कोशिका
कोशिका शरीर की रचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई है। इनकी संख्या जीवों में अलग-अलग होती हैं जैसे अमीबा, पैरामीशियम यूग्लीना आदि जीव एक ही कोशिका से बने होते हैं। ये एककोशिक जीव कहलाते हैं। केंचुआ, हाथी, मनुष्य, बंदर, बरगद आदि में अनेक कोशिकाएँ होती हैं ये बहुकोशिक जीव कहलाते हैं। कोशिकाओं की संख्या चाहे जितनी भी हो सभी जीवों में पोषण, उत्सर्जन, वृद्धि, श्वसन तथा जनन जैसी क्रियाएँ होती रहती है। कोशिका जीवन की आधारभूत संरचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई है।
उपर्युक्त विवरण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जीवों के शरीर को बनाने वाली सबसे छोटी इकाई कोशिका है जिसमें जीवन के सभी कार्य होते हैं।
कोशिकाओं की एक विशेषता यह भी है कि उनकी आकृति एवं आकार एक समान नहीं होती है जैसे -अमीबा अनियमित आकृति का जीव है जबकि पैरामीशियम की आकृति चप्पल जैसी होती है। बहुकोशिक जीवों के शरीर में उपस्थित कोशिकाएँ चपटी, गोल, अंडाकार, घनाकार या अनियमित आकृति की भी हो सकती हैं। साथ ही कुछ कोशिकाएँ छोटी तथा कुछ बड़ी भी हो सकती हैं। इस प्रकार कोशिका की आकृति एवं आकार में काफी विविधता होती है |
सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग पक्षी का अण्डा है।
सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाज्मा नामक जीव की होती है।
सबसे लम्बी कोशिका तंत्रिका कोशिका होती है जो एक मीटर तक लम्बी हो सकती है।
कोशिका की संरचना
कोशिका की संरचना का अध्ययन करने के लिए सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता होती है।
कोशिका का अध्ययन सर्वप्रथम राबर्ट हुक नामक वैज्ञानिक ने सन् 1665 में किया था। इन्होंने स्वयं के बनाए हुए सूक्ष्मदर्शी से कोशिका को देखा था।
सामान्यतः एक कोशिका में कोशिका झिल्ली, केन्द्रक तथा कोशिका द्रव्य नामक तीन भाग होते हैं। साथ ही कोशिका द्रव्य में अनेक छोटी-छोटी रचनाएँ भी दिखाई देती हैं। जिन्हें कोशिकांग कहते हैं। संरचनात्मक दृष्टि से पौधों एवं जन्तुओं की कोशिकाएँ अलग-अलग प्रकार की होती हैं। पौधों एवं जन्तु की कोशिका में कुछ कोशिकांग समान तथा कुछ कोशिकांग असमान होते है।
प्रमुख कोशिकांग एवं उनके कार्य
कोशिकाओं में कोशिका झिल्ली, केन्द्रक आदि अनेक कोशिकांग पाये जाते हैं। कोशिका में पाये जाने वाले कुछ प्रमुख कोशिकांग एवं उनके कार्य निम्नवत हैं -
1. कोशिका झिल्ली - यह प्रत्येक कोशिका में चारों ओर पाई जाने वाली झिल्ली है जो कोशिका को स्थिर रखती है तथा कोशिका के अन्दर-बाहर पदार्थों के आदान-प्रदान को नियंत्रित करती है। यह सभी कोशिकाओं में अवश्य उपस्थित रहती हैं।
2. कोशिकाभित्ति - पौधों की कोशिकाओं में कोशिका झिल्ली के बाहर एक मोटी और मजबूत परत होती है, जिसे कोशिकाभित्ति कहते हैं। कोशिकाभित्ति एक दृढ़ संरचना है जो कोशिका की रक्षा करती है। यह केवल पौधों में पायी जाती है।
3. केन्द्रक - यह कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण कोशिकांग है जो सामान्यतः जन्तु कोशिका के मध्य में होता है परन्तु पादप कोशिकाओं में यह परिधि की ओर होता है। इसका कार्य कोशिका की वृद्धि एवं विभाजन करना है। यह पूरी कोशिका की रचना व कार्य पर नियंत्रण रखता है।
4. कोशिकाद्रव्य - केन्द्रक तथा कोशिका झिल्ली के बीच में उपस्थित जीवद्रव्य को कोशिकाद्रव्य कहते हैं। उसमें कई प्रकार के कोशिकांग पाये जाते हैं। जैसे - माइटोकाण्ड्रिया, गॉल्जीकाय, हरितलवक आदि।
5. माइटोकाण्ड्रिया - यह दोहरी झिल्ली से घिरी कैप्सूल के आकार की संरचना है जो श्वसन क्रिया में भाग लेकर ऊर्जा उत्पन्न करता है तथा संचित करता है। इसे कोशिका का ऊर्जा गृह (पावर हाउस) भी कहते हैं।
6. हरितलवक - यह केवल हरी पादप कोशिकाओं में ही पाया जाता है तथा प्रकाश संश्लेषण का कार्य करता है।
7. तारककाय - यह केन्द्रक के पास पाया जाता है तथा कोशिका विभाजन में सहयोग करता है। यह सिर्फ जन्तु कोशिकाओं में पाया जाता है।
8. रिक्तिका - यह पादप एवं जंतु दोनों कोशिकाओं में पाई जाती है परन्तु पौधों में एक बड़ी रिक्तिका केन्द्र में होती हैं जबकि जन्तु कोशिकाओं में छोटी-छोटी अनेक रिक्तिकाएँ कोशिका में बिखरी होती हैं। इनका कार्य पानी लवण आदि पदार्थों का संग्रह करना तथा इनकी मात्रा का संतुलन बनाये रखना है।
9. गॉल्जीकाय - पदार्थों का संश्लेषण, भण्डारण एवं स्रावण करना इनका प्रमुख कार्य है।
10. लाइसोसोम - ये कोशिका में आने वाले पदार्थों को पचाने का कार्य करते हैं।
11. राइबोसोम - ये प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होते हैं।
12. अन्तःप्रद्रव्यी जालिका - झिल्लियों की बनी हुई जटिल जालनुमा संरचना अन्तःप्रद्रव्यी जालिका कहलाती है जो कि केन्द्रक से जुड़ी होती है अथवा इससे मुक्त रूप से पायी जाती है। यह केन्द्रक झिल्ली व कोशिकाद्रव्य के बीच में सम्बन्ध बनाती है। यह प्रोटीन के संश्लेषण में सहायता करती है।
पादप कोशिका एवं जन्तु कोशिका में अन्तर
दोनों कोशिकाओं के अध्ययन से हम यह जान चुके हैं कि अधिकांश कोशिकांग पादप एवं जन्तु कोशिका में समान रूप से पाए जाते हैं। कुछ कोशिकांग ऐसे होते हैं जो केवल पादप या केवल जन्तु कोशिका में पाए जाते हैं जिनके आधार पर ही पादप एवं जन्तु कोशिकाओं की पहचान की जाती है।
पादप एवम् जन्तु कोशिका में अन्तर
पादप कोशिका - जन्तु कोशिका
1. कोशिकाभित्ति पाई जाती है। - 1. कोशिकाभित्ति नहीं पाई जाती है।
2. हरितलवक पाए जाते हैं - 2. हरितलवक नहीं पाए जाते हैं।
3. सेन्ट्रोसोम अनुपस्थित होते हैं। - 3. सेन्ट्रोसोम उपस्थित होते हैं।
4.रिक्तिका बड़ी तथा संख्या में एक होती है। - 4. रिक्तिकाएँ छोटी तथा संख्या में अधिक होती है।
5. केन्द्रक परिधि की ओर हो सकता है। - 5. अधिकांश जन्तु कोशिकाओं में केन्द्रक मध्य में होता है।
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