microorganism का सामान्य परिचय हमारे आस-पास अनेक प्रकार के पौधे एवं जीव-जन्तु पाए जाते हैं जिनसे हम परिचित हैं परन्तु अनेक जीव ऐसे भी हैं जिन्हें हम देख नहीं पाते हैं। ये जीव आकार में अत्यन्त छोटे होते हैं। इन्हें microscope की सहायता से देखा जाता है। उदाहरण के लिए आपने देखा होगा कि वर्षा ऋतु में जब नम Bread या रोटी सड़ने लगती है तब इसकी सतह पर कालेसफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं। इन धब्बों को Magnified Lens से देखने पर काले रंग की गोल सूक्ष्म संरचनाएं दिखाई देती हैं।
Microorganism को देखने के लिए क्रियाकलाप
रोटी/Bread के टुकड़े को लेकर उसके ऊपर पानी छिड़क कर नम कीजिए। इस टुकड़े को किसी डिब्बे में बन्द करके 45 दिनों के लिए रख दीजिए। ध्यान रह कि डिब्बे को बार-बार खोलना नहीं है। 4-5 दिनों के बाद टुकड़े पर उग आई रचनाओं का हैण्डलेन्स की सहायता से अवलोकन कीजिए उपरोक्त क्रियाकलाप में आपको Hand lens से देखने पर कुछ हरे, स्लेटी रंग की धागेनुमा संरचना खाई देती हैं। यह microorganism हैं। इसे केवल आँखों से नहीं देखा जा सकता है। इन्हें देखने के लिए microscope यंत्र की आवश्यकता पड़ती है। microorganism के बारे में यह धारणा बनी है कि ये केवल बीमारियाँ ही फैलाते हैं परन्तु यह बात पूरी तरह सही नहीं है। Microorganism हमारे लिए उपयोगी व हानिकारक दोनों है।
Microorganism की उपस्थिति
Microorganism सर्वव्यापी होते हैं अर्थात् ये हवा, पानी, मिट्टी, पौधों एवं जन्तुओं के शरीर के अन्दर एवं बाहर सभी जगह ये जाते हैं। ये अत्यन्त विषम पर्यावरण एवं प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे बर्फ, गर्म पानी के झरनों, समुद्र की तली, दलदल आदि जगहों पर भी पाये जाते हैं। अनेक microorganism सड़े-गले पदार्थों में मृतोपजीवी के रूप में रहते हैं। कुछ microorganism, जन्तुओं और पौधों में परजीवी parasite के रूप में भी पाये जाते हैं। जैसे एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका मनुष्य की आंत में परजीवी parasite के रूप में पाया जाता है जो पेचिस dysentery नामक रोग उत्पन्न करता है। इसी प्रकार नीबू के पौधों पर जैन्थोमोनास साइट्री नामक जीवाणु Bacteria कैंकर नामक रोग उत्पन्न करता है।
Microorganism का वर्गीकरण
Microorganism को सामान्यतः निम्नलिखित पाँच समूहों में बाँटा जाता है -
1. जीवाणु Bacteria
2. विषाणु Virus
3. Protozoa
4. कवक Fungus
5. शैवाल Algae
जीवाणु Bacteria (बैक्टीरिया)
ये एककोशिक Unicellular जीव होते हैं जो हवा, मिट्टी, जल सभी स्थानों पर पाये जाते हैं। परन्तु नमीयुक्त स्थानों पर इनकी संख्या अधिक होती है। ये गोलाकार, दण्डाकार या सर्पाकृत आकार वाले होते हैं। जीवाणु Bacteria की कोशिका Cell में केन्द्रक nucleus nucleus नहीं पाये जाते हैं। इनकी कोशिका Cell Cell के चारों ओर कोशिका Cellभित्ति CellWall होती है। कुछ जीवाणु Bacteriaओं की कोशिका Cell अपने चारों ओर एक कठोर आवरण बनाती है जिसे कैप्सूल कहते हैं। कुछ जीवाणु Bacteria में एक या अनेक धागे जैसी संरचना पायी जाती है जिसे कशाभिका flagellum कहते हैं। कशाभिका flagellum के द्वारा जीवाणु Bacteria गति करता है। अनुकूल परिस्थितियों में जीवाणु Bacteriaओं में बहुत तेजी से प्रजनन Reproduction क्रिया होती है।
Cyanobacteria (नील-हरित शैवाल Algae) को पहले शैवाल Algae के समूह में रखा जाता था परन्तु अब इन्हें जीवाणु Bacteria के साथ मोनेरा समूह में रखा जाता है। इनका रंग नीला-हरा होता है तथा ये प्रकाश-संश्लेषण Photosynthesis द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। दूसरे शब्दों में ये स्वपोषी autotrophic होते हैं। इनकी कोशिका Cell cell के चारों ओर श्लेष्मा mucous का आवरण होता है। अनेक cyanobacteria में heterocyst नामक विशेष कोशिका Cellयें पायी जाती हैं। cyanobacteria nitrogen का fixation करते हैं और हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। spirulina नामक cyanobacteria को भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है।
विषाणु Virus
दरअसल सभी microorganism में विषाणु Virus सबसे सूक्ष्म होते हैं। ये न्युक्लिक अम्ल nucleic acid तथा Protein के बने होते हैं। ये पूर्ण परजीवी parasite होते हैं और स्वतंत्र रूप से अपना विभाजन नहीं कर पाते हैं। प्रजनन Reproduction के लिए इन्हें सदैव किसी जीवित कोशिका Cell की आवश्यकता होती है। विषाणु Virus द्वारा पौधों, जन्तुओं एवं मनुष्यों में अनेक प्रकार के घातक रोग उत्पन्न होते हैं - जैसे मनुष्य में Chickenpox, Polio, Hepatitis, Dengue, Chikungunya आदि।
विषाणु Virus की खोज दामित्री एवोनोवस्की Dmitry Avonovsky नामक रूसी वैज्ञानिक ने सन् 1892 में किया था। विषाणु Virus सजीव व निर्जीव के बीच की कड़ी होते हैं।
Protozoa
Protozoa भी Microorganism का एक समूह है। इस संघ के जीव एककोशिक unicellular होते हैं। ये जल, मिट्टी तथा जीवों के शरीर में पाये जाते हैं। protozoa संघ के जीव स्वतंत्र रूप में या अन्य जीवों के शरीर में परजीवी parasite के रूप में पाये जाते हैं। इनमें प्रचलन के लिए विशेष संरचनाएँ होती हैं। जैसे - अमीबा में कूटपाद, पैरामीशियम में सीलिया (Pruned in amoeba, cilia in Paramecium)
कई बार इस संघ के कुछ जन्तु मनुष्यों में रोग उत्पन्न करते हैं। जैसे - entamoeba histolytica से पेचिस dysentery तथा प्लाज्मोडियम plasmodium द्वारा मलेरिया Malaria नामक रोग होता है।
कवक Fungus
कवक Fungus को फफूंद fungus भी कहा जाता है। इन्हें अक्सर हम अपने घरों में रोटी, ब्रेड, अचार तथा चमड़े की वस्तुओं पर उगते हुए देखते हैं। बरसात के दिनों में कूड़े करकट पर उगने वाली छातेनुमा संरचना कुकरमुत्ता भी एक प्रकार का कवक Fungus है।
कवक Fungus में अनेक लम्बी धागे जैसी संरचनाएँ होती हैं जिसे कवक Fungus तंतु कहते हैं। कवक Fungus तन्तु एककोशिक unicellular या बहुकोशिक multicellular होते हैं और आपस में मिलकर कवक Fungus जाल बनाते हैं। कवक Fungus की कोशिका Cell में एक या अधिक केन्द्रक nucleus पाया जाता है।
कवक Fungus हमारे लिए लाभदायक तथा हानिकारक दोनों होते हैं। उदाहरण के लिए मशरूम भोजन के रूप में तथा पेनीसिलियम नामक कवक Fungus से penicillin नामक antibiotic दवा बनाई जाती है। Puccinia नामक कवक Fungus गेहूँ में रोग उत्पन्न करता है। मनुष्य में कवक Fungus द्वारा उत्पन्न होने वाला रोग मुख्यतः दाद है। कई बार सिर में होने वाले दाद से व्यक्ति गंजा भी हो जाता है।
सन् 1929 में Alexander Fleming जीवाणु Bacteria रोगों से बचाव हेतु एक संवर्धन पर प्रयोग कर रहे थे। अचानक उन्होंने संवर्धन तश्तरी पर हरे रंग की फफूंद fungus के छोटे बीजाणु देखे। उन्होंने पाया कि यह फफूंद fungus जीवाणु Bacteria की वृद्धि को रोकते है। इस प्रकार बहुत सारे जीवाणु Bacteria पेनसिलियम नामक इस कवक Fungus द्वारा मारे गए। इस प्रकार फफूंद fungus से पेनिसिलीन नामक औषधि का निर्माण हुआ।
शैवाल Algae
शैवाल Algae को सामान्य भाषा में काई भी कहते हैं। ये सामान्यतः जल में पाये जाते हैं। कुछ शैवाल Algae जैसे chlorella, Chlamydomonas और Diatoms एककोशिक unicellular होते हैं परन्तु अधिकांश शैवाल Algae, बहुकोशिक multicellular होते हैं। इनका शरीर सुकाय (thallus) होता है अर्थात इनमें जड़, तना, पत्ती का अभाव होता है। इनमें केन्द्रक nucleus पाया जाता है। शैवाल Algae हमारे लिए लाभदायक होते हैं। ये भोजन तथा चारे के रूप में भी उपयोग किये जाते हैं। chlorella नामक शैवाल Algae से chloralene नामक antibiotic दवा बनायी जाती है। cephaluros viriscens नामक हरा शैवाल Algae चाय की फसलों पर रोग उत्पन्न करता है। नदियों तथा समुद्रों में पाये जाने वाले diatoms का उपयोग टूथपेस्ट, तापरोधी ईंट तथा वार्निश एवं पेंट बनाने में होता है।
उपयोगी Microorganism एवं उनके प्रभाव
Microorganism मनुष्य के लिए अत्यन्त उपयोगी होते हैं। मनुष्य Microorganism (जीवाणु Bacteria) का उपयोग दही, सिरका तथा शराब बनाने में बहुत पहले से करता रहा है। दूध से दही बनाने में lactobacillus नामक जीवाणु Bacteria सहायक है। पनीर, सिरका, जेड और खमीर आदि बनाने में यीस्ट नामक फफूंद fungus का विशेष योगदान है। इसके अतिरिक्त microorganism का हमारे जीवन में उपयोग निम्नलिखित है -
1. Antibiotic दवाएँ
Microorganism द्वारा अनेक Antibiotic दवाइयाँ बनाई जाती हैं। Antibiotic दवाएँ वह दवाएँ हैं जो रोग फैलाने वाले जीवाणु Bacteria के प्रतिरोध में प्रयुक्त होती हैं और शरीर में पहुँचते ही इन रोगाणुओं को नष्ट कर देती है। Antibiotic दवाओं का उपयोग Microorganism द्वारा होने वाले अनेक रोग जैसे टी.बी. हैजा, टायफायड, निमोनिया आदि के उपचार में किया जाता है। Antibiotic दवाएँ जैसे Penicillin फफूंद Fungus से, Streptomycin जीवाणु Bacteria से तथा Chloralene शैवाल Algae से बनाई जाती है।
2. नाइट्रोजन स्थिरीकरण Nitrogen Fixation
अपने खेत में लगे चना/मटर/अरहर के पौधे को जड़ सहित उखाड़िए। इस बात का ध्यान रखें कि उखाड़ते समय जड़े टूटनी नहीं चाहिए। पौधे की जड़ को धोकर अवलोकन करें। क्या देखते हैं ?
आप देखेंगे कि इन पौधों की जड़ों में गाँठे पायी जाती है। इन गाँठों में Rhizobium नामक जीवाणु Bacteria पाये जाते हैं। ये जीवाणु Bacteria वायुमण्डल की मुक्त नाइट्रोजन को नाइट्रेट व नाइट्राइट में बदल देते हैं अर्थात् नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते हैं। इससे भूमि की उर्वरता बढ़ती है।
इसके अतिरिक्त कुछ जीवाणु Bacteria जैसे Azotobacter, स्वतंत्र रूप से मिट्टी में रहते हैं और नाइट्रोजन स्थिरीकरण की क्रिया करते रहते हैं। इसी प्रकार cyanobacteria जैसे Nostack, anabaena, cytonema, oscillatoria का उपयोग धान के खेतों में जैव उर्वरक के रूप में करते है।
3. Microorganism द्वारा कार्बनिक Organic पदार्थों का अपघटन
कुछ Microorganism पौधों एवं जन्तुओं के मृत शरीर पर पलते हैं। वे यहाँ वृद्धि करके जटिल कार्बनिक Organic पदार्थों को मार अकार्बनिक Organic पदार्थों में अपघटित कर देते हैं। इससे पौधों एवं जन्तुओं का मृत शरीर सड़ कर नष्ट हो जाता है और अंततः मृत शरीर के तत्व मिट्टी में मिल जाते हैं। इस प्रकार Microorganism मृदा में उपयोगी पोषक तत्व संचित करते है और भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं।
कल्पना कीजिए कि यदि मृत पौधों एवं जन्तुओं के शरीर का अपघटन करने वाले Microorganism (जीवाणु Bacteria एवं फफूंद Fungus न होते तो क्या होता ? ऐसी अवस्था में सभी मृत पौधों एवं जन्तुओं का शरीर वातावरण में पड़ा रहता और इनका अपघटन (सड़ता) नहीं होता और न ही खनिज पदार्थों का पुनःचक्रण होता।
4. भोजन Food के रूप में
कुछ Microorganism का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है। यीस्ट में प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है। इसका प्रयोग खाद्य पदार्थ के रूप में होता है। Agaricus तथा Marquela (गुच्छी) नामक कवक Fungus सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है। Spirulina नामक Cyanobacteria में प्रोटीन की मात्रा अत्यधिक होती है। इसका भी उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है।
5. उद्योग धन्धों में
Microorganism का उपयोग अनेक प्रकार के उत्पादों को तैयार करने में किया जाता है। जैसे - Yeast (कवक Fungus) का उपयोग डबल रोटी बनाने, जीवाणु Bacteria का उपयोग दुग्ध उद्योग, सिरका उद्योग, तम्बाकू उद्योग, चाय उद्योग तथा चमड़े के उद्योग में किया जाता है।
6. आनुवंशिक अभियांत्रिकी genetic engineering में
कुछ microorganism का उपयोग genetic engineering में भी हो रहा है। जैसे - Escherichia coli, yeast आदि।
हानिकारक Microorganism के प्रभाव
Microorganism द्वारा मनुष्यों, जन्तुओं और पेड़-पौधों में अनेक रोग होते हैं। जीवाणु Bacteriaओं द्वारा मनुष्य में तपेदिक, हैजा, निमोनिया, टायफायड आदि रोग होते हैं। दाद नामक रोग Trichophyton और Microsporum नामक कवक Fungus द्वारा होता है। जन्तुओं में अनेक रोग जैसे भेड़ का anthrax रोग bacillus anthesis नामक जीवाणु Bacteria द्वारा होता है। पौधों में अनेक रोग जैसे नींबू का कैंकर रोग xanthomonas नामक जीवाणु Bacteria द्वारा तथा आलू की पछेता अंगमारी नामक रोग phytophthora infestans नामक कवक Fungus द्वारा, गेहूँ का काला (स्तम्भ) किट्ट Puccinia नामक कवक Fungus द्वारा होता है।
कुछ microorganism खाद्य पदार्थों को नष्ट कर देते हैं। जैसे - Rhizopus, Mucor आदि कवक Fungus रोटी, ब्रेड, अचार, मुरब्बा आदि को नष्ट कर देते हैं। इसी प्रकार clostridium botulinum नामक जीवाणु Bacteria खाद्य पदार्थ को विषाक्त कर देते हैं।
कुछ microorganism (जीवाणु Bacteria)जैसे Thiobacillus Dystrophicens Nitrate को नाइट्रोजन तथा अमोनिया में बदल देते हैं जिससे भूमि की उर्वरता में कमी हो जाती है।
इसी प्रकार कुछ microorganism इमारती लकड़ी पर उग करके उसे नष्ट कर देते हैं, जैसे polyporous कवक Fungus लकड़ी के कटे हुए भाग पर उग करके उसे सड़ा देते हैं।
Microorganism के प्रभाव से बचाव
सामग्री के उचित संग्रह तथा संरक्षण से microorganism द्वारा होने वाली हानि को रोक सकते हैं । microorganism जहाँ हमें रोगग्रस्त कर देते हैं वहीं हमारे दैनिक जीवन की वस्तुओं को नष्ट भी कर देते हैं । डबलरोटी, पुस्तकें, चमड़े की वस्तुयें, खाद्य सामग्री आदि microorganism के द्वारा खराब हो जाती है। उष्ण तथा नम वातावरण में microorganism इन वस्तुओं पर उग आते हैं और उन्हें खराब कर देते हैं ।
Microorganism से सुरक्षित रखने एवं उनसे होने वाली आर्थिक हानि से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते है -
Fabric तथा चमड़े के सामानों का बचाव
Fabric तथा चमड़े के सामान का क्षरण microorganism द्वारा न हो इसके लिए इनका उचित संग्रह आवश्यक है। चमड़े को टैनिंग करके सुरक्षित रखा जा सकता है। सूर्य के प्रकाश में चमड़े पर लगे microorganism नष्ट हो जाते हैं।
Timber को Microorganism से बचाव हेतु पेन्ट करके
Timber (इमारती लकड़ी) को microorganism से बचाने के लिए पेन्ट करना आवश्यक है । फर्नीचर आदि लकड़ी से बनी वस्तुओं को दीमक आदि से बचाव के लिए इनके खाली भाग को पुटीन द्वारा भर देना चाहिए तथा कीटनाशक दवाओं जैसे gamexin आदि का छिड़काव करने से कीट संक्रमण Infection से बचाया जा सकता है।
भोजन को Refrigerator, Sterilization द्वारा सुरक्षित रखकर
आप ने कभी सोचा है कि गाय/भैंस का दूध दुहने के बाद उसे उबाला जाता है। यदि दूध को उवाला नहीं जाए तो क्या होगा?
“Sterilization" एक विधि है जिसके द्वारा खाद्य पदार्थों को microorganism से मुक्त किया जाता है। इससे खाद्य पदार्थ एक निश्चित समय तक खराब नहीं होते हैं। फ्रिज (Refrigerator) एक उपकरण है जिसके द्वारा सामान्य ताप से कम ताप (5°C से 10°C) उत्पन्न कर microorganism की उपापचयी क्रियाएँ metabolic activities तथा वृद्धि को नियंत्रित किया जाता है। इसीलिए फ्रिज का उपयोग फल, सब्जियों तथा खाद्य पदार्थो आदि को संरक्षित करने के लिए एवं पेय पदार्थों को ठंडा करने के लिए किया जाता है।
लुई पाश्चर Louis Pasteur (1866) ने दूध में किण्वन fermentation रोकने के लिए पाश्चरीकरण विधि pasteurization method का पता लगाया। इस विधि में दूध का विसंक्रमण Infection (Sterilization) करते हैं। लो टेम्परेचर होल्डिंग low temperature holding (L.T.H.) विधि में दूध को 145° Fahrenheit (62.8°C)पर लगभग 30 मिनट गर्म करते हैं। high temperature short time (H.T.S.T.) विधि में दूध को 161° Fahrenheit (71.7°C)पर लगभग 15 सेकण्ड गर्म करते हैं। इस विधि से सभी हानिकारक या रोग कारक जीवाणु Bacteria व बीजाणु मृत हो जाते हैं।
भोज्य पदार्थों को उबालकर
डिब्बों में भरने से पहले खाद्य पदार्थों को भाप द्वारा 15 पौण्ड दाब तथा 120°C से 126°C तापमान पर लगभग 12 से 19 मिनट तक गर्म करते हैं जिससे जीवाणु Bacteria और उनके अन्तःबीजाणु पूर्णतया मृत हो जाते हैं।
पुस्तकों तथा वस्त्रादि में कीटनाशक दवाओं का उपयोग करके
सूर्य के प्रकाश में पुस्तकें, वस्त्र आदि सामानों को रखने पर इन वस्तुओं पर लगे microorganism नष्ट हो जाते हैं। गर्म ऊनी कपड़ों को कीटों से सुरक्षित रखने हेतु naphthalene की गोलियों का प्रयोग किया जाता है। कीटनाशक दवाओं जैसे gamexin को उस स्थान पर डालने से वस्तुओं को कीट संक्रमण Infection से बचाया जा सकता है।
अचार में नमक मिलाकर रखने से नमक संरक्षक का कार्य करता है। इसके द्वारा उत्पन्न माध्यम में Enzyme निष्क्रिय हो जाते हैं जो सामान्य तापक्रम में भोजन विखण्डित कर देते हैं।
जैम, जेली व शर्बत जिन बर्तनों में सुरक्षित रखे जाते हैं उनको जीवाणु Bacteria रहित या विसंक्रमित किया जाता है। इसके लिए बर्तनों को निश्चित समय के लिए पानी में खौलाया जाता है। इसके अतिरिक्त इन सामग्रियों में sodium meta bisulfite तथा sodium benzoate की निश्चित मात्रा मिलायी जाती है जो परिरक्षक का कार्य करती है।
सॉस, चटनी में acetic acid परिरक्षक का कार्य करता है।
दूषित contaminated जल व भोजन हमारे लिए हानिकारक है इसलिए स्वच्छ जल या ताजा भोजन या उचित ढंग से संग्रहित किये गये भोजन का ही प्रयोग करना चाहिए।
Microorganism द्वारा होने वाली बीमारियाँ
Microorganism सर्वव्यापी होते हैं और जीवधारियों के जीवन को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। microorganism मनुष्यों, जन्तुओं और पौधों में अनेक रोग उत्पन्न करते हैं। रोग उत्पन्न करने वाले microorganism रोगाणु कहलाते हैं। मनुष्यों में रोग उत्पन्न करने वाले microorganism श्वास द्वारा, पेय जल एवं भोजन द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। संक्रमित व्यक्ति अथवा जन्तु के सीधे सम्पर्क में आने पर भी रोग का संचरण हो सकता है। microorganism द्वारा होने वाले ऐसे रोग जो एक संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में वायु, जल, भोजन अथवा सम्पर्क द्वारा फैलते हैं, संक्रमण Infection रोग कहलाते हैं। उदाहरणों के लिए है - सामान्य सर्दी, जुकाम, क्षय रोग आदि।
मनुष्य में microorganism द्वारा होने वाले सामान्य रोग
मानव रोग - रोगकारक सूक्ष्मजीव Microorganism - संचरण का तरीका
क्षयरोग Tuberculosis -जीवाणु bacteria -वायु
खसरा Measles - विषाणु Virus - वायु जल/भोजन
चिकनपॉक्स - विषाणु Virus - वायु/सीधे सम्पर्क
पोलियो - विषाणु Virus - वायु/जल
हैजा - जीवाणु Bacteria - जल/भोजन
टाइफायड - जीवाणु Bacteria - जल
हेपेटाइटिस - विषाणु Virus - जल
मलेरिया Malaria - protozoa - मच्छर Mosquito
डेंगू Dengue - विषाणु Virus - मच्छर Mosquito
चिकनगुनिया Chikungunya - विषाणु Virus - मच्छर Mosquito
जापानी मस्तिष्क ज्वर - विषाणु Virus - मच्छर Mosquito
एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिण्ड्रोम - विषाणु/जीवाणु Bacteria/ कवक/परजीवी/स्पाइरोकीट्स - मच्छर Mosquito, पानी, हवा एवं खान / पान की सामग्री
डेंगू Dengue
डेंगू Dengue विषाणु Virus द्वारा होने वाला रोग है। डेंगू Dengue रोग के विषाणु Virus डेंगू Dengue रोग से पीडित व्यक्ति से स्वस्थ मनुष्य में टाइगर मच्छर Mosquito (एडीज एजिप्टी) के काटने से पहुंचते हैं। टाइगर मच्छर Mosquito वाहक (वेक्टर) का कार्य करता है। यह मच्छर Mosquito दिन में काटता है। डेंगू Dengue रोग से पीड़ित व्यक्ति में तीव्र ज्वर, सिर दर्द, आँखों के पीछे दर्द होता है, शरीर पर चकत्ते निकल आते हैं। कभी कभी तीव्र ज्वर के साथ नाक-कान या मुख से रक्त स्राव भी होने लगता है। डेंगू Dengue से पीड़ित व्यक्ति को आराम करना चाहिए तथा कुशल चिकित्सक से उपचार कराना चाहिए।
चिकनगुनिया Chikungunya
चिकनगुनिया Chikungunya भी टाइगर मच्छर Mosquito (एडीज एजिप्टी) के काटने से विषाणु Virus द्वारा होने वाला एक रोग है। यह रोग रोगी से स्वस्थ व्यक्ति को टाइगर मच्छर Mosquito के काटने से फैलता है। चिकनगुनिया Chikungunya से पीड़ित व्यक्ति में तीव्र बुखार तथा जोड़ों में दर्द होता है। कभी-कभी जोड़ों में सूजन भी हो सकती है। चिकनगुनिया Chikungunya से पीड़ित व्यक्ति को आराम करना चाहिए तथा डॉक्टर की सलाह से उपचार कराना चाहिए।
मलेरिया Malaria
मलेरिया Malaria प्लाज्मोडियम नामक protozoa द्वारा होने वाला रोग है। इस रोग का वाहक मादा एनाफीलिज मच्छर Mosquito है। जब मादा एनाफिलिज मच्छर Mosquito मलेरिया Malaria से पीड़ित व्यक्ति को काटती है तो रोगी व्यक्ति के रक्त के साथ प्लाज्मोडियम भी मच्छर Mosquito के शरीर में आ जाता है। जब यह मच्छर Mosquito स्वस्थ व्यक्ति को काटती है तो प्लाज्मोडियम को स्वस्थ मनुष्य में पहुँचा देती है। मलेरिया Malaria से पीड़ित व्यक्ति को जूड़ी के साथ बुखार आता है। रोगी को तुरन्त चिकित्सक की देखरेख में उपचार कराना चाहिए।
पौधों में microorganism द्वारा होने वाले सामान्य रोग
जन्तुओं की भाँति पौधों में भी microorganism द्वारा अनेक रोग हो जाते हैं। क्या आपने ऐसे गेहूँ के पौधे की बाल देखी है जिसमें दाने ही नहीं बने हैं और उनकी जगह पाउडरनुमा पदार्थ है ? ऐसा पौधे के फफूंद fungus द्वारा रोग ग्रसित होने के कारण होता है। आपने अवश्य ही किसी न किसी रोगग्रस्त पौधे को देखा है। अधिकांश रोगों के कारक microorganism होते हैं। निम्नलिखित तालिका में पौधों में होने वाले कुछ सामान्य रोगों का विवरण दिया गया है।
रोग का नाम - सूक्ष्मजीव Microorganism
गेहूँ की गेरुई - कवक Fungus द्वारा
गेहूँ का कन्डुआ रोग - कवक Fungus द्वारा
नींबू का कैंकर - जीवाणु bacteria द्वारा
आलू में वलय विलगन (Ring Rat of Potato) - जीवाणु Bacteria द्वारा
तम्बाकू का मोजेक रोग - विषाणु Virus द्वारा
Leaf Curl of Cucurbit (लौकी में) - विषाणु Virus द्वारा
संक्रमण Infection के तरीके
आप जान चुके हैं कि हमारे शरीर में microorganism अनेक प्रकार से प्रवेश करते हैं जैसे -दूषित contaminated वायु, जल तथा रोगग्रस्त व्यक्ति के सम्पर्क से। इसीलिए अपनी सुरक्षा का पूर्ण ध्यान रखना चाहिए । ऐसे रोग जो रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति वायु , जल,भोजन अथवा व्यक्तिगत सम्पर्क द्वारा फैलते हैं संक्रामक रोग (छूत की बीमारी) कहलाते हैं। हैजा, सदीजुकाम,चेचक आदि संक्रामक रोग हैं । आखिर रोगाणु एक स्थान से दूसरे स्थान तक कैसे पहुँच जाते हैं ? आइये जाने।
वायु द्वारा - सर्दी जुकाम अथवा Influenza से पीड़ित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति को जुकाम कैसे हो जाता है ? जुकाम से पीड़ित व्यक्ति की छींक के साथ पानी जैसे द्रव की अत्यन्त सूक्ष्म बूंदें वायु में फैल जाती हैं । इसके साथ जुकाम रोग के लाखों विषाणु Virus हवा में फैल जाते हैं और सांस के साथ यह दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते हैं ।
दूषित Contaminated जल द्वारा - मनुष्य में कई संक्रामक रोग दूषित contaminated जल के पीने से होते हैं। जैसे हैजा से ग्रसित रोगी के अपशिष्ट पेय जल में मिल जाते हैं और यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति जाने-अनजाने में दूषित contaminated जल को पीता है तो वह व्यक्ति रोगग्रस्त हो जाता है।
मिट्टी द्वारा - protozoa की कई जातियाँ जो मिट्टी में पायी जाती हैं, वहाँ उगने वाली सब्जियों के साथ मनुष्य तक पहुँचती हैं और संक्रमित करती है। बच्चों के गन्दी मिट्टी में खेलने के दौरान microorganism के संक्रमण Infection से फोड़े-फुन्सी, पेट का केचुआ तथा पिनकृमि का संक्रमण Infection होता है।
संक्रमित व्यक्ति द्वारा- आप जानते हैं कि मलेरिया Malaria रोग कैसे फैलता है ? जब एक स्वस्थ व्यक्ति को मादा एनाफिलीज मच्छर Mosquito (जो मलेरिया Malaria के रोगाणुओं की वाहक है) काटती है तो स्वस्थ व्यक्ति मलेरिया Malaria के रोगाणुओं से संक्रमित हो जाता है। इसी प्रकार डेंगू Dengue, चिकनगुनिया Chikungunya, जापानी मस्तिष्क ज्वर भी संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में फैलते हैं। डेंगू Dengue व चिकनगुनिया Chikungunya एडीज मच्छर Mosquito के काटने से तथा जापानी मस्तिष्क ज्वर मादा क्यूलेक्स मच्छर Mosquito द्वारा फैलता है। क्या आपने किसी व्यक्ति का पैर हाथी के पैर के समान मोटा देखा है ? यह एक रोग है जिसे फील पांव या filariasis के नाम से जानते हैं। यह रोग मादा culex मच्छर Mosquito के काटने से होता है।
रोगों से बचाव
अब आप समझ चुके हैं कि संक्रमण Infection रोग के फैलने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता पड़ती है। यदि हम माध्यम को रोगाणु से मुक्त कर दें तो हमें कोई बीमारी लगने की सम्भावना नहीं हो सकती है। आइए कुछ सामान्य जानकारियों को समझें और उनका पालन कर रोगों से मुक्त होने का प्रयास करें।
मलेरिया Malaria, डेंगू Dengue, चिकनगुनिया Chikungunya, जापानी मस्तिष्क ज्वर (जे0ई0- जापानी encephalitis) एवं acute encephalitis syndrome (ए०ई०एस०) बीमारी से बचने हेतु मच्छर Mosquito रोधी दवाओं का प्रयोग करे एवं गड्डों, खेतों में नीम की खली का प्रयोग करें। शरीर को अधिक से अधिक ढंक कर रखें। घर के आस-पास गंदा पानी न इकट्ठा होने दें।
शुद्ध जल का प्रयोग करके तथा रोग वाहक (मक्खी, मच्छर Mosquito) से बचाव और स्वच्छता आदतों को अपना करके हम हैजा, आमातिसार, पेचिश, पीलिया आदि रोगों से ग्रसित होने से बच सकते हैं ।
बरसात के मौसम में संक्रामक रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। आखिर ऐसा क्यों होता है ? आपने देखा होगा कि जब हम बरसात के मौसम में बीमार पड़ते हैं और चिकित्सक के पास इलाज के लिए जाते हैं तो दवाओं के साथ चिकित्सक हमें पानी उबालकर पीने के लिए कहता है। यह भी सलाह दी जाती है कि पानी के बर्तनों को ढककर व उससे पानी निकालने के लिए लम्बे हैण्डल वाले डोबक का प्रयोग करें। उबालने से पानी में पाये जाने वाले microorganism नष्ट हो जाते हैं और रोग की सम्भावना कम हो जाती है।
इसी तरह आपने देखा होगा कि बरसात के समय कीड़े मकोड़ों की संख्या में वृद्धि हो जाती है। साथ ही धान के खेतों, गड्डों, तालाबों आदि में मच्छर Mosquito के लार्वा पनपते है जिससे मलेरिया Malaria, डेंगू Dengue, चिकनगुनिया Chikungunya, जापानी मस्तिक ज्वर बीमारी का संक्रमण Infection होने की सम्भावना बढ़ जाती है। मक्खी और मच्छर Mosquito से आप भली भाँति परिचित है इनसे भी हमें अनेक परेशानी होती है। हमारे घरों के आस पास गड्ढे में पानी नहीं होने चाहिए। घर की नालियों या अन्य जगहों पर पानी को एकत्रित नहीं होने देना चाहिए। हमारे घर के दरवाजों तथा खिड़कियों में जाली लगी हो। सोते समय मच्छर Mosquitonet मच्छर दानी का प्रयोग बहुत लाभदायक होता है।
व्यक्तिगत स्वच्छता जैसे स्नान, शरीर की सफाई, हाथ को साबुन से धोना, खांसी आने पर मुँह पर रूमाल रखना एवं बाहर निकलने पर मास्क का प्रयोग करना आदि तथा वातावरणीय स्वच्छता जैसे खुले में शौच न करें आदि पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
टीकाकरण Vaccination
टीकाकरण Vaccination रोगों से बचाव की एक विधि है। जब रोग उत्पन्न करने वाले microorganism हमारे शरीर में पहुँचते हैं तो उनसे लड़ने के लिए हमारे शरीर का रक्त प्रतिरक्षी उत्पन्न करता है। यदि मृत अथवा निष्क्रिय microorganism को स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रविष्ट कराया जाय तो शरीर की कोशिका Cells उससे लड़ने के लिए प्रतिरक्षी बनाती हैं और उस रोगाणु को नष्ट कर देती हैं। यह प्रतिरक्षता हमारे शरीर में सदा बनी रहती है और रोगाणु से हमारी सुरक्षा करती है। इस प्रकार टीका (vaccination) कार्य करता है टीका द्वारा रोगों का उपचार vaccination कहलाता है। चेचक, क्षय रोग, हिपेटाइटिस, पोलियो आदि रोगों को टीकाकरण द्वारा रोका जा सकता है।
Antibiotic Inoculation से संक्रमण Infection की रोकथाम
Penicillin, streptomycin आदि antibiotic औषधियाँ शरीर में रोग जनक microorganism के संक्रमण Infection को रोकती हैं।
पादप रोगों से बचाव के लिए कवक Fungusनाशी तथा जीवाणु Bacteriaनाशी दवाओं का प्रयोग करना चाहिए।
जन्तुओं की भाँति पेड़-पौधे भी विशिष्ट प्रकार के विषाणु Virus,जीवाणु Bacteria,फफूंद fungus आदि microorganism द्वारा होने वाले रोगों से ग्रसित होते हैं । microorganism से होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए पौधों के बीजों को बुआई से पहले कवक Fungusनाशी तथा जीवाणु Bacteriaनाशी दवाओं से उपचारित करते है इससे ये रोगमुक्त हो जाते हैं और अच्छी फसलें पैदा होती है।
पादपों को रोगमुक्त करने के लिए तरह-तरह के रसायनों का प्रयोग किया जाता है । pesticide को insecticide, Heyside, Rodentside तथा Fungicide में विभक्त किया गया है। DDT, BHC ,methyl parathion, Heptachlor, Aldine और Chlorodene आदि रसायन कीटनाशक कहलाते हैं । कुछ रसायन खरपतवार को नष्ट करने के काम आते हैं जैसे 2, 4-DI कुछ पीड़क जन्तुओं जैसे - चूहे और टिड्डियों को मारते हैं जैसे नारब्रोसाइड। कुछ फफूंद fungus नाशी (fugicide) से फफूंद fungus का नाश होता है जैसे-Ophenol, Kapton आदि। किन्तु अधिक मात्रा में इनके निरन्तर प्रयोग से समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती हैं। ये विषैले पदार्थ हैं । अतः इनका प्रयोग निर्धारित मात्रा से अधिक नहीं करना चाहिए।
एड्स AIDS
एड्स AIDS का पूरा नाम Acquired Immuno Deficiency Syndrome है। यह रोग HIV अर्थात् Human Immunodeficiency Virus द्वारा होता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की रोगों से लड़ने की शक्ति (प्रतिरक्षा तंत्र) कमजोर हो जाती है। इस रोग का विषाणु Virus शरीर की रक्षक श्वेत रुधिर कणिकाओं एवं मस्तिष्क की कोशिका Cells को प्रभावित करता है जिसके कारण कुछ वर्षों बाद शरीर सामान्य रोगों से भी अपना बचाव नहीं कर पाता है और अनेक बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। अन्त में रोगी की मृत्यु हो जाती है। एड्स AIDS को red ribbon द्वारा व्यक्त किया जाता है। एड्स AIDS से पीड़ित व्यक्ति को HIV Positive कहते हैं।
एड्स AIDS के लक्षण
एड्स AIDS के रोगी में निम्नलिखित लक्षण पाये जाते हैं - भूख न लगना, वजन में कमी, ज्वर, त्वचा पर ददोरे, थकावट, रोग से लड़ने की क्षमता में कमी आदि। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति में निमोनिया तथा त्वचा कैंसर ज्यादा होता है।
एड्स AIDS के कारण तथा रोकथाम
HIV नामक विषाणु Virus के शरीर में पहुंचने से मनुष्य एड्स AIDS से पीड़ित हो जाता है। एड्स AIDS एक खतरनाक जानलेवा तथा लाइलाज रोग है। शरीर में एड्स AIDS विषाणु Virus के प्रवेश करने से शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है। इससे शरीर रोगों से लड़ने में असमर्थ हो जाता है। इस रोग के विषाणु Virus संक्रमित व्यक्तियों से स्वस्थ व्यक्ति में कई तरीकों से पहुंचते हैं। इनमें से मुख्य रूप से असुरक्षित यौन सम्बन्ध, रक्त आधान में संक्रमित व्यक्ति के रूधिर को स्वस्थ व्यक्ति में चढ़ा देना या संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किया गया रेजर/ब्लेड या इन्जेक्शन के उपयोग से भी यह रोग फैलता है। यह बीमारी संक्रमित गर्भवती माताओं से बच्चों में भी जाती है। एड्स AIDS से बचने के निम्नलिखित उपाय हैं -
* इंजेक्टशन लगाने में विसंक्रमित, साफ, नई सूई एवं सीरिज का प्रयोग करना चाहिए ।
* रक्त आधान से पूर्व रक्त की जाँच भली-भाँति अनिवार्य रूप से करा लेनी चाहिए ।
* नशीली दवाओं के इंजेक्शन नहीं लेने चाहिए ।
* रेजर/ब्लेड का उपयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए।
एड्स AIDS कारणों से बचकर ही हम एड्स AIDS से सुरक्षित हो पाएंगे।
एड्स AIDS इससे नहीं फैलता है
एड्स AIDS, संक्रमित व्यक्ति के साथ दैनिक प्रयोग की वस्तुओं का उपयोग करने से नहीं फैलता है जैसे - टेलीफोन, टाइपराइटर, किताब तथा कलम आदि ।
हाथ मिलाना, छूना ,साथ उठना-बैठना, आस-पास खड़ा होना, एक-दूसरे के कपड़ों को पहनने से एड्स AIDS नहीं होता है।
एक ही कार्यालय, कारखाना आदि में साथ-साथ काम करने से या उपकरणों को मिलकर प्रयोग करने से एड्स AIDS नहीं फैलता है।
साथ-साथ खाने-पीने तथा प्लेट, गिलास तथा अन्य बर्तनों को मिलाकर प्रयोग करने से भी एड्स AIDS नहीं फैलता
खाँसने, छींकने, हवा आदि से नहीं फैलता है ।
कीट-पतंगों के काटने से (जैसे -मक्खी, मच्छर Mosquito, जूं तथा खटमल आदि) से एड्स AIDS नहीं फैलता है ।
01 दिसम्बर को विश्व एड्स AIDS दिवस कहते हैं ।
बन्दरों में सर्वप्रथम एड्स AIDS का उद्भव हुआ है और उसके बाद ही मनुष्यों में यह रोग फैला है ।
एलीसा (ELISA) परीक्षण से एड्स AIDS का पता लगाया जाता है
Microorganism सर्वव्यापी होते हैं अर्थात ये हवा, पानी, मिट्टी तथा जीवों के शरीर में भी पाये जाते हैं।
Microorganism हमारे लिए लाभदायक एवं हानिकारक दोनों होते हैं।
विषाणु Virus द्वारा मनुष्यों में चेचक, पोलियो, डेंगू Dengue, चिकनगुनिया Chikungunya आदि जैसे रोग हो जाते हैं।
Microorganism को सामान्यतः पाँच समूहों में बाँटा जाता है - जीवाणु Bacteria, विषाणु Virus, protozoa, कवक Fungus व शैवाल Algae ।
Protozoa एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका से पेचिस dysentery तथा प्लाजमोडियम द्वारा मलेरिया Malaria रोग होता है।
पेनीसिलयम नामक कवक Fungus से पेनीसिलीन नामक antibiotic दवा बनाई जाती है।
जैन्योमोनास नामक जीवाणु Bacteria से नीबू में कैंकर रोग होता है।
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