राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा या ‘यूजीसी नेट' भारत में एक राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा है। ये स्नातकोत्तर प्रतियोगियों के लिए विश्वविद्यालयों में शिक्षण प्रवेश हेतु योग्यता परीक्षा होती है। इसका आयोजन अर्ध-वार्षिक रूप से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा किया जाता है। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2009 के दिशा-निर्देश के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कॉलेजों में प्रोफेसर बनने के लिए इस परीक्षा की पात्रता को अनिवार्य बना दिया था।
जो परीक्षार्थी इस परीक्षा में सबसे अधिक अंक अर्जित करते हैं, उनकी योग्यता सूची तैयार की जाती है, उनमें से कुछ को जूनियर रिसर्च फेलोशिप यानी जेआरएफ़ और शेष को ‘नेट' (सहायक प्रोफेसर) के लिए चुना जाता है । जेआरएफ़ में चुने गए परीक्षार्थी को अनुसंधान के लिए स्कॉलरशिप दी जाती है, जबकि नेट क्वालीफाइड को स्कॉलरशिप नहीं दी जाती है।
फेलोशिप
इसमें तीन प्रकार की फेलोशिप मिलती हैं:
• व्याख्याता फेलोशिप
• कनिष्ठ शोध फेलोशिप
• श्यामा प्रसाद मुखर्जी फेलोशिप
योग्यता
असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए किसी भी प्रकार की आयु सीमा नहीं रखी गई है, जबकि जेआरएफ़ के लिए सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की अधिकतम आयु 30 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अन्य वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षण नीति के तहत आयु सीमा में छूट दी जाती है। सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से 55 प्रतिशत अंकों के साथ मास्टर डिग्री अनिवार्य है, जबकि अन्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 50 प्रतिशत अंक जरूरी हैं।
विषय चयन
नेट में पोस्ट ग्रेजुएशन के विषय के साथ ही परीक्षा में शामिल हुआ जा सकता है। यूजीसी ने स्नातकोत्तर डिग्री के कुल 90 से भी अधिक विषयों को नेट परीक्षा में सम्मिलित किया है। विषयों की पूरी सूची की जानकारी www.ugc.ac.in/www.cbse.nic.in पर लॉग इन करके ली जा सकती है। इनमें कुछ विदेशी भाषाओं को भी सम्मिलित किया गया है।
नई परीक्षा योजना - जुलाई 8, 2018 से लागू
सीबीएसई— यूजीसी ने 23 जनवरी को एक अधिसूचना जारी करके परीक्षा पद्धति में कुछ परिवर्तन किए, जिसके अनुसार विषय संबंधी पेपर 2 एवं 3 का विलय कर दिया गया है और अब उनके स्थान पर केवल पेपर 2 ही होगा। शिक्षण और शोध अभियोग्यता पर आधारित पेपर 1 की मुख्य विषय-वस्तु पहले जैसी ही रहेगी।
संक्षिप्त अधिसूचना
सूचित किया जाता है कि सीबीएसई अगस्त में सहायक प्रोफेसर और जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ़) की पात्रता के लिए यूजीसी नेट परीक्षा आयोजित करेगा। संशोधित स्कीम के अनुसार, परीक्षा में निम्नानुसार दो प्रश्न पत्र होंगे:
प्रश्न पत्र 1
अंक 100
प्रश्नों की संख्या 50
समयान्तराल 3 घण्टा
प्रश्न पत्र 2
अंक 200
प्रश्नों की संख्या 100
समयान्तराल 3 घण्टा
प्रश्न पत्र - I में 50 वस्तुनिष्ठ प्रकार के अनिवार्य प्रश्न होंगे और प्रत्येक प्रश्न के दो अंक होंगे। ये प्रश्न सामान्य प्रकृति के होंगे, जिनका उद्देश्य उम्मीदवारों की शिक्षण/अनुसंधान अभिरुचि का निर्धारण करना है। यह प्राथमिक रूप से उम्मीदवारों की तार्किक क्षमता, व्यापक, विभिन्न सोच और सामान्य जागरुकता का परीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया जाएगा।
प्रश्न पत्र-II में उम्मीदवार द्वारा चयन किए गए विषय पर आधारित 100 वस्तुनिष्ठ प्रकार के अनिवार्य प्रश्न होंगे और प्रत्येक प्रश्न के दो अंक होंगे।
जे आर एफ में सम्मिलित होने के लिए उच्च आयु सीमा दो वर्ष बढ़ा दी गयी है अर्थात वर्तमान की उच्च आयु सीमा 28 वर्ष से 30 वर्ष होगी ( छूट यथानुसार रहेगी)। परीक्षा में सम्मिलित होने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवार वेबसाइट http://cbsenet.nic.in पर उपलब्ध अधिसूचना देख सकते हैं।
नई परीक्षा पद्धति के अनुसार पेपर 1 का महत्त्व काफी बढ़ गया है, पहले कुल 175 प्रश्नों में से पेपर | के 50 प्रश्न थे, जोकि कुल प्रश्नों का 28.57% हिस्सा था जबकि अब कुल 150 प्रश्नों में से 50 प्रश्न हैं जिसका मतलब है कि 33.33% अंक पेपर I पर निर्भर करेंगे। अब समय भी घटा दिया गया है जिसके कारण पेपर। और भी चुनौतीपूर्ण बन जाता है, इस स्थिति में परीक्षार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे पेपर के प्रश्नों की अधिकाधिक प्रैक्टिस करें।
सेट / स्लेट (STATE ELIGIBILITY TEST / STATE LEVEL ELIGIBILITY TEST- SET / SLET)
ऐसा पाया गया था कि राष्ट्रीय स्तर पात्रता परीक्षा के द्वारा क्षेत्र विशिष्ट विषयों की पात्रता को निर्धारित करने में समर्थ नहीं हो पा रही थी। इसके अलावा, द्वारा अपनी मातृ भाषा में शामिल होने के लिए भी मांग की जा रही थी। अतः राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य स्तर पर लेक्चरशिप के लिए निर्धारित करने के लिए अपने स्तर पर परीक्षण कराने का विकल्प दिया गया। इस प्रकार एसईटी (सेट) की अवधारणा अर्थात लेक्चररशिप पात्रता के लिए पात्रता परीक्षा प्रारम्भ हुई। यह परीक्षा अंग्रेजी और क्षेत्रीय, दोनों भाषाओं में आयोजित की जाती है।
आयोग ने 25 मई 1990 को आयोजित अपनी बैठक में परीक्षा के अभिकरण (यू-सीएटी) पर यूजीसी कमेटी का गठन करने का निर्णय लिया। यू के संदर्भ की शर्तें निम्नानुसार हैं:
1. परीक्षणों को रखने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करना
2. यूजीसी/सीएसआईआर के अलावा एजेंसियों द्वारा किए गए परीक्षणों का प्रत्यायन करना
3. अन्य एजेंसियों द्वारा किए गए परीक्षणों की निगरानी और फॉलो-अप उपायों का सुझाव देना
4. परीक्षणों के संगठन में राज्य स्तर की एजेंसियों को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करना
यू-सीएटी द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर, केवल निम्नलिखित लेक्चरशिप के लिए स्टेट एलिजीबिलिटी टेस्ट (एसईटी) आयोजित करने के लिए परीक्षण डिजाइन, कोर्स की सामग्री, टेस्ट, इत्यादि के बारे में राज्यों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
भारत सरकार द्वारा दिए गए जनादेश के अनुसार, राज्य सरकारों के अनुरोध पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक निश्चित अवधि के लिए यूजीसी द्वारा विधिवत मान्यता प्राप्त राज्य पात्रता परीक्षा (एसईटी) प्रस्तावित की है। यह राज्यस्तरीय परीक्षा यूजीसी और यूजीसी/सीएसआई आर द्वारा मानविकी, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान विषयों के लिए क्रमशः राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) के पैटर्न पर आधारित है। राज्य सरकारों और संघ शासित प्रदेशों, जो स्वयं एसईटी आयोजित करने की इच्छा रखते हैं, को समय-समय पर यूजीसी से मान्यता प्राप्त करना आवश्यक है।
नेट के संचालन के अलावा, नेट ब्यूरो की भूमिका एसईटी परीक्षा आयोजित करने के लिए राज्य की उपयुक्त एजेंसियों का आकलन कर उन्हें करने की भी है। राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट राज्य एजेंसी के प्रदर्शन का मूल्यांकन करके एसईटी परीक्षा की सफलता से किया जाता है। राज्य को प्रत्यायन अधिकार एक निर्धारित अवधि के लिए दिया जाता है।
राज्य एजेंसी की पहचानएक राज्य सरकार किसी एजेंसी की पहचान कर सकती है, जो विश्वविद्यालय हो सकती है या उच्च शिक्षा के लिए शिक्षकों भर्ती से संबंधित प्रतिष्ठित एजेंसी या प्रतिष्ठित परीक्षा संस्थान हो सकती हैं।
वर्तमान में, एसएलईटी / एसईटी निम्नलिखित राज्यों में आयोजित किया जाता है:
* महाराष्ट्र और गोवा
• तमिलनाडु
* मध्य प्रदेश
● आंध्र प्रदेश
* हिमाचल प्रदेश
• जम्मू और कश्मीर
* राजस्थान
* पश्चिम बंगाल
* एनई-एसएलईटी (जिसमें सभी पूर्वोत्तर राज्य और सिक्किम शामिल हैं)
* कर्नाटक
एसईटी परीक्षा आयोजित करने वाले राज्यों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए आयोग समय-समय पर एक प्रत्यायन समिति का गठन करता है। आयोग समिति की रिपोर्ट के आधार पर किसी भी राज्य के बारे में अंतिम निर्णय लिया जाता है।
एनटीए यूजीसी नेट / जेआरएफ़ पाठ्यक्रम एवं परीक्षा पद्धति
पाठ्यक्रम प्रश्न-पत्र - 1
इस प्रश्न पत्र का मुख्य उद्देश्य परीक्षार्थी की शिक्षण और शोध क्षमता का मूल्यांकन करना है। अतः इस परीक्षा का उद्देश्य शिक्षण और शोध अभिवृत्ति का मूल्यांकन करना है। उनसे अपेक्षा है कि परीक्षार्थी से पास संज्ञानात्मक क्षमता हो और वे इसको प्रदर्शित कर सके। संज्ञानात्मक क्षमता में विस्तृत बोध, विश्लेषण, मूल्यांकन, तर्क संरचना की समझ, निगमनात्मक तथा आगमनात्मक तर्क शामिल हैं। परीक्षार्थियों से यह अपेक्षा रखी जाती है कि उन्हें लोगों, पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधनों के बीच संव्यवहार और जीवन की गुणवत्ता पर इस व्यवहार के प्रभाव की जानकारी रखनी चाहिए। विस्तृत पाठ्यक्रम विवरण इस प्रकार है:
I. शिक्षण अभिवृत्ति
• शिक्षण: अवधारणाएं, उद्देश्य, शिक्षण का स्तर ( स्मरण शक्ति, समझ और विचारात्मक), विशेषताएं और मूल अपेक्षाएं
• शिक्षार्थी की विशेषताएं: किशोर और वयस्क शिक्षार्थी की अपेक्षाएं (शैक्षिक, सामाजिक / भावनात्मक और संज्ञानात्मक, व्यक्तिगत भिन्नताएँ)
• शिक्षण प्रभावक तत्व: शिक्षक, सहायक सामग्री, संस्थागत सुविधाएं, शैक्षिक वातावरण
• उच्च अधिगम संस्थाओं की पद्धतिः अध्यापक केंद्रित बनाम शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति, ऑफ लाइन बनाम ऑन लाइन पद्धतियां (स्वयं, स्वयंप्रभा, मूक्स इत्यादि) ।
• शिक्षण सहायक प्रणाली परंपरागत आधुनिक और आईसीटी आधारित
• मूल्यांकन प्रणालियां: मूल्यांकन के तत्व और प्रकार, उच्च शिक्षा में विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली में मूल्यांकन, पद्धतियों में नवाचार
II. शोध अभिवृत्ति
• शोधः अर्थ, प्रकार और विशेषताएं, प्रत्यक्षवाद एवं उत्तर प्रत्यक्षवाद शोध के उपागम
• शोध पद्धतियांः प्रयोगात्मक, विवरणात्मक, ऐतिहासिक, गुणात्मक एवं मात्रात्मक
• शोध प्रबन्ध एवं आलेख लेखन: फार्मेट और संदर्भ की शैली
• शोध में आईसीटी का अनुप्रयोग
• शोध नैतिकता
III. बोध
• एक गद्यांश दिया जाएगा, उस गद्यांश से पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देना होगा।
IV. संप्रेषण
• संप्रेषणः संप्रेषण का अर्थ, प्रकार और अभिलक्षण
• प्रभावी संप्रेषणः वाचिक एवं गैर-वाचिक, अन्तः सांस्कृतिक एवं सामूहिक संप्रेषण, कक्षा-संप्रेषण
• प्रभावी संप्रेषण की बाधाएं
● जन मीडिया एवं समाज
V. गणितीय तर्क और अभिवृत्ति
तर्क के प्रकार
• संख्या श्रेणी, अक्षर श्रृंखला, कूट और संबंध
• गणितीय अभिवृत्ति (अंश, समय और दूरी, अनुपात, समानुपात, प्रतिशतता, लाभ और हानि, ब्याज और छूट, औसत आदि)
VI. युक्तियुक्त तर्क
• युक्ति के ढाँचे का बोधः युक्ति के रूप, निरुपाधिक तर्कवाक्य का ढांचा, अवस्था और आकृति, औपचारिक एवं अनौपचारिक युक्ति दोष, भाषा का प्रयोग, शब्दों का लक्ष्यार्थ और वस्तवर्थ, विरोध का परंपरागत वर्ग
• युक्ति के प्रकार: निगमनात्मक और आगनात्मक युक्ति का मूल्यांकन और विशिष्टीकरण
• अनुरूपताएं
• वेण का आरेखः तर्क की वैधता सुनिश्चित करने के लिए वेण आरेख का सरल और बहुप्रयोग
• भारतीय तर्कशास्त्र ज्ञान के साधन
• प्रमाणः प्रत्यक्ष अनुमान, उपमान, शब्द अर्थापत्ति और अनुपलब्धि
• अनुमान की संरचना, प्रकार, व्याप्ति हेत्वाभास
VII. आंकड़ों की व्याख्या
• आंकड़ों का स्रोत, प्राप्ति और वर्गीकरण
• गुणात्मक एवं मात्रात्मक आंकड़े
• चित्रवत वर्णन (बार-चार्ट, हिस्टोग्राम, पाई-चार्ट, टेबल चार्ट और रेखा- चार्ट) और आंकड़ों का मान- चित्रण
• आंकड़ों की व्याख्या
• आंकड़े और सुशासन
VIII. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी)
• आईसीटी: सामान्य संक्षिप्तियां और शब्दावली
• इंटरनेट, इन्ट्रानेट, ई-मेल, श्रव्य-दृश्य कांफ्रेसिंग की मूलभूत बातें
• उच्च शिक्षा में डिजिटल पहलें
• आईसीटी और सुशासन
IX. लोग, विकास और पर्यावरण
• विकास और पर्यावरण मिलेनियम विकास और संपोषणीय विकास का लक्ष्य
• मानव और पर्यावरण संव्यवहारः नृजातीय क्रियाकलाप और पर्यावरण पर उनके प्रभाव
• पर्यावरण मुद्दे: स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, अपशिष्ट (ठोस, तरल, बायो-मेडिकल, जोखिमपूर्ण, इलेक्ट्रॉनिक) जलवायु परिवर्तन और इसके सामाजिक आर्थिक तथा राजनीतिक आयाम
• मानव स्वास्थ्य पर प्रदूषकों का प्रभाव
• प्राकृतिक और ऊर्जा के स्रोत, सौर, पवन, मृदा, जल भू-ताप, बायोमास, नाभिकी और वन
• प्राकृतिक जोखिम और आपदाएं: न्यूनीकरण की युक्तियां
• पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम (1986), जलवायु परिवर्तत संबंधी राष्ट्रीय कार्य योजना, अंतरराष्ट्रीय समझौते / प्रयास- मोंट्रीयल प्रोटोकाल, रियो सम्मेलन, जैव विविधता सम्मेलन, क्योटो प्रोटोकॉल, पेरिस समझौता, अंतरराष्ट्रीय सौर संधि
X. उच्च शिक्षा प्रणाली
● उच्च अधिगम संस्थाएं और प्राचीन भारत में शिक्षा
• स्वतंत्रता के बाद भारत में उच्च अधिगम और शोध का उद्भव
● भारत में प्राच्य, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक अधिगम कार्यक्रम
• व्यावसायिक / तकनीकी और कौशल आधारित शिक्षा
• मूल्य शिक्षा और पर्यावरणपरक शिक्षा
• नीतियां, सुशासन, राजनीति और प्रशासन
टिप्पणी: 1. प्रत्येक यूनिट (मॉड्यूल) से 2-2 अंकों वाले 5 प्रश्न तैयार किए जाएंगे। 2. यदि दृष्टिवान परीक्षार्थी के लिए ग्राफ / चित्र वाले प्रश्न तैयार किए जाते हैं तो दृष्टि बाधित परीक्षार्थियों के लिए उतने ही अंकों वाले प्रश्नों के अवतरण दिए जाएं।
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