Sunday, July 24, 2022

Kohinoor Diamond Full Information In Hindi

कोहिनूर हीरा आज टावर ऑफ़ लंदन के ज्वेल हाउस में रखा है । इसके बारे में काफी सारी theory बनाई गई है कि कोहिनूर हीरे की उत्पत्ति कहां से हुई है । East India company में काम करने वाले एक Civil Servant थे Theo Metcalfe । इन्होंने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा था कि कोहिनूर हीरे का एक्सट्रैक्शन भगवान कृष्णा के समय में हुआ था । सबसे suitable theory बताती है कि कोहिनूर हीरे की खोज गोलकुंडा क्षेत्र की कोल्लूर खान से हुआ था । यह खान costal आंध्र प्रदेश मे कृष्णा नदी के किनारे स्थित है । 18 वी शताब्दी में यह विश्व का एकमात्र ऐसा क्षेत्र था जहां diamond पाए जाते थे । इसके बाद 1725 ईस्वी में Brazil में हीरे की खान की खोज हुई । अभी तक भी यह बात साफ नहीं हुई है कि इसकी खोज कब और किसने की लेकिन इतिहासकार मानते हैं कि इस हीरे की खोज सन 1106 सन 1300 के बीच हुई होगी । Hindu text में इस हीरे का जिक्र सन 1306 ईसवी में आया । परंतु यह अभी तक किसी को मालूम नहीं है कि वह हिंदू टेक्स्ट किसने और कब लिखा था । परंतु पहला लिखित प्रमाण जिसमें कोहिनूर हीरे का जिक्र है वह 1526 ईस्वी में लिखा गया । पहले मुगल शासक जहीरूद्दीन बाबर जब भारत में सन 1526 ईसवी में आए थे,  तो उन्होंने अपने बाबरनामा में लिखा है कि एक ऐसा हीरा है जिसकी कीमत पूरे विश्व के एक दिन के खर्चे की आधी है । ऐसा माना जाता है कि उन्होंने वह कोहिनूर हीरा एक जंग जीतने के बाद उपहार में जीता था । इसके बाद कोहिनूर हीरे का जिक्र सन 1628 ईस्वी में Shah Jahan द्वारा किया गया । इन्होंने इस हीरे को पीकॉक थ्रोन में पीकॉक की आंख पर लगाया था । इसके बाद नादिरशाह दिल्ली से लूटकर बहुत सारा खजाना अपने परसिया ले जाता है और इस खजाने में कोहिनूर हीरा भी शामिल था ।




जब नादिर शाह और मोहम्मद शाह टर्बन एक्सचेंज कर रहे थे तब वह हीरा अचानक गिर गया और रोशनी के कारण वह बहुत तेज चमकने लगा इसकी चमचमाहट से दंग होकर नादिरशाह के मुंह से निकला Koh - i - noor । इसका अर्थ होता है रोशनी की एक पहाड़ी । इस प्रकार इस हीरे का नाम कोहिनूर पड़ गया । इसके इसके बाद नादिरशाह ने Timur Rubi और Kohinoor हीरे को अपनी आर्मबैंड हाथ में पहन लिया । इस प्रकार कोहिनूर हीरा अगले 70 सालों तक अफगानिस्तान में रहा । इसके बाद नादिरशाह को उनके गार्ड द्वारा ही मार दिया जाता है और अब यह कोहिनूर हीरा अहमद शाह अब्दाली के पास आ जाता है । इसके बाद यह हीरा शुजा शाह दुर्रानी अपने ब्रेसलेट में पहन कर रखता था । इसके बाद यह इस हीरे को लेकर लाहौर भाग गया । और यह वहां जाकर महाराजा रणजीत सिंह के यहां शरण लेता है । रणजीत सिंह सिख शासन के फाउंडर थे  । इन्होंने सुजा शाह दुर्रानी को एक शर्त पर बचाने का वादा किया कि अगर वह कोहिनूर हीरा उन्हें दे देता है । इस प्रकार यह कोहिनूर हीरा सन 1813 ईस्वी में सिख शासक रणजीत सिंह के पास चला गया । यह कोहिनूर हीरे को अपनी बाइसेप्स पर लेकर घूमते थे । इसके बाद यह कोहिनूर हीरा ट्रांसफर होता होता प्रिंस दिलीप सिंह पर पहुंच गया । सन 1849 ईस्वी में जब ब्रिटिश सरकार ने सिखो को हराया था तब Lord Dalhousie ने 11 वर्ष के बालक duleep singh को आदेश दिया था की वह कोहिनूर हीरा Queen Victoria के हवाले कर दे । यह कोहिनूर हीरा लंदन तक 6700 किलोमीटर की दूरी पानी के जहाज द्वारा तय करके पहुंचा । कोहिनूर के इस हीरे के बारे में कहा जाता है कि जो इस कोहिनूर हीरे का मालिक होगा वह पूरी दुनिया का मालिक होगा । लेकिन यह सब से दूर भाग्यशाली हीरा रहा क्योंकि जिस जिसके भी हाथ यह कोहिनूर हीरा लगा उसकी जिंदगी में खून खराबा और धोखा जैसी पूरी चीजें आ गई।  सन 1854 में जब india , British Colonial rule के अंदर आता था , उस समय के Governor General , Lord Dalhousie ने 15 वर्ष के बालक प्रिंस दुलीप सिंह को पंजाब से England भेजा। Lord Dalhousie ने उस बालक को पंजाब से england इसलिए भेजा था क्योंकि उस बालक की मां रानी जिन्दन का character अच्छा नहीं था इसलिए उसकी मां का असर उस बालक पर न पड़े इसलिए उसे उसकी मां से अलग करना ठीक रहेगा । इंग्लैंड में जाकर यह बालक Christian धर्म अपना लेता है और Queen Victoria के बेटे Edward 7th का अच्छा दोस्त बन जाता है । इस बालक की सारी जिम्मेदारी British Crown को दे दी जाती है तथा उसे stipend के रूप में 50000 pounds वार्षिक दिए जाते थे । महाराजा दिलीप सिंह सिख साम्राज्य के आखिरी शासक थे । यह हीरा एक मुर्गी के अंडे जितना बड़ा है । 

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