India की न्यायपालिका Judiciary की structure india में न्यायपालिका Judiciary की बडी importance है । यह कार्यपालिका तथा व्यवस्थापिका से बिल्कुल अलग है तथा स्वतन्त्र रूप से कार्य करती है। India में नीचे से लेकर ऊपर तक सभी न्यायालय Courts एक ही व्यवस्था में संगठित हैं। जिला न्यायालय District Court, उसके ऊपर राज्यों के उच्च न्यायालय high Court तथा सबसे ऊपर भारत का उच्चतम (सर्वोच्च) न्यायालय Supreme Court होता है।
सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court )
यह Country का Highest अपीलीय न्यायालय Court है जो New Delhi में स्थित है। इसके निर्णय Country के सभी न्यायालय Court को मानने होते हैं।
न्यायाधीशों Judges की योग्यताएँ
- भारत का नागरिक हो ।
- वह किसी उच्च न्यायालय High court में कम से कम 5 वर्ष तक न्यायाधीश Judge के पद पर कार्य कर चुका हो ।
या
उच्च न्यायालय High Court में दस वर्ष तक वकालत कर चुका हो ।
या
भारत के राष्ट्रपति President of India की दृष्टि में कानून का विशेष ज्ञाता हो ।
वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय Supreme Court में मुख्य न्यायाधीश Chief justice सहित 34 न्यायाधीश judge हैं।
कार्यकाल Tenure
प्रत्येक न्यायाधीश Judge 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्य कर सकता है। असमर्थता तथा कदाचार का दोष प्रमाणित हो जाने पर संसद की सिफारिश पर राष्ट्रपति इन्हें पद से हटा भी सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय ( उच्चतम न्यायालय) के अधिकार Rights of Supreme Court
Constitution द्वारा उच्चतम न्यायालय Supreme Court को व्यापक अधिकार प्राप्त हैं। कुछ मुकदमों की प्रारम्भिक सुनवाई उच्चतम न्यायालय में ही होती है। वे मुकदमे जो संघीय सरकार तथा राज्यों अथवा केवल राज्यों के परस्पर विवादों के कारण उत्पन्न होते हैं यहाँ प्रारम्भ हो सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय Supreme Court भारतीय संविधान का संरक्षक व उसके प्रावधानों की व्याख्या करता है।
INDIA में सर्वोच्च न्यायालय SUPREME COURT अपील का अन्तिम न्यायालय है।
भारत का उच्चतम न्यायालय Supreme Court नागरिकों के मूल अधिकारों का संरक्षक है। यदि केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार किसी प्रकार से नागरिकों के मूल अधिकारों को छीनती है तो नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय Supreme Court जा सकता है।
राष्ट्रपति द्वारा माँगने पर उच्चतम न्यायालय Supreme Court राष्ट्रपति को कानूनी प्रश्नों पर परामर्श देता है या परामर्श देने से मना कर सकता है। राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय Supreme Court द्वारा दिए गए परामर्श को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है।
यदि संसद कोई ऐसा कानून बनाती है जो संविधान Constitution के प्रावधानों के विरुद्ध हैं तो उच्चतम न्यायालय Supreme Court उस कानून को असंवैधानिक घोषित करके रद्द कर सकता है।
इस प्रकार उच्चतम न्यायालय Supreme Court बहुत महत्त्वपूर्ण एवं शक्तिशाली है। उसके निर्णय के बारे में संसद में किसी प्रकार की चर्चा नहीं की जाती है। इसे अपनी मानहानि करने वाले को दण्ड देने का अधिकार प्राप्त है । अतः सच्चे अर्थों में यह सर्वोच्च है।
उच्च न्यायालय (High Court)
उच्च न्यायालय High court राज्य में शीर्ष न्यायालय होता है। भारत में कुल 25 उच्च न्यायालय High court हैं। उच्च न्यायालय high Court का अधिकार क्षेत्र कोई राज्य विशेष या राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों का एक समूह होता है, जैसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, पंजाब और हरियाणा राज्यों के साथ केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को भी अपने अधिकार क्षेत्र में रखता है। हमारे प्रदेश का उच्च न्यायालय High Court प्रयागराज में स्थित है। उच्च न्यायालय High Court में भी एक मुख्य न्यायाधीश Chief Justice तथा अन्य न्यायाधीश होते हैं। वे 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्य कर सकते हैं। उच्च न्यायालय न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
High Court के कार्य
- मौलिक अधिकारों की रक्षा करना ।
- अधीनस्थ न्यायालयों से आए विवादों पर कानून के अनुसार फैसले देना ।
- जनहित याचिकाओं पर फैसले सुनाना ।
- अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण और पर्यवेक्षण करना ।
जिला न्यायालय (District Court)
जिला न्यायालय District Court हर जिले में होता है जो दीवानी Civil और फौजदारी Criminal मामलों Cases की सुनवाई करता है। जिला न्यायालय District Court उस राज्य के उच्च न्यायालय High court के अधीनस्थ होता है। जिला न्यायाधीश District Judge की नियुक्ति उस राज्य के राज्यपाल Governor द्वारा की जाती है।
लोक अदालत
हमारे देश में मुकदमों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है। इस कारण नियमित न्यायालयों पर कार्य का भार बहुत बढ़ गया है। इससे मुकदमों के निपटारे में देर होती है तथा पैरवी में धन भी खर्च होता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर लोक अदालतों की स्थापना की गई। समय समय पर हर क्षेत्र / जिले स्तर पर लोक अदालतें लगायी जाती हैं।
लोक अदालतों ने शान्तिपूर्ण ढंग से दो पक्षों के मध्य समझौता कराकर विवादों को सुलझाने में बहुत सफलता पायी है। आइए, हम जानें कि किन-किन विषयों और क्षेत्रों में लोक अदालतें विवाद सुलझाती हैं -
• वाहन दुर्घटना मुकदमा ,
• पेंशन संबंधी मुकदमे
• समझौते योग्य फौजदारी मुकदमा
• उद्योगों और बैंको से संबंधित मुकदमे
• विवाह / पारिवारिक मुकदमे
• बिजली, गृहकर, गृहऋण संबंधी मुकदमा
• भूमि अधिग्रहण संबंधी मुकदमे
• उपभोक्ता संबंधी मुकदमे
परिवार न्यायालय (Family Court)
परिवार न्यायालय अधिनियम 1984 के तहत विभिन्न राज्यों में परिवार न्यायालयों का गठन हुआ। इन न्यायालयों का मुख्य कार्य विवाह संबंधी मामलों, नाबालिग बच्चों के संरक्षण आदि से संबंधित है।
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