एक बार परसू नाम के एक व्यक्ति ने भोला नाम के व्यक्ति की जमीन को अपने कब्जे में कर के उसके साथ मार पिटाई भी की । फिर अदालत में उसका गुनाह साबित होने के कारण परसू को जेल हो गई । परसू बहुत दुखी था। उसने अपने वकील से कहा "इतने साल मैं जेल में रहूँगा तो मेरी खेती का क्या होगा ? क्या ऐसा नहीं हो सकता कि मैं भोला को कुछ पैसे दे दूँ और बात निपट जाए ?" वकील ने बताया ऐसा नहीं हो सकता है। तुमने भोला के साथ मारपीट की थी। अतः यह एक फौजदारी मामला है, अर्थात ऐसा अपराध है जो मारपीट से संबंधित है। मारपीट, चोरी, डकैती, मिलावट करना, रिश्वत लेना, खतरनाक दवाएँ बनाना - ये सब फौजदारी मामले हैं। इनमें जुर्म साबित होने पर जेल जाने की सजा अवश्य मिलेगी। सिर्फ ज़मीन जायदाद के मामलों में जेल की सज़ा नहीं होती। ये दीवानी मामले होते हैं। “दीवानी मामले क्या होते हैं ?" परसू ने पूछा । वकील ने कहा, "जब भी कोई जमीन जायदाद के झगड़े या मज़दूर- मालिक के बीच मज़दूरी के झगड़े, किसी के बीच पैसे के लेन-देन या व्यापार आदि के झगड़े होते हैं तो दीवानी मामले दर्ज कराए जाते हैं। जैसे तुम्हारी जमीन का झगड़ा था उस पर दीवानी मुकदमा चलाया जा सकता था। इनमें कैद की सज़ा तो नहीं होती पर जिस भी पक्ष को नुकसान सहना पड़ा है या जिसकी सम्पत्ति पर नाजायज़ कब्ज़ा किया गया है, उसे उस नुकसान का मुआवजा दिया जा सकता है या सम्पत्ति लौटाई जा सकती है। पर तुमने तो मारपीट भी की थी। इसलिए यह फौजदारी मुकदमा बन गया। इसमें तो भोला को पैसे देने से छुटकारा नहीं मिलेगा ।"
Monday, May 2, 2022
दीवानी और फौजदारी मामले Civil and Criminal C

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