पदार्थ (द्रव्य) वह वस्तु है जिसमें कुछ आयतन और द्रव्यमान होता है। प्राचीनकाल से विभिन्न वैज्ञानिक और दार्शनिक पदार्थ की संरचना के विषय में कल्पना करते आए हैं। भारतीय दार्शनिक महर्षि कणाद ने बताया कि यदि हम पदार्थ को विभाजित करते जाएँ तो हमें छोटे-छोटे कण प्राप्त होंगे और एक स्थिति ऐसी आएगी जब इसे और विभाजित नहीं किया जा सकेगा। इस प्रकार उन्होंने सूक्ष्म कणों की अवधारणा दी जिन्हें परमाणु Atom नाम दिया गया। इसी प्रकार दार्शनिक डिमाक्रिटस और एपीक्यूरस के भी यही विचार थे। उन्होंने पदार्थ के सूक्ष्म अविभाजित कण को परमाणु Atom (Atom) नाम दिया। इस प्रकार पदार्थ परमाणु Atom से मिलकर बना है तथा परमाणु Atom पदार्थ की मूलभूत इकाई है।
सभी पदार्थों के परमाणु Atom एक समान नहीं होते हैं। अलग-अलग पदार्थों में अलग-अलग प्रकार के परमाणु Atom होते हैं।
दो या दो से अधिक परमाणु Atom आपस में मिलकर अणु (Molecule) बनाते हैं।
जब समान प्रकार के कई परमाणु Atom आपस में मिलते हैं तो हमें एक तत्व (Element) का अणु प्राप्त होता है।
जब असमान प्रकार के परमाणु Atom आपस में मिलते हैं तो हमें एक यौगिक का अणु प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए हाइड्रोजन Hydrogen का एक परमाणु Atom (H) तथा क्लोरीन का एक परमाणु Atom (Cl) मिलकर हाइड्रोजन Hydrogen क्लोराइड (HCl) का एक अणु बनाता है।
डॉल्टन का परमाणु Atomic model सिद्धान्त
महर्षि कणाद, यूनानी दर्शनिकों और अन्य लोगों द्वारा प्रस्तावित प्राचीन सिद्धान्त केवल विचारों पर आधारित थे न कि प्रयोगों पर। कई वर्षों तक परमाणु Atom सिद्धान्त केवल कल्पना तक ही सीमित रहा। द्रव्य की संरचना का विधिवत अध्ययन करने के पश्चात् अंग्रेज वैज्ञानिक जॉन डॉल्टन ने 1808 ई. में द्रव्य की संरचना तथा परमाणु Atom सम्बन्धी एक सुव्यवस्थित विचार अपनी परिकल्पनाओं में प्रस्तुत किया जिसे डाल्टन का परमाणुवाद (Dalton's atomic theory) कहा जाता है। डॉल्टन के परमाणु Atom सिद्धान्त की मुख्य बातें इस प्रकार हैं -
1. पदार्थ या तत्व अनेक सूक्ष्म कणों से बना है जिन्हें परमाणु Atom कहते हैं।
2. परमाणु Atom को न तो नष्ट किया जा सकता है और न ही बनाया जा सकता है।
3. परमाणु Atom अविभाज्य होता है।
4. एक ही तत्व के परमाणु Atom भार, आकार व अन्य गुणों में समान होते हैं किन्तु दूसरे तत्व के परमाणु Atom से भिन्न होते हैं।
5. परमाणु Atom सरल (पूर्णांक) अनुपात में संयुक्त होते हैं।
परमाणु Atom का संघटन
डॉल्टन के अनुसार परमाणु Atom एक अविभाज्य कण था परन्तु अविभाज्य होने की यह धारणा समय के साथ गलत सिद्ध हुई। बीसवी शताब्दी के प्रारम्भ में अनेक वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में कार्य किया और प्रयोगों के आधार पर यह सिद्ध किया कि परमाणु Atom को विभाजित किया जा सकता है। उसकी एक निश्चित संरचना होती है तथा उसमें कई प्रकार के अवयवी कण अथवा मूल कण (Fundamental Particle) विद्यमान रहते हैं। मुख्य रूप से ये तीन मूलकण हैं - इलेक्ट्रॉन Electron, प्रोटॉन Proton और न्यूट्रॉन Neutron।
इलेक्ट्रॉन Electron (Electron)
इलेक्ट्रॉन Electron का आविष्कार सर जे.जे. थॉमसन ने कैथोड किरणों के अध्ययन के फलस्वरूप किया था। ये अतिसूक्ष्म ऋणावेशित मूल कण हैं। एक इलेक्ट्रॉन Electron पर इकाई ऋणावेश होता है। इलेक्ट्रॉन Electron का द्रव्यमान हाइड्रोजन Hydrogen परमाणु Atom (H) के द्रव्यमान का लगभग 1/1837 भाग होता है।
प्रोटॉन Proton (Proton)
प्रोट्रॉन की खोज गोल्डस्टीन ने सन् 1886 में की तथा बाद में रदरफोर्ड ने इसे प्रोटॉन Proton का नाम दिया। ये अतिसूक्ष्म धनावेशित मूल कण है। एक प्रोट्रॉन पर इकाई धन आवेश होता है। प्रोट्रॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन Hydrogen परमाणु Atom के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है।
न्यूट्रॉन Neutron (Neutron)
न्यूट्रॉन Neutron की खोज जेम्स चैडविक ने की। न्यूट्रॉन Neutron विद्युत उदासीन मूल कण है। इसका द्रव्यमान हाइड्रोजन Hydrogen परमाणु Atom के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है।
परमाणु Atom मॉडल
इलेक्ट्रॉन Electron व प्रोट्रॉन की खोज के पश्चात् सर्वप्रथम परमाणु Atom में उनके स्थान को निर्धारित करने की समस्या उत्पन्न हो गई। मुख्य रूप से तीन वैज्ञानिकों ने आधुनिक परमाणु Atom संरचना मॉडल प्रस्तुत किए।
1. जे. जे. थॉमसन का परमाणु Atom मॉडल
2. रदरफोर्ड का नाभिकीय मॉडल
3. नील्स बोर का मॉडल
1. जे. जे. थॉमसन का परमाणु Atom मॉडल
जे. जे. थॉमसन ने परमाणु Atom संरचना सम्बन्धी अपना विचार प्रस्तुत किया। उनके अनुसार परमाणु Atom को 10-10 मीटर व्यास का ठोस गोला माना जा सकता है जो प्रोट्रॉनों के कारण धनावेशित होता है तथा जिसमें ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन Electron धंसे हुए रहते हैं। ये इलेक्ट्रॉन Electron परमाणु Atom के धनावेश को सन्तुलित कर देते हैं।
थॉमसन के परमाणु Atom मॉडल की पुष्टि किसी प्रयोग से न होने के कारण इसे समर्थन प्राप्त नहीं हो सका।
2. रदरफोर्ड का नाभिकीय मॉडल
ब्रिटेन के भौतिक वैज्ञानिक रदरफोर्ड ने Alpha-प्रकीर्णन प्रयोग कर अपना नाभिकीय मॉडल प्रस्तुत किया। रदरफोर्ड ने इस प्रयोग में सोने की पतली पन्नी (0.0004 सेमी मोटी) पर Alpha कणों (alpha कण) से बमबारी की।
जब Alpha-कण सोने की पतली पन्नी से टकराते हैं तो उन्होंने देखा -
1. अधिकांश alpha कण पन्नी के आर-पार सीधे चले गए अर्थात् अप्रभावित रहे।
2. कुछ कण अपने पथ से विचलित हो गए।
3. बहुत थोड़े से कण ऐसे भी थे जो पन्नी से टकराकर उसी मार्ग से वापस आ गए।
रदरफोर्ड ने प्रयोग से प्राप्त प्रेक्षणों के आधार पर निम्नलिखित निष्कर्ष प्रस्तुत किये -
1. परमाणु Atom का सम्पूर्ण धन आवेश (प्रोट्रॉन) केन्द्र में उपस्थित होता है जिसे नाभिक (Nucleus) कहते हैं। इस नाभिक का आयतन परमाणु Atom की तुलना में बहुत कम होता है।
2. परमाणु Atom का नाभिक ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन Electron से घिरा रहता है।
3. प्रयोग में अधिकांश alpha कण पन्नी के आर-पार सीधे चले गए क्योंकि परमाणु Atom का अधिकांश भाग खोखला है।
4. कुछ alpha कण जो नाभिक के पास से गुजरे वे अपने पथ से विचलित हो गए क्योंकि नाभिक और alpha कण दोन पर समान आवेश था।
5. जो alpha कण नाभिक से सीधे टकराएँ, वे नाभिक के द्रव्यमान के कारण वापस मुड़ गए।
अपने इन अवलोकनों एवं निष्कर्षों के आधार पर रदरफोर्ड ने परमाणु Atom का एक नाभिकीय मॉडल दिया |
विभिन्न वैज्ञानिकों ने रदरफोर्ड के परमाण्विक मॉडल की आलोचना की। उन लोगों ने दर्शाया कि इस प्रकार का परमाणु Atom स्थायी नहीं हो सकता है क्योंकि नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाने वाले इलेक्ट्रॉन Electron की ऊर्जा लगातार कम होती जाएगी और अन्त में इलेक्ट्रॉन Electron नाभिक में गिर जायेंगे।
नील्स बोर का परमाणु Atom मॉडल
परमाणु Atom के रदरफोर्ड मॉडल की कमियों को नील्स बोर द्वारा दूर किया गया। बोर ने यह प्रस्तावित किया कि परमाणु Atom का समस्त द्रव्यमान तथा धन आवेश उसके नाभिक में उपस्थित होता है तथा इलेक्ट्रॉन Electron नाभिक के चारों ओर स्थिर या अचर कक्षाओं में घूमते हैं। प्रत्येक कक्षा में किसी निश्चित संख्या तक इलेक्ट्रॉन Electron हो सकते हैं।
अनेक वर्षों तक केवल दो मूल कण - इलेक्ट्रॉन Electron तथा प्रोटॉन Proton ज्ञात थे। सन् 1932 में जेम्स चैडविक ने एक नए कण की खोज की जिसका द्रव्यमान प्रोटॉन Proton के द्रव्यमान के लगभग बराबर था। परन्तु उस पर कोई आवेश नहीं था। इस उदासीन कण को न्यूट्रॉन Neutron नाम दिया गया। नाभिक जिसमें परमाणु Atom का लगभग सारा द्रव्यमान उपस्थित होता है, प्रोटॉन Proton तथा न्यूट्रॉन Neutron से बना होता है।
परमाणु Atom संख्या या परमाणु Atom क्रमांक
किसी तत्व के परमाणु Atom के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन Proton की संख्या उस तत्व की परमाणु Atom संख्या अथवा परमाणु Atom क्रमांक कहलाती है । इसे Z से प्रदर्शित करते हैं।
परमाणु Atom संख्या (Z) = प्रोटॉन Proton की संख्या
चूँकि परमाणु Atom उदासीन होता है इसलिए किसी परमाणु Atom में जितने प्रोटॉन Proton (धनावेशित कण) होते हैं उतने ही इलेक्ट्रॉन Electron (ऋणावेशित कण) होते हैं।
द्रव्यमान संख्या
किसी तत्व के परमाणु Atom के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन Proton तथा न्यूट्रॉन Neutron की संख्या का योग द्रव्यमान संख्या कहलाता हैं । इसे A से प्रदर्शित करते हैं। अतः
द्रव्यमान संख्या (A) = प्रोटॉन Proton की संख्या (p) + न्यूट्रॉन Neutron की संख्या (n)
समस्थानिक
किसी तत्व के वे परमाणु Atom जिनकी परमाणु Atom संख्या समान होती है परन्तु द्रव्यमान संख्या भिन्न होती है समस्थानिक कहलाते हैं। प्रकृति में पाए जाने वाले हाइड्रोजन Hydrogen के तीन समस्थानिक प्रोटियम (H1), ड्यूटीरियम (H2) तथा ट्राइटियम (H3) हैं। इन तीनों समस्थानिकों के नाभिक में एक ही प्रोटॉन Proton होता है परन्तु न्यूट्रॉन Neutron की संख्या भिन्न होती है।
आयनों का बनना
अभी तक आपने यह जाना कि परमाणु Atom इलेक्ट्रॉन Electron, प्रोटॉन Proton तथा न्यूट्रॉन Neutron से मिलकर बना है। किसी परमाणु Atom के नाभिक में जितने प्रोटॉन Proton होते हैं उतने ही संख्या में इलेक्ट्रॉन Electron उसके चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इलेक्ट्रॉन Electron पर प्रोटॉन Proton के बराबर परन्तु विपरीत आवेश होता है। इसलिए परमाणु Atom विद्युत उदासीन होता है।
यदि इस विद्युत उदासीन परमाणु Atom में एक और इलेक्ट्रॉन Electron आ जाए तो इसमें एक इलेक्ट्रॉन Electron की अधिकता हो जाती है। चूँकि इलेक्ट्रॉन Electron पर ऋणावेश होता है इसलिए ऋणावेश की अधिकता होने के कारण परमाणु Atom ऋण आवेशित हो जाएगा। इसके विपरीत यदि विद्युत उदासीन परमाणु Atom में से एक इलेक्ट्रॉन Electron निकल जाए तो इलेक्ट्रॉन Electron की संख्या एक कम हो जाएगी। परमाणु Atom में प्रोट्रॉन (धनावेश) की संख्या इलेक्ट्रॉन Electron की संख्या से एक ज्यादा होगी अर्थात परमाणु Atom धन आवेशित हो जाएगा। अतः किसी परमाणु Atom से इलेक्ट्रॉन Electron के निकलने या जुड़ने से आवेशित (धनावेशित या ऋणावेशित) कण प्राप्त होता है, जिसे आयन कहते हैं।
उदाहरणार्थ - सोडियम के परमाणु Atom में 11 प्रोटॉन Proton और 11 इलेक्ट्रॉन Electron होते हैं। अतः यह विद्युत उदासीन होता है। इसमें से 1 इलेक्ट्रॉन Electron निकलने से उसमें 11 प्रोटॉन Proton व 10 इलेक्ट्रॉन Electron शेष रहेंगे। प्रोटॉन Proton (धन आवेश) की अधिकता होने के कारण सोडियम धन आयन बनता है।
क्लोरीन के परमाणु Atom में 17 प्रोटॉन Proton और 17 इलेक्ट्रॉन Electron होते हैं। क्लोरीन परमाणु Atom द्वारा एक इलेक्ट्रॉन Electron ग्रहण करने से इसमें 17 प्रोटॉन Proton व 18 इलेक्ट्रॉन Electron हो जाएगें। एक इलेक्ट्रॉन Electron (ऋण आवेश) की अधिकता होने के कारण क्लोरीन ऋण आयन बनता है।
संयोजकता
हम जानते हैं कि परमाणु Atom आपस में मिलकर क्लोरीन का परमाणु Atom चलौरीन का आयन अणु बनाते हैं। प्रत्येक परमाणु Atom की दूसरे परमाणु Atom से चित्र 3.7 सोडियम एवं क्लोराइड आयन का जुड़ने (संयोजन) की क्षमता निश्चित होती है, जिसे संयोजकता कहते हैं। हाइड्रोजन Hydrogen की संयोजकता 1 मानकर अन्य तत्वों की संयोजकता प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हाइड्रोजन Hydrogen के सापेक्ष ज्ञात की जाती है। अतः संयोजकता को परिभाषित कर सकते हैं -
"किसी भी तत्व की संयोजकता वह संख्या है जो यह दर्शाती है कि उस तत्व का एक परमाणु Atom हाइड्रोजन Hydrogen के कितने परमाणु Atom से संयोग करता है अथवा विस्थापित करता है।"
उदाहरण -
अ. HCl में Cl की संयोजकता 1 है क्योंकि वह हाइड्रोजन Hydrogen के 1 परमाणु Atom से संयोग करती है।
ब. H2O (जल) में ऑक्सीजन की संयोजकता 2 है क्योंकि वह हाइड्रोजन Hydrogen के 2 परमाणु Atom से संयोग करता है।
हमने सीखा
- परमाणु Atom पदार्थ की मूलभूत इकाई हैं।
- दो या दो से अधिक परमाणु Atom आपस में मिलकर अणु बनाते हैं।
- डॉल्टन के अनुसार परमाणु Atom सूक्ष्म अविभाज्य कण होते हैं।
- परमाणु Atom तीन मुख्य मूल कण - इलेक्ट्रॉन Electron, प्रोटॉन Proton तथा न्यूट्रॉन Neutron से मिलकर बना है।
- किसी परमाणु Atom के नाभिक में प्रोटॉन Proton व न्यूट्रॉन Neutron होते हैं तथा इलेक्ट्रॉन Electron नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।
- इलेक्ट्रॉन Electron ऋण आवेशित प्रोटॉन Proton धन आवेशित तथा न्यूट्रॉन Neutron आवेश रहित कण है।
- किसी तत्व के परमाणु Atom के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन Proton की संख्या उस तत्व की परमाणु Atom संख्या होती है।
- किसी परमाणु Atom में प्रोटॉन Proton तथा इलेक्ट्रॉन Electron की संख्या बराबर होती है।
- प्रोटॉन Proton तथा न्यूट्रॉन Neutron की संख्या का योग उस परमाणु Atom की द्रव्यमान संख्या कहलाती है।
- किसी परमाणु Atom की संयोग करने की (संयोजन की) दक्षता निश्चित होती है, जिसे संयोजकता कहते हैं।
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