हमारे चारों तरफ विभिन्न धातुओं Metals से बने विभिन्न उपकरण, वस्तुएँ, यंत्र आदि हैं जो हमारे प्रयोग में आते हैं। मानव विकास के क्रम में ताम्र युग Copper Age का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है।
इस युग में ताँबे Copper से बनी वस्तुओं एवं अस्त्रों का निर्माण हुआ। लोहे Iron की खोज ने औद्योगिक क्रान्ति Industrial revolution को जन्म दिया। बरतन, आभूषण, विद्युत उपकरण, यातायात के साधन आदि का निर्माण बिना धातुओं Metals के उपयोग के असम्भव है। जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहाँ धातुओं Metals का प्रत्यक्ष एवं परोक्ष उपयोग न होता हो। प्रकृति में उपलब्ध खनिजों Minerals से धातुओं Metals का निर्माण अनेक जटिल प्रक्रियाओं से गुजर कर होता है जिसमें अनेक भौतिक Physics एवं रासायनिक Chemical परिवर्तनों का सहारा लेना पड़ता है।
प्रकृति Nature में केवल कुछ ही धातुएँ Metals मुक्त अवस्था में पायी जाती हैं। उदाहरण के लिये सोना (Gold) तथा प्लैटिनम Platinum जैसी धातुएँ Metals तत्व Element के रूप में पाई जाती हैं। अधिकांश धातुएँ Metals प्रकृति Nature से यौगिक के रूप में पायी जाती हैं। इनमें सबसे अधिक उनके Oxide के रूप में पायी जाती हैं। लोहा Aluminium, Magneze आदि Oxide के रूप में पाये जाते हैं।
दूसरे स्थान पर धातुएँ Sulphide के रूप में पायी जाती हैं। इस श्रेणी में Copper (ताँबा), Led (सीसा), Zinc (जस्ता), Nickel आदि आते हैं।
प्रकृति में Silicate के रूप में खनिज Minerals बहुलता में पाये जाते हैं किन्तु सिलिकेट Silicate से धातुओं का निष्कर्षण कठिन होता है और इन पर खर्च अपेक्षाकृत अधिक होता है।
खनिज Minerals प्राकृतिक पदार्थ के रूप में
हम फल, सब्जी आदि को काटने हेतु चाकू तथा लकड़ी काटने हेतु कुल्हाड़ी का प्रयोग करते हैं। जैसा कि हम जानते हैं, चाकू और कुल्हाड़ी लोहे से बने होते हैं। इसी प्रकार घरों में बिजली आपूर्ति हेतु तार ताँबे Copper का बना होता है। क्या आपने कभी सोचा है कि लोहा Iron और ताँबा Copper आदि कहाँ से प्राप्त होते हैं ? वास्तव में ये खनिज Minerals पदार्थ के रूप में पृथ्वी की भू-पर्पटी से प्राप्त होते हैं। पृथ्वी के भू-पर्पटी का निर्माण विभिन्न प्रकार के तत्वों एवं यौगिकों Elements and Compounds से हुआ है। भू-पर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले अकार्बनिक तत्व अथवा यौगिकों को खनिज Minerals कहते हैं। जैसे- क्वार्ट्ज Quartz, Mica (अभ्रक), हेमेटाइट Hemetite, बॉक्साइट Boxite, अर्जेन्टाइट Argentite, ग्रेनाइट Granite। इनके अतिरिक्त और भी बहुत से खनिज Minerals प्रकृति में पाये जाते हैं। चट्टानें मुख्यतः सिलिकेटों Silicates की बनी हैं जो कि पृथ्वी पर सबसे सामान्य खनिज हैं।
खनिज Minerals कहाँ पाये जाते हैं ?
खनिज minerals पृथ्वी के तल पर, भू-पर्पटी में तथा समुद्र में पाये जाते हैं। Sodium Chloride NaCl, Sodium Iodide, Sodium Iodate आदि Minerals समुद्री जल में पाये जाते हैं। Minerals धातु तथा अधातु Metal and Non Metal दोनों प्रकार के हो सकते हैं। स्फटिक, क्वार्ट्ज, अभ्रक आदि अधातु खनिज Non Metalic Minerals हैं । खनिज,धातु व अधातु तत्वों के यौगिक भी हो सकते हैं, जैसे - Boxite (AI203.2H2O) नामक खनिज Aluminum (धातु) तथा Oxygen (अधातु) का यौगिक है। इसी प्रकार Copper Glans (Cu2S)भी ताँबा(धातु) तथा Sulpher (अधातु) का यौगिक है । अधिकांश धातुएँ संयुक्त अवस्था में अपने यौगिकों के रूप में प्राप्त होती हैं। प्रकृति में केवल कुछ ही धातुएँ मुक्त अवस्था में पायी जाती हैं। उदाहरण के लिए सोना Gold तथा प्लेटिनम Platinum जैसी Metals तत्व रूप में पायी जाती हैं। अन्य अधिकांश Metals प्रकृति में Compound के रूप में पायी जाती हैं। Aluminium, Iron और manganese जैसी अनेक Metals Oxide के रूप में तथा कुछ Metals Sulphide तथा Carbonate के रूप में पायी जाती हैं।
अयस्क Ore
सभी चट्टानों में कुछ न कुछ मात्रा में धात्विक खनिज Metallic Minerals पाये जाते हैं, परन्तु कुछ में Metal की मात्रा इतनी कम होती है कि उससे Metal को निष्कर्षित (निकालना) करना कठिन एवं बहुत महँगा पड़ता है । यदि Minerals में Metal अधिक होती है तो उससे Metal का निष्कर्षण सरल एवं लाभकर होता है। ऐसे Minerals, जिनसे Metal का निष्कर्षण अधिक मात्रा में सरलता से एवं कम लागत में हो जाता है, अयस्क (Ore) कहलाते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सभी Ore खनिज Minerals होते हैं परन्तु सभी खनिज Minerals अयस्क ore नहीं होते हैं । धात्विक खनिज (अयस्क) Metalic Minerals (Ore) किन-किन रूपों में पाये जाते हैं ?
अयस्क-धातुओं के Oxide, Sulphide, Sulphate तथा Carbonate के रूप में पाये जाते हैं । अधिकांश अयस्क Ore में केवल एक ही धातु Metal उपस्थित होती है।
Metal धातु - Ore अयस्क का नाम - Ore अयस्क का रूप
Magnesium- magnesite - carbonate
zinc - Calamine - carbonate
lead -galna - sulphide
copper - copper glance - sulphide
iron - hematite - oxide
aluminium - bauxite - oxide
silver - argentite- sulphide
calcium - gypsum - sulphate
भारत में Minerals की उपलब्धता
हम लोहा Iron, ताँबा Copper, चाँदी Silver तथा अन्य कई धातुओं से बनी वस्तुओं का उपयोग अपने दैनिक जीवन में करते हैं। हमारे देश में लोहा Iron, ताँबा Copper, सोना Gold, ऐलुमीनियम Aluminium आदि अनेक Metals पृथ्वी की भू-पर्पटी में उपस्थित Minerals से प्राप्त की जाती हैं। कुछ Metals हमारे देश में उपलब्ध नहीं हैं। अतः हम उन Metals को अन्य देशों से आयात करते हैं। आइए अपने देश में पाये जाने वाले Minerals के बारे में जानकारी प्राप्त करें। भारत में पाये जाने वाले Minerals एवं उनके प्राप्ति स्थान निम्नलिखित हैं : -
धातु का नाम - अयस्क का नाम - प्राप्ति स्थान
लोहा iron - hematite - बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक,तमिलनाडु, छत्तीसगढ़
ताँबा copper - कॉपर पाइराइट copper pyrite - आन्ध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान
सोना gold - (मुक्त अवस्था में) - कोलार खान-कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश
Aluminium - bauxite - मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, उड़ीसा, तमिलनाडु, गुजरात, जम्मू-कश्मीर
calcium - चूना पत्थर - यह सभी राज्यों में पाया जाता है । - संगमरमर के रूप में यह राजस्थान तथा मध्य प्रदेश में पाया जाता है ।
इन धात्विक खनिजों के अतिरिक्त देश में कुछ अधात्विक खनिज जैसे अभ्रक, कोयला, petroleum पाये जाते है। petroleum द्रव अवस्था में भू-पर्पटी से प्राप्त किया जाता है। इसलिए इसे खनिज तेल mineral oil भी कहते हैं। अपने देश में इनकी उपलब्धता निम्नलिखित प्रदर्शित है -
अधातु का नाम - अधात्विक खनिज - प्राप्ति स्थान
Silicon एवं Oxygen - अभ्रक - बिहार, उड़ीसा, तमिलनाडु, राजस्थान ।
कार्बन - संगमरमर/चूना पत्थर - राजस्थान
कार्बन एवं हाइड्रोजन - पेट्रोलियम - गुजरात, असम, अरब सागर के तटीय क्षेत्र तथा कावेरी कृष्णा, गोदावरी के मुहानों पर।
कार्बन - कोयला - पश्चिम बंगाल, बिहार, तमिलनाडु
भारत में सोना, ताँबा, zinc (जस्ता) तथा tungsten खनिजों की उपलब्धता बहुत कम है तथा Platinum खनिज का पूर्ण अभाव है।
अयस्क प्रकृति में पाया जाने वाला वह खनिज है जिसमें एक या एक से अधिक धातुओं / अधातुओं को लाभदायक रूप से निष्कर्षित किया जा सकता है। अयस्क से धातु/अधातु प्राप्त करने और उन्हें विभिन्न उपयोगों के लिये शुद्ध करने के विज्ञान को धातुकर्म (Metallurgy) कहते हैं।
कुछ अयस्कों में प्रमुख धातु के अतिरिक्त अन्य धातु भी उपस्थित हो सकते हैं, जैसे - तांबे के अयस्क calco pyrite (CuFeS2) में ताँबा, chromium के अयस्क chromite (FeCr2O4) में chromium, titanium के अयस्क ilmenite (FeTiO3) में titanium, के अतिरिक्त अन्य धातु iron (लोहा) भी उपस्थित होता है।
धातुओं एवं अधातुओं के भौतिक गुण
भौतिक अवस्था
सामान्य ताप पर प्रायः सभी धातुएँ ठोस होती हैं परन्तु पारा Mercury (Hg) द्रव होता है। सामान्य ताप पर अधिकांश अधातुएँ गैसीय अवस्था में होती हैं। iodine carbon sulphur silica इत्यादि ठोस के रूप में तथा bromine द्रव अवस्था में होती हैं।
कठोरता
sodium धातु का टुकड़ा ले कर उसे छन्ना कागज से सुखा लें। धातु के टुकड़े को चाकू से काटें। क्या देखते हैं? sodium धातु का टुकड़ा आसानी से कट जाता है। अब लोहा, copper, zinc आदि के टुकड़े को भी चाकू से काटें। क्या इन धातुओं को चाकू से काटा जा सकता है? धातुएं प्रायः कठोर होती हैं अतः उन्हें काटना अत्यधिक कठिन होता है।
Sodium, potassium, magnesium तथा पारा को छोड़कर अन्य सभी धातुएं कठोर होती हैं। अधिकांश अधातुएँ मुलायम होती हैं। Carbon का अपररूप हीरा diamond सबसे कठोर होता है।
चमक
यदि आप धातुओं की सतह को उन्हें काटने के तत्काल बाद देखें तो आप पायेंगे कि वह दिखने में चमकदार होती हैं। इसे धात्विक (Metallic) चमक कहते हैं। धातुओं की यह चमक उन्हें आभूषण और सजावट की वस्तुएं बनाने के लिए उपयोगी बनाती हैं। अधातुएँ, धातुएँ के समान चमकीली नहीं होती हैं।
अघातवर्धनीयता infallibility
aluminium, Copper तथा iron का छोटा टुकड़ा ले कर उसे हथौड़े से पीटें। क्या देखते हैं ? हथौड़े से पीटने पर धातु के टुकड़े पहले की अपेक्षा और अधिक चपटे हो जाते हैं। धातुओं को पीट कर (आघात पहुँचा कर) चादरों के रूप में परिवर्तित करने के गुण को "अघातवर्धनीयता" infallibility कहते हैं। silver तथा gold में अघातवर्घनीयता infallibility का गुण अधिक होता है जबकि जस्ता कम अघातवर्धनीय infallibility है। अधिकांश ठोस अधातुएँ पीटने पर भंगुर (Brittle) हो जाती हैं।
तन्यता Ductility
धातुओं को खींच कर तार बनाया जा सकता है। धातुओं को तार के रूप में परिवर्तित करने के गुण को "तन्यता" Ductility कहते हैं। आपने ताँबे, Aluminium और iron के तार देखें होंगे। हमारे घरों में विद्युत सम्बन्धी कार्यों में ताँबे तथा Aluminium के तारों का उपयोग होता है। तार जाली को बनाने के लिए लोहे के तारों का प्रयोग किया जाता है। अधातु में Ductility का गुण नहीं पाया जाता है।
सोने की इतनी पतली चादर बनायी जा सकती है कि 20 लाख चादरों की मोटाई केवल एक सेन्टीमीटर होगी।
एक ग्राम सोने से लगभग 2 किलोमीटर लम्बा तार बनाया जा सकता है।
धातु-अधातु में अन्तर
धातु-अधातु में निम्नलिखित अन्तर पाया जाता है -
गुण - धातु - अधातु
भौतिक अवस्था - ठोस, कठोर,चमकदार - द्रव व गैस ( ठोस - कार्बन, सल्फर, आयोडीन, फास्फोरस )
घनत्व/गलनांक - अधिक (सोडियम अपवाद) - कम
ऊष्मीय एवं विद्युत चालकता - सुचालक - कुचालक
अघातवर्धनीयता/तन्यता - अघातवर्धनीय एवं तन्य - भंगुर एवं तन्यता विहीन
जल से क्रिया - सामान्य ताप पर क्रिया करके H2 गैस निकालती है - सामान्य ताप पर क्रिया नहीं
धातुओं का घरेलू एवं औद्योगिक उपयोग
दैनिक जीवन में अनेक उद्देश्यों के लिए धातुओं का उपयोग होता है। वाहनों, हवाई जहाजों, रेलगाड़ियों, उपग्रहों, औद्योगिक उपकरणों आदि को बनाने में अत्यधिक मात्रा में धातुएँ प्रयुक्त होती हैं। लोहा सबसे अधिक उपयोग में आने वाली धातु है। यह जहाँ एक ओर पिन, कील आदि छोटी वस्तुएं बनाने के लिए उपयोग में लायी जाती है वहीं दूसरी ओर भारी उपकरणों के निर्माण में भी इसका उपयोग किया जाता है। Aluminium भी एक अन्य अत्यधिक उपयोग में आने वाली धातु है इसका उपयोग अधिकांश घरेलू बर्तनों को बनाने के लिए किया जाता है। धातुएँ Heat की सुचालक होती है। अतः उनका बर्तन और Broiler बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
इस कार्य के लिए लोहा, Copper तथा Aluminium का उपयोग किया जाता है। Copper का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग विद्युत उपकरण बनाने में किया जाता है। आजकल विद्युत केबल बनाने के लिए Aluminium के तारों का भी उपयोग होने लगा है।
Gold और Silver का उपयोग आभूषण बनाने के लिए होता है। Gold और Silver सबसे अधिक आघातवर्ध्य है। इसलिए इनकी पतली चादरें बनायी जा सकती हैं। आपने Silver की पतली पन्नियों को मिठाइयों को सजाने के लिए उपयोग करते देखा होगा। खाने की वस्तुएँ, दवाइयों, चॉकलेट एवं सिगरेट की पैकिंग के लिए Aluminium की पन्नियों का उपयोग किया जाता है।
धातुओं का संक्षारण (Corrosion) / धातुओं में जंग लगना
आपने देखा होगा कि लोहे की कील, पेंच, पाइप और रेलिंग यदि कुछ समय तक वायु में खुले पड़े रहें तो उनकी सतह पर लाल, भूरे रंग की परत जम जाती है। धातु की सतह पर उसका यौगिक बनकर धातु की एक-एक परत के रूप में उतरने से धातु का नष्ट होना Corrosionकहलाता है। लोहे के Corrosion को जंग लगना कहते हैं। लोहे पर भूरी परत (जंग) iron oxide के बनने के कारण होती है। इससे धातु धीरे-धीरे Oxide में परिवर्तित होकर नष्ट होती रहती है। इसी प्रकार Aluminium की सतह पर Aluminium Oxide की परत जम जाती है जिससे उसकी धात्विक चमक नष्ट हो जाती है |
तीन Testtube लें। प्रत्येक परखनली Testtube में दो या तीन लोहे की कील डाल दें। एक Testtube परखनली में थोड़ा सा निर्जल Calcium Chloride लें। (निर्जल calcium Chloride वायु में उपस्थित नमी को अवशोषित करता है) दूसरी Testtube में उबला हुआ पानी(Oxygen विहीन जल) लें जंग रहित कील जंग रहित कील तथा तीसरे में साधारण नल का जंग लगी हुई कील पानी लें। तीनों परखनलियों के मुख को Cork द्वारा बन्द करके रख दें। चार-पाँच दिन बाद तीनों Testtube का अवलोकन करें। क्या दिखाई देता है ?
पहली तथा दूसरी Testtube की कीलों में जंग नहीं लगता है जबकि तीसरी Testtube की कीलों में जंग लग जाता है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि जंग वायु (Oxygen) तथा नमी की उपस्थिति में लगता है।
लोहे तथा ऐलुमीनियम का Corrosion वायुमंडलीय oxygen एवं नमी की उपस्थिति में Oxide बनने के कारण होता है।
ताँबे के बरतन पर हरे रंग की Copper Carbonate की परत तथा Silver के ऊपर काले रंग की Silver Sulphide की परत बनने के कारण इन धातुओं का Corrosion होता है |
Aluminium, ताँबा, लोहा तथा जस्ता के टुकड़ों पर कुछ बूंदे तनु Hydrochloric अम्ल डालेंने पर धातु पर झाग (बुलबुला) सा उठता दिखाई देता है।
अब धातु के टुकड़ों को जल से धो कर उसकी सतह को उसी स्थान पर छू कर देखें जहाँ आप ने अम्ल की बूंद गिरायी थी। आप देखेंगे की धातु की सतह खुरदुरी हो जाती है।
धातु अम्ल के साथ क्रिया करके लवण तथा Hydrogen Gas बनाते हैं। जैसे - Aluminium धातु Hydrochloric अम्ल के साथ क्रिया करके Aluminium Chloride तथा Hydrogen Gas बनाती है।
Aluminium + Hydrochloric अम्ल = Aluminium Chloride + Hydrogen Gas गैस
अम्ल के साथ रासायनिक क्रिया के कारण भी धातुओं का Corossion होता है।
धातुओं को संक्षारण Corrosion से कैसे बचाया जा सकता है ?
धातुओं की Corossion द्वारा हानि से देश की अर्थव्यवस्था को बहुत हानि पहुँचती है। धातुओं को क्षरण से बचाने के लिए आवश्यक है कि धातु को नमी तथा हवा (Oxygen) से बचाया जाय। धातुओं को क्षरण से बचाने के लिए निम्नलिखित विधियों का उपयोग किया जाता है
(1) पेंट का लेप चढ़ा कर
धातु की वस्तुओं की सतह पर पेंट लगाकर उसे Corossion से बचाया जा सकता है। इसी कारण स्टील के फर्नीचर, लोहे के पुल, रेल के डिब्बे, बस, ट्रक आदि को पेंट किया जाता है। हमारे घरों में भी लोहे और स्टील से बनी हुयी कई वस्तुओं पर पेन्ट किया जाता है ताकि वे जंग से सुरक्षित रहें।
(2) ग्रीस या तेल लगाकर
आपने देखा तेल या ग्रीस की परत भी धातु का वायु और नमी से सम्पर्क समाप्त कर उसके Corossion को रोकती होगा कि नए औजारों जैसे - कैंची,चाकू पर ग्रीस या तेल लगाकर रखा जाता है ताकि उन पर जंग न लगे।
(3) गैल्वोनीकरण (धातु चढ़ाना) (Galvanization) Galvanization
कैसे किया जाता है ? लोहे को जंग से बचाने के लिये लोहे की चादर या अन्य पात्र को पिघले हुए जस्ते में डुबा देते हैं, जिसके कारण लोहे पर जस्ते की एक पतली परत जम जाती है। इसे Galvanization कहते हैं। घरों की छते बनाने के लिए प्रयुक्त लोहे की चादरों, बाल्टियों और ड्रमों को Corossion से बचाने के लिए उनका गैल्वोनीकरण किया जाता है।
(4) विद्युत लेपन (Electroplating)
कुछ धातु जैसे chromium, Nickel तथा Tin वायुमंडल में उपस्थित Oxygen एवं नमी से प्रभावित नहीं होते हैं। लोहे का Corossion रोकने के लिए उसके चारों ओर Chromium या टिन की Electroplating की जाती है। Aluminium के ऊपर Aluminium Oxide की परत जम जाने से उसकी चमक नष्ट हो जाती है किन्तु उसका Corossion रुक जाता है। Aluminium को Corossion से बचाने के लिए उसके ऊपर Aluminium Oxide का विद्युत लेपन कर दिया जाता है।
(5) मिश्र धातु बना कर
कभी-कभी एक धातु में दूसरी धातु या अधातु मिलाने पर वह अधिक कठोर, स्थायी तथा संक्षारण से सुरक्षित हो जाता है। स्टेनलेस Steel, लोहा तथा Carbon का मिश्र धातु है जिसमें आसानी से जंग Corossion नहीं लगता है।
मिश्र धातु (Alloy)
अनेक बार शुद्ध रूप में धातु को आवश्यक उद्देश्यों के लिए उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। धातु में अन्य धातुओं अथवा अधातुओं की उचित मात्रा मिलाकर उसमें वांछित गुण-धर्म प्राप्त किये जा सकते हैं। ऐसे मिश्रण को मिश्र धातु Alloy कहते हैं। अर्थात Alloy दो या अधिक धातुओं या अधातु का समांगी मिश्रण है। दो या दो से अधिक धातुओं को पिघली हुई अवस्था में मिलाने पर Alloy प्राप्त होता है।
Alloy के भौतिक एवं धात्विक गुण अपने मूल धातु के गुणों से भिन्न एवं श्रेष्ठ होते हैं। स्थायित्व, चमक एवं श्रेष्ठ गुणों के कारण दैनिक जीवन में इनका अधिक उपयोग होता है। कुछ प्रचलित मिश्र धातुओं का संगठन इस प्रकार है।
मिश्र धातु Alloy - अवयवी धातु - उपयोग
पीतल - तांबा एवं जस्ता - बर्तन,तार,वाद्ययन्त्र, सजावट की वस्तुएं बनाने में
काँसा - ताँबा एवं Tin - सिक्का, घण्टा, मेडल तथा गहने बनाने में
सोल्डर - सीसा एवं टिन - विद्युत परिपथों में टाँका लगाने में
स्टेनलेस स्टील - लोहा, क्रोमियम, निकिल - बर्तन, उपकरण, छूरी, कांटे बनाने में
मिश्र धातु Alloy के विशिष्ट गुण
(1) मिश्र धातु Alloy प्रायः मूल धातु से कठोर होती हैं। शुद्ध सोना Gold बहुत मुलायम होता है, इसलिए इससे आभूषण नहीं बनाया जा सकता है। सोने में थोड़ा ताँबा (Copper) मिलाने पर यह कठोर एवं आभूषण बनाने के लिए उपयोगी हो जाता
(2) मिश्र धातुओं Alloy का वायु तथा नमी के कारण क्षरण नहीं होता है। लोहे में Chromium मिलाने पर स्टेनलेस Steel प्राप्त होता है, जिसमें जंग नहीं लगता।
(3) मिश्र धातुओं Alloy का रासायनिक यौगिकों द्वारा क्षरण नहीं होता है।
(4) मिश्र धातुओं Alloy के गुण उनके अवयवी धातुओं के गुणों से भिन्न होते हैं,जैसे-Solder, सीसा तथा Tin का मिश्र धातु है। Solder का गलनांक सीसा तथा टिन दोनों के गलनांक से कम होता है। इसी कारण इसका उपयोग धातुओं के टुकड़ों अथवा तारों को जोड़ने में किया जाता है।
Pig Iron
वात्या भट्ठी से प्राप्त लोहा “Pig Iron"' (कच्चा लोहा या ढलवा लोहा) कहलाता है। इसमें 93% लोहा, 4-5% Carbon तथा शेष Sulpher, phosphorus, Silicon की अशुद्धियाँ उपस्थित होती हैं। जिसके कारण इसका गलनांक कम होता है यह भंगुर होता है। इसका उपयोग Pipe, Storage टंकी, नहाने के टब, कूड़ादान आदि बनाने में किया जाता है।
इस्पात
यह लोहे का एक दूसरा रूप है जिसमें iron 98.8% से 99.8%, कार्बन 0.25% से 1.5 % शेष (Si, P, S, Mn) की अशुद्धियाँ पायी जाती हैं। इसका उपयोग मोटर, गाड़ी, नट बोल्ट आदि के निर्माण में किया जाता है। pig iron तथा इस्पात भी एक प्रकार की मिश्र धातु है।
सभी अयस्क Ore Minerals हैं किन्तु सभी खनिज Minerals Ore नहीं है।
सामान्यतया सभी धातुएँ कठोर, चमकीली, अघातवर्धनीय एवं तन्य होती हैं।
अधिकांश अधातुएँ गैसीय एवं द्रव अवस्था में पायी जाती हैं।
कुछ सक्रिय धातुएँ जल से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस निकालती हैं।
धातुओं का घरेलू तथा औद्योगिक स्तर पर अत्यधिक प्रयोग होता है।
धातुओं को संक्षारण से बचा कर हम अर्थव्यवस्था में सुधार ला सकते हैं।
स्थायित्व, चमक एवं श्रेष्ठ गुणों के कारण मिश्र धातुओं का उपयोग बढ़ता जाता है।
तत्वों को धातु तथा अधातु में वर्गीकृत किया गया है germanium arsenic तथा antimony जैसे तत्व है जिनमें धातु तथा अधातु दोनों के ही गुण पाए जाते हैं इन तत्वों को उपधातु मैटेलॉयड metalloid कहते हैं |
sodium तथा potassium के अधिक क्रियाशील होने के कारण इन्हें ऑक्सीकरण (oxygen के साथ जुड़ना) से बचाने के लिए मिट्टी के तेल में डूबा कर रखते हैं ।
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