हुआ इस संधि के आधार पर कंपनी को मराठों से साल सेट के साथ साथ एलिफेंटा भी भी प्राप्त हो गया इस प्रकार कम्पनी ने वह अब क्षेत्रवह अब क्षेत्र और सम्मान प्राप्त कर लिया जो उसने बड़ा गाँव की संधि में खो दिया था फिर साल बाय किसान भी कंपनी के लिए उपयोगी भी सीट हुई इस संधि के कारण कंपनी को मराठों 20 वर्षों का युद्धविराम मिला कंपनी ने इस अवसर का लाभ अपने अन्य प्रतिबंधों को समाप्त करने में प्राप्त किया यही काल है जब कंपनी ने मैसूर का सफ़ाया कर दिया तथा निज़ाम को 1 अधीनस्थ राज्य के रूप में तब्दील कर दिया इस प्रकार हम देखते हैं कि इस साल भारी किसान भी कम्पनी के लिए अम्मासम्मानजनक भी थी और उपयोगी भी
बेसिन की संधि ने उस आधार को ही बदल दिया जिस पर हम पश्चिम भारत में खड़े थे इसने ब्रिटिश उत्तरदायित्व को तिगुना कर दिया/The Treaty of Basin changed the basis on which we stood in Western India. It tripled British responsibility.
बेसिन की संधि ने पश्चिमी भारत में ब्रिटिश उत्तरदायित्व में गुणात्मक परिवर्तन आया पहले पश्चिमी भारत में कंपनी के मुख्य व्यापारिक दायित्व थे किन्तु अब उसके साथ सैनिक और कूटनीतिक दायित्व भी जुड़ गए बेसिन की संधि के अनुसार पुणे में एक ब्रिटिश रेजीमेंट स्थापित किया जाना था अब पेशवा की सूरा सांता आदि बार भी कंपनी के ऊपर ही आ गया भविष्य में मराठा परिसंघ के किसी भी सदस्य पेशवा को ख़तरा होता तो उसे ब्रिटिश की सुरक्षा प्राप्त थी कंपनी ने न केवल उसे आंतरिक रूप से मराठा परिसंघ के घटकों से सुरक्षा प्रदान करना पड़ता है वरना किसी बाबाय शक्ति के आक्रमण की स्थिति में भी कंपनी पेशवा को सुरक्षा प्रदान करने ये वचनबद्ध था
पेशवा की विदेशी नीति भी कंपनी के अधीन भी पेशवा के दरबार में एक ब्रिटिश रेजिमेंट स्थापित किया जाना था तथा पेशवा के विदेश मंत्री पी का संचालन इस ब्यूटी रेजिमेंट के परामर्श से ही होता अगर भविष्य में पेशवा तथा निज़ाम 1 प्रेस वार्ता गायकवाड़ के बीच किसी प्रकार का विवाद होता था तो ये ब्रिटिश मध्यस्थता में ही तय होता था आता ऐसा मानना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं लगता कि बेसिन की संधि ने पश्चिमी भारत में ब्रिटिश
बेसिन कि संधि ने अपने प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष संग प्रतिमाओं में ब्रिटिश को भारत का साम्राज्य दे दिया
बेसिन की संधि निश्चय ही भारत में ब्रिटिश सर्वोच्च सत्ता के विकास में एक महत्वपूर्ण कड़ी है फिर भी इसके प्रभाव को बहूत अधिक करके नहीं आंका जाना चाहिए बेसिन की संधि के माध्यम से कम्पनी मराठा परिसंघ के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का विवाद अधिकार प्राप्त कर लिया इस संधि के आधार पर मराठा परिसंघ का प्रधान पेशवा आप ब्रिटिश कंपनी के अधीन हो गया था तथा पेशवा के नाम पर कंपनी मराठा परिसंघ के अंतर्गत का भी कहीं भी अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार कर सकती थी फिर इस संधि के अनुसार ऊना में एक ब्रिटिश रेजीमेंट और स्थापित किया गया इसका अर्थअर्थ था इलाहाबाद हैदराबाद तथा मैसूर के साथ साथ भारत के एक महत्वपूर्ण सामरिक केंद्र पर ब्रिटिश सेना का नियंत्रण उसी प्रकार पेशवा की विदेश नीति भी कम्पनी के नियंत्रण में आ गई पेश हुआ कि विदेश नीति का संचालन ब्रिटिश रेजीमेंट के परामर्श से होना था सबसे बढ़कर अगर भविष्य में पेश हुआ तथा निज़ाम अथवा पेशवा तथा गायकवाड़ के बीच किसी प्रकार का विवाद होता हो या ब्रिटिश मतदाता मध्यस्थता में ही तय किया जाता इसी तरह बेबेसिन की संधि ने भारत के सबसे प्रमुख शक्ति के साथ ब्रिटिश कंपनी के संबंध में छिप कर दिए जो पूरी तरह ब्रिटिश हित में था किंतु ऐसा मानना थोड़ा अतिश्योक्ति होने लगता है कि बेसिन की संधि ने ब्रिटिश को भारत का साम्राज्य दे दिया इसके 2 कारण हैं प्रथमसौदो वह 18 सौ3 में साम्राज्य निर्माण ब्रिटिश का स्पष्ट लक्षण नहीं था अथवा या बहु दूर की थी दूसरे बेसिन किसान बिन्नी ने कंपनी को महज़ एक औपचारिक सबकी दी थी अभी इसका क्रियान्वयन बाक़ी था
बेसिन कि संधि भी एक बेकार आदमी से संधि थी
बेसिन की संधि एक कमज़ोर पेशवा के साथ संधि एक ऐसा पेशवा के साथ जो जो अपनी सुरक्षा के लिए ब्रिटिश कंपनी पर निर्भर था फिर भी यार एक बेकार आदमी सेशन भी नहीं की क्योंकि इस संधि के कई प्रत्याशियों ए प्रत्यक्ष लाभ ब्रिटिश को प्राप्त हुए
मैसूर
मैंने अपने मित्रों को शक्तिशाली बनाए बिना अपने शत्रुओं की शक्ति को सफलतापूर्वक कुचल दिया
I successfully crushed the power of my enemies without making my friends powerful
यह कथन टीपू सुल्तान के विरुद्ध Lord Cornvallis की सैनिक एवं कूटनीतिक सफलता की उद्घोषणा है आराम से ही ब्रिटिश कंपनी मालाबार के मसाला उत्पादन क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए प्रयासरत थी किंतु हैदर अली और टीपू सुल्तान के विरोध के कारण उसे सफलता नहीं मिली नहीं मिली थी इन 2 तृतीय मैसूर युद्ध के क्रम में कॉर्नवाल इसने दी बुजुर्ग फूलदान पोप ने दी दृष्टि से अलग थलग कर दिया तथा दक्षिण की 2 अन्य संपत्तियों मराठा तथा निज़ाम की सहायता से टीटीपू पर आक्रमण कर दिया अंत तब तक ब्याट्री पर प्राची तरह आयोग सख़्त राष्ट्रगान में इस विधि में श्रीरंगपट्टनम की संधि करने के लिए भी भाषा आप ब्रांड वाली इसकी मुख्य चिंता यह है कि किस तरह इस सुविधा का लाभ अधिकतम रूप से ब्रिटिश कंपनी के पक्ष में सुनिश्चित किया जाए तथा मराठा एवं निज़ाम को इस्लाम से वंचित रखा जाए किन्तु साथ ही वह इस बात के लिए भी सावधान था कि ब्रिटिश के इस क़दम के विरोध उसके मित्रों मैं प्रतिक्रिया नया हूँ कांड वालेस ने इस संधि के पश्चात प्राप्तांक में महत्वपूर्ण क्षेत्र मालाबार डिंडीगुल एवंएवं 12 महल कंपनी के लिए सुरक्षित कर दिया सूचना तथा प्रेरणा नदी के मध्य कहा कुछ धन भाग निज़ाम को सुपुर्द किया तथा तुंगभद्रा नदी के पास कुछ भूभाग मराठों को दिया हत्या कंपनी के मित्र संतुष्ट हो गए दूसरी तरफ़ टीपू से उनका आधा भूल भाल छीन कारण मैसूर के आकार को छोटा कर दिया गया ताकि मैसूर भविष्य में ब्रिटिश के विरुद्ध सर नहीं उठाए उपर्युक्त कथन को इस संदर्भ में समझा जाना चाहिए कि वे किन्तु जैसा कि आगे की घटना से क्षेत्र पीया कि टीपू ने इस हार को आसानी से स्वीकार नहीं किया और विदेशी शक्तिशक्तियों की सहायता से ब्रिटिश का जुआ उतार फेंकना चाहा
बेसिन की संधि उचित नीति सम्मत तथा विवेकपूर्ण कार्यवाही थी/The Treaty of Basin was a proper policy and prudent action.
बेसिन की संधि का मूल्यांकन आराम से ही एक विवादास्पद मुद्दा रहा है उपयोग कथन ब्रिटिश अधिकारी दृष्टिकोण को ही अभिव्यक्त करता है इसमें ब्रिटिश पक्ष को जायज़ क़रार करने का प्रयास किया गया किन्तु परीक्षण करने पर यह ज्ञात होता है कि यह सन्धि किसी भी स्थिति में उचित एवं नीति सम्मत नहीं थी जैसा कि हम देखते हैं कि बेसिन की संधिबयासी की साला बाइक की संधि का सीधा उल्लंघन थी साला बाय की संधि ने ब्रिटिश के द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि ब्रिटिश कंपनी मराठा परिसंघ के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी किंतु बेसिन की संधि के आधार पर यह बात फिर ब्रिटिश कंपनी ने मराठा परिसंघ के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया तथा आर्थआर्थर वैली जली के अधीन एक ब्रिटिश सेना ने पेश हुआ को पूना में दोबारा स्थापित कर दिया
अब जहाँ तकअब जहाँ तक इस सदी का विवेकपूर्ण होने का सवाल है तो यह ब्रिटिश कंपनी के लिए तो विवेकपूर्ण था किन्तु के स्वाद के लिए ने नई कंपनी के लिए यह इस रूप में विवेकपूर्ण था कि इस संधि के बहाने कम्पनी भारत में स्थित अपने एकमात्र प्रतिद्वंदी को समाप्त कर सकती थी फिर पश्चिमी भारत में ब्रिटिश शक्ति के विस्तार का आर्थर सूती वस्त्र उत्पादन केंद्र पर कंपनी का नियंत्रण जो उसके व्यापारिक हित के अनुकूल था किन्तु पेशवा के लिए यह आसन भी विनाशक सिद्ध हुई इस संधि के आधार पर पेश वाले मराठा परिसंघ की उस स्वतंत्रता को जिसे माना फडणवीस एवं मामाह ताज़ी सन्धियाँ जैसे मराठा सरदारों के अदम्य रखा था ब्रिटिश के हाथों बेच दिया
पिण्डारी के आखेट का विलय तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध में हो गया/Pindari's game was merged with the Third Anglo Maratha War.
पिण्डारी का दमन भी उसी नीति का हिस्सा था जो भारत में लॉर्ड हार्डिंग के आगमन के साथ आरंभ हुआ था इस काल में कंपनी का उद्देश्य था अक्षय तृतीया विस्तार तथा क़ानून व्यवस्था को स्थापित करना ताकि भारत का विकास ब्रिटिश वस्तुओं के बाज़ार के रूप में हो सके पिंडारी अनियंत्रित सैनिक थे तथा लुट पाट उनका पैसा था मध्य भारत के 1 बड़े क्षेत्र में उन्होंने क़ानून व्यवस्था की समरसता समस्या उत्पन्न कर दी थी हत्या लोड हेस्टिंग्स ने पिंडारी लोगों को दमन करने का निर्णय लिया इसके लिए 1 बड़ी ब्रिटिश सेना के संगठित की गई तथा उसे 2 कमानों में विभाजित किया गया फिर भंडारों के ऊपर तीन तरफ़ा हमला हुआ हत्या महत्वपूर्ण पिंडारी नेता याया धाक तीर धुरंधर बशीर मोहम्मद तथा जीतू मारे गए तथा क्रीम ख़ान ने समर्पण कर दिया
पिण्डारी के संबंध कभी मराठों से रहें तथा उन्होंने मराठों की सहायक सेना के रूप में भी काम किया था किन्तु वर्तमान में मराठों से उनका संबंध नहीं रह गया था किंतु ब्रिटिश दस्तावेज़ यह सिद्ध करने का प्रयत्न कर रहा था कि दोलत राव संध्या भंडारों का संप्रभुता शासक है तथा संधियों के द्वारा भंडारों को संरक्षण दिया जा रहा है जबकि सच्चाई यह है कि दौलत राव संध्या एवं पिंडारी भोपाल इस बात के लिए दबाव डाल रहा था कि वे लूटपाट की नीति को छोड़कर दूसरे देश को अपना लें परन्तु या ब्रिटिश उद्देश्य कुछ और था विभिन्न डालियों के बहाने मराठों को भी दमन करना चाहते थे इसलिए वे मराठों के पिंडारी संबंध पर विशेष ज़ोर दे रहे थे उनका वास्तविक उद्देश्य आसन बंदियों से गंगा यमुना कहाकहा उपजाऊ क्षेत्र छीना था इसके अतिरिक्त हम या भी देखते हैं कि भंडारों के आख़िर से लौटी हुई सेना का उपयोग तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध में किया गया आता ऐसा मानना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं लगता कि भंडारों के दमन का विलय तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध में हो गया
19वीं सदी के आरंभिक दो दशकों में आंग्ल मराठा संबंध में प्रकाश डालिए तथा ब्रिटिश के विरुद्ध संघर्ष में बनाया था कि वे प्रकार का कारण बताइए
सिक्ख
रणजीत सिंह ने पंजाब में एक शक्तिशाली सिख राज्य की स्थापना कार उत्तर पश्चिम की ओर बेटे साम्राज्यवादी प्रसार को अवरुद्ध कर दिया
रणजीत सिंह ने पंजाब में एक शक्तिशाली इससे राज्य की स्थापना की थी रणजीत सिंह की सेना बेटे इसके पश्चात एशिया की दूसरी शक्तिशाली सेना थी यह सेना यूरोपीय मॉडल पर गठित थी तथा इसका संचालन यूरोपीय कमांडरों के द्वारा किया जाता था रणजीत सिंह ने पश्चिम एशिया तथा अफ़ग़ानिस्तान की राजनीति में भी रुचि दिखाई तथा रणजीत सिंह के जीवन काल में ब्रिटिश पंजाब की ओर प्रसार करने का साहस नहीं जुटा सके हत्या तत्कालिक रूप में रणजीत सिंह ने उत्तर पश्चिम की ओर प्रसार के लिए ब्रिटिश मार को अवरुद्ध कर दिया किन्तु रणजीत सिंह की सफलता स्थास्थायी क्षेत्र नहीं हो सकी
वस्तुतः बैठे इसके प्रति रणजीत सिंह ने आराम से ही ग़लत नीति अपनायी थी बेटी से सीधे टकराने में परहेज़ करते रहे इतना ठाक ही इतना तक कि उन्होने सी सफलता के राज्यपाल बेट्स दावे को स्वीकार कर संयुक्त पंजाब का सपना छोड़ दिया किंतु भट्ट से टकराना उचित नहीं समझा रणवीर सिंह का वह क़दम दूरदर्शितापूर्ण नहीं था ब्रिटिश कंपनी तथा 6 शक्ति के बीच 1 निर्णायक युद्ध अनिवार्यता इसे बहुत अधिक समय तक नहीं टाला जा सकता था क्योंकि रणजीत सिंह इस युद्ध को टालते रहे आता इसका खामियाजा रणजीत सिंह के कमज़ोर उत्तराधिकारी को भुगतना पड़ा और फिर रणजीत सिंह की मृत्यु के 9 वर्षों के अंदर ही पंजाब का अस्तित्व मासमाप्त हो गया
सहायक संधि
सहायक संधि स्पर्धा के मूलभूत सिद्धान्तों का परीक्षण कीजिए भारत में ब्रिटिश कंपनी की सर्वोच्च संप्रभुता संपन्न सत्ता को स्थापित करने में इसका क्या योगदान था
ब्रिटिश कंपनी के अंतर्गत सहायक संधि प्रणाली का विकास विशेष राजनीतिक परिस्थितियों की उपज थी इसका उपयोग एक दो धारी तलवार के रूप में हुआ जो एक तरफ़ फ़्रान्सीसी विस्तार को रोकने का प्रयास कर रही थी तो दूसरी तरफ़ भारतीय राज्यों पर ब्रिटिश वर्चस्व का विस्तार कर रही थी इसका आरंभिक बीच फ़ैन
ब्रिटिश सर्वोच्च सत्ता को स्थापित करने में इसका योगदान
ब्रिटिश सर्वोच्च सत्ता को स्थापित करने में सबसे आवश्यक तत्व एक शक्तिशाली सैन्य ढांचा तथा इस शक्तिशाली शान ने ढांचे के लिए व्यापक संसाधन की आवश्यकता है
शायद संधि में बँधे हुए राज्यों ने अपनी स्वतंत्रता खो दी उन्हें अपनी राजधानी में एक ब्रिटिश रेजीमेंट स्थापित करना पड़ा अस्पताल में ब्रिटिश के विरुद्ध कभी भी विरोध करने की बात नहीं सोच सकते थे अन्यथा इस सेना का उपयोग उन्हीं के विरुद्ध किया जा सकता था
ब्रिटिश सर्वोच्च सत्ता के विकास के लिए एक आविष्कारक था भारतीय राज्यों की विदेश नीति पर नियंत्रण सहायक संधि प्रणाली के माध्यम से उन्होने स्वभाविक रूप में यह नियंत्रण क़ायम कर लिया अब भारतीय राज्यों की विदेश नीति का संचालन ब्रिटिश रेजीमेंट के परामर्श से होता था इसका आधा कि आप भारतीय राज्य अन्य किसी अन्य विदेशी शक्ति के निकट जा सकते थे न ही कंपनी के शत्रु के साथ समझौता कर सकते थे
इस संधि में यह भी स्पष्ट कर दिया गया था कि संबंधित राज्य अन्य विदेशी को अपनी सेवा में ले सकते हैं और न ही किसी विदेशी कम्पनी के साथ व्यापार कर सकते हैं इसका आधा कि भारतीय राज्यों के विदेश व्यापार पर भी कंपनी का नियंत्रण क़ायम हो गया था
जब भी सैद्धांतिक रूप में ब्रिटिश रेजिमेंट उस राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते किन्तु व्यवहार में इसका उल्लंघन होता तथा समय समय पर किसी राज्य के उत्तराधिकार के मामले में भी कम्पनी के द्वारा हस्तक्षेप किया जाता है और फिर उस सांसद से अधिकतम रूप में लाभ प्राप्त करने की कोशिश की जाती है
इस प्रकारइस प्रकार सहायक संधि प्रणाली के कारण भारतीय राज्यों की कमर पहले ही टूट गई थी इसलिए जब उन्नीसवीं सदी के आरंभिक दस्तों में जब कंपनी ने अपने हक़ क्षेत्र विस्तार की नीति आरंभ की तो भारतीय राज्य उसका प्रतिरोध नहीं कर सके तथा एक के बाद दूसरा कंपनी के साम्राज्य में विलीन होते चले गए
Vayapgaat का सिद्धांत
Daal Ho Ji ने भारत के मानचित्र में उस गति से परिवर्तित किया जो किसी सैन्य अभियान से संभव नहीं था/Daal Ho Ji changed the map of India at a speed that was not possible with any military campaign.
Lord Hasting के आगमन के साथ जो साम्राज्यवादी प्रसार की प्रक्रिया आरंभ हुई वहाँ लौट डल्हौजी के काल में भर गाने में पहुँच गई वसुधा इस काल में भारत के संबंध में ब्रिटिश नीति औद्योगिक पूंजीवादी की आवश्कता से प्रेरित नहीं थी इसका बाल भारत को ब्रिटिश वस्तुओं के बाज़ार के रूप में विकसित करने पर रहा था इसके लिए अधिक से अधिक भारतीय क्षेत्र को प्रत्यक्ष नियंत्रण में लेना आवश्यक है ब्रिटिश के अंतर्गत फ़ैन नियंत्रित प्रसार एवं प्याज़ क़दम था तथा इसकी आलोचना भारत में ब्रिटेन दोनों ही जगहों पर हो सकती थी अस्पतालों और डल्हौजी ने अपनी साम्राज्यवादी बरसात की नीति को 1 सिद्धांत की 8 देने का प्रयास किया दल हो जी केगेट वे भगत के सिद्धांत को इस संदर्भ में दिया जा सकता है कि उसने भारतीय राज्यों को तीन श्रेणियों में विभाजित कर दिया तथा स्वतंत्र एवं मित्र राज्य वे राज्य जो पहले मुगलों और मराठों के आदिम रहे थे तथा अब ब्रिटिश के आ दिन आ गए थे परंतु तीसरी श्रेणी में वे राज्य थे जिनका निर्माण ही ब्रिटिश फ़्री सनद के आधार पर हुआ था डल्हौजी ने इस तीसरी श्रेणी के राज्य से दत्तक पुत्र रखने का अधिकार छीन लिया और फिर एक ही झटके में अट्ठारह तथाचौवन के बीच सप्ताह राज्य पूर्व संबलपुर बघार उदैपुर झाँसी तथा नागपुर को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया इस प्रकार ब्रिटिश साम्राज्य की सीमा में व्याप्त बार विस्तार हुआ तत्पतत्पश्चात उसकी निगाह निज़ाम के अंतर्गत कपास उत्पादक बरार क्षेत्र पर गया उसने53 में निज़ाम पर दबाव डालकर या क्षेत्र उसे हासिल कर लिया फिर डल्हौजी आमादा क्षेत्र की ओर आकर्षित आकर्षित हुआ या क्षेत्र गंगा यमुना दोआब में स्थिरता तथा काफ़ी समृद्ध था इसकी भूमि बहूत उपजाऊ थी हत्या इस आग क्षेत्र पर क़ब्ज़ा करने के लिए डल्हौजी ने एक दूसरे सिद्धांत का प्रतिपादन किया और व्यथा आबाद का कुशासन जिसके लिए अवध के नवाब को उत्तरदायी ढह रहा गया और फिरछप्पन में आवाज़ को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया इस प्रकार डल्हौजी ने बिना किसी युद्ध के भारत के मानचित्र को बदल दिया यह भी आगे उसकी इस नीति केके विरुद्ध प्रतिक्रिया हुई आउर शीघ्र ही ब्रिटिश को 1857 के उस महाविद्याओं का सामना करना पड़ा |
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