क्या आपने कभी सोचा है कि जो कपड़े Uniform पहन कर आप School जाते हैं उसे किसने बनाया है ? कपड़ा बड़ी-बड़ी कपड़ा मिलों में मशीनों के द्वारा मनुष्यों ने बनाया है। आपके माता-पिता इसे खरीद कर दर्जी से आपके लिये Dress तैयार कराते हैं। इसी प्रकार जूता-मोजा, Belt, बस्ता आदि भी किसी न किसी कारखाने में हमारे लिये कुशल कारीगरों ने बनाये हैं। कागज की लुगदी से कागज, रबर के पौधों से मुलायम रबर, Graphite से Pencil, लोहे, लकड़ी या Plastic से पटरी आदि सभी सामान कच्चे माल द्वारा कारखानों में मनुष्यों के द्वारा तैयार किया जाता है। ये सभी मानव निर्मित वस्तुएँ man made goods हैं।
गाँवों, कस्बों में रहने वाले किसान अपने कृषि कार्य के लिए हँसिया, खुरपी, फावड़ा, कुदाल आदि लुहार के यहाँ से या बाजार से खरीद कर लाते हैं। इसे सब मनुष्य ही बनाते हैं। ये सभी मानव द्वारा निर्मित हैं। सभी प्रकार के बर्तन, घड़ी, Cycle, Scooter, कुर्सी, मेज, फर्नीचर आदि दैनिक जीवन में उपयोगी वस्तुएँ मानव निर्मित Man Made हैं।
आपके चारों ओर दिखाई देने वाले जीव-जन्तु, पेड़-पौधे, मिट्टी, खनिज आदि सभी प्रकृति प्रदत्त हैं। मकान, गाड़ी, साइकिल, खिलौना, साबुन, कपड़ा, उर्वरक, काँच आदि भी क्या प्रकृति प्रदत्त हैं ? नहीं । ये सभी मानव निर्मित Man Made है ।
मानव निर्मित वस्तुओं Man Made Goods की उपयोगिता
प्रकृति से हमें अनेक संसाधन प्राप्त हैं फिर भी मानव-निर्मित वस्तुओं Man Made Goods की आवश्यकता बढ़ती जा रही है, ऐसा क्यों ? आदिकाल में मनुष्य की आवश्यकताएँ सीमित थी । उनका जीवन मात्र प्राकृतिक स्रोतों पर ही निर्भर था । सभ्यता का विकास, जनसंख्या वृद्धि एवं वैज्ञानिक प्रगति के कारण मनुष्य की आवश्यकताएँ धीरे-धीरे बढ़ती गयीं, जिनकी पूर्ति करना प्राकृतिक संसाधनों द्वारा असम्भव था। अतः मनुष्य ने अपनी बुद्धि एवं कौशल से अनेक वस्तुओं का निर्माण करना आरम्भ किया । इस प्रकार मानव-निर्मित वस्तुओं Man Made Goods का विकास होता गया। मनुष्य की प्रमुख आवश्यकतायें भोजन, वन तथा आवास हैं। इन आवश्यकताओं की पूर्ति क्या प्राकृतिक संसाधनों द्वारा सम्भव है ? आइए मनुष्य की प्रमुख आवश्यकता भोजन, वस्त्र तथा आवास हेतु उपयोगी मानव निर्मित वस्तुओं Man Made Goods की चर्चा करते हैं।
(क) वस्त्र Textile
क्या आप बता सकते हैं कि शरीर को ढकने तथा सुरक्षा के लिए किन-किन वस्तुओं का उपयोग किया जाता है ? हम सभी जानते हैं कि शरीर को ढकने के लिए कपड़ों का उपयोग किया जाता है। हम पैन्ट, शर्ट, कुर्ता, साड़ी, सलवार, पायजामा, जांघिया, बनियाइन आदि का उपयोग करते हैं। सर्दी से बचने के लिए ऊनी कपड़े, स्वेटर, शाल, कार्डिगन, कंबल,लोई आदि का प्रयोग करते हैं।
क्या आप बता सकते हैं कि ये वस्त्र किस प्रकार तैयार किये जाते हैं ? सूती वस्त्र कपास के रेशों से, ऊनी वस्त्र भेड़ के बाल से या संश्लेषित रेशों से तैयार किये जाते हैं। आजकल मनुष्य नॉयलान Nylone, टेरिलीन (डेक्रॉन) Terelene (Decron) आदि पॉलिस्टर Polister धागों से बने वस्त्रों का अत्यधिक उपयोग कर रहा है। ये धागे संश्लेषित रेशों Synthetic Fibers से तैयार किये जाते हैं। इन धागों से निर्मित वस्त्र अधिक आकर्षक एवं टिकाऊ होते हैं।
(ख) भवन निर्माण
अपने आस-पास आपने भवन बनते अवश्य देखे होंगे। क्या आप बता सकते हैं कि भवन निर्माण में किनकिन पदार्थों का उपयोग किया जाता है ? भवन निर्माण में प्रायः ईंट, पत्थर, लोहे के गर्डर, सरिया, सीमेन्ट, मोरंग, बालू तथा मिट्टी का उपयोग किया जाता है। इनमें ईंट, सरिया, गर्डर, सीमेन्ट मानव निर्मित वस्तुएँ हैं । सीमेन्ट से दीवार की जुड़ाई, प्लास्टर, स्लैब तथा फर्श आदि बनाने के पश्चात् कुछ दिनों तक लगातार पानी का छिड़काव उनकी मजबूती के लिए किया जाता है।
कुछ और भी जानें
पानी के लगातार छिड़काव करने से सीमेन्ट में सुई के समान रवे (क्रिस्टल) Crystal बनते हैं। ये क्रिस्टल आपस में गुंथ कर सीमेन्ट को कठोर एवं मजबूत बनाते हैं । इस क्रिया को पूर्ण होने में लगभग एक सप्ताह का समय लगता है । इस कारण मकान अथवा इमारतों को बनाने के पश्चात् लगभग एक सप्ताह तक पानी का छिड़काव आवश्यक होता है। यदि ऐसा न किया जाये तो रासायनिक क्रिया पूरी न होने के कारण मकान कमजोर रह जाता है। पानी छिड़कने का एक अन्य लाभ यह होता है कि दीवार या फर्श की बाहरी सतह पहले सूखती है तथा भीतरी सतह बाद में। यदि ऐसा न हो तो भीतरी सतह के सूखने से बनी जल वाष्य बाहर निकलने के प्रयास में पहले से सूख चुकी बाहरी सतह में दरार उत्पन्न कर देगी।
(ग) घरेलू कार्य में
स्नान करना, कपड़े धोना, दाँतों की सफाई, भोजन पकाना, मकान की सफाई एवं सजावट, सिलाई-बुनाई आदि घरेलू कार्य हैं। इन सभी कार्यों में अनेक मानव-निर्मित वस्तुओं Man Made Goods का उपयोग किया जाता है । सीमेन्ट, पेन्ट, प्लास्टिक, काँच एवं धातुओं से बने बर्तन, सौन्दर्य प्रसाधन, बिजली के उपकरण आदि अनेक मानव निर्मित वस्तुएँ हैं जिनका दैनिक जीवन के कार्यों में अत्यधिक उपयोग किया जाता है ।
(घ) कृषि कार्य में
आप जानते हैं कि किसान कृषि कार्य के लिए हँसिया, खुरपी, फावड़ा, कुदाल आदि का प्रयोग करते हैं। खेत जोतने, फसल काटने, सिंचाई करने, मड़ाई करने आदि कृषि कार्यों में मानव-निर्मित वस्तुओं Man Made Goods का उपयोग किया जाता है ।
(ङ) औषधियों Medicine में
बीमार पड़ने पर आमतौर पर आप औषधियों Medicine का उपयोग करते हैं। मानव प्रकृति में उपलब्ध पेड़-पौधों एवं जड़ीबूटियों से निर्मित औषधियों का उपयोग सदियों से करता चला आ रहा है । आजकल अनेक रोगों से सम्बन्धित औषधियों Medicine का निर्माण विभिन्न रसायनों से भी किया जाने लगा है। अनेक असाध्य रोग जैसे टी0बी0 (तपेदिक), हैजा, निमोनिया, मियादी बुखार, आदि रोगों की भी एंटीबायोटिक (जैव प्रतिरोधी) दवाएँ आज के युग में निर्मित कर ली गयी हैं। किसी औषधि का उपयोग करने से पहले चिकित्सक (डॉक्टर) की सलाह लेना आवश्यक है। परामर्श के बिना किसी भी औषधि Medicine का उपयोग हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
संश्लेषित रेशे Synthetic Fibers
नॉयलान Nylone, पॉलिस्टर Polister, डेक्रॉन Decron, रेयॉन Reyon आदि मानव निर्मित रेशे Man Made Fiber हैं । इस प्रकार के रेशों Fiber को संश्लेषित रेशे Synthetic Fibers कहते हैं । संश्लेषित रेशे Synthetic Fibers उच्च अणुभार High Molecular Weight वाले बहुलक यौगिक है। सूती, रेशमी, नॉयलान, पॉलिस्टर, टेरिलीन आदि धागों से बने वस्त्रों का अवलोकन करें। नॉयलान, पॉलिस्टर, टेरिलीन आदि से बने वस्त्र सूती वस्त्रों की अपेक्षा अधिक आकर्षक दिखायी देते हैं। इन्हें बारी-बारी से फाड़ने का प्रयास करें। सूती कपड़े को हाथ से फाड़ा जा सकता है जबकि नॉयलान पॉलिस्टर, टेरिलीन रेशों से बने कपड़ों को हाथ से फाड़ना कठिन होता है। ये अधिक मजबूत एवं टिकाऊ होते हैं । इसी प्रकार इन वस्त्रों को पानी से भिगोने पर नायलॉन, पॉलिस्टर, टेरिलीन के वस्त्र जल्दी सूख जाते हैं जबकि सूती वस्त्र देर से सूखते हैं।
Plastic
हम दैनिक जीवन में अनेक प्रकार की वस्तुओं का उपयोग करते हैं जिनमें से कुछ जैसे बाल्टी, मग, दाँत साफ करने का ब्रश आदि वस्तुएँ Plastic की बनी हो सकती हैं। यह Plastic क्या है ? रासायनिक रूप में असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों जैसे एथिलीन, एसिटलीन या उनके व्यूत्पन्न आदि के उच्च अणुभार के बहुलक Plastic पदार्थ होते हैं। बेकेलाइट, पॉलीथीन, टेफ्लॉन, पॉली वाइनिल क्लोराइड आदि Plastic पदार्थों के उदाहरण हैं। इन सभी Plastic के सामानों में आपको क्या भिन्नता दिखाई देती है ? कुछ Plastic की वस्तुओं को गर्म करने पर वे तुरन्त आसानी से जाती हैं, जबकि कुछ पर ऊष्मा का प्रभाव कम पड़ता है। जैसे Plastic की बाल्टी ऊष्मा पाने पर पिघलने लगती है, जबकि कुकर के हैण्डिल आदि आसानी से नहीं पिघलते हैं। प्लास्टिक की कठोरता एवं गलनांक के आधार पर इन्हें दो वर्गों में बाँटा जाता है।
1. थर्मोप्लास्टिक Thermoplastic
इस प्रकार के Plastic गरम करने पर मुलायम Soft हो जाते हैं और जब इन्हें ठंडा किया जाता है तब ये कड़े हो जाते हैं । यह क्रिया बार-बार दोहरायी जा सकती है । इसी कारण थर्मोप्लास्टिक Thermoplastic को पुनः चक्रण करके इसका उपयोग किया जा सकता है। पॉलीथीन, पॉली वाइनिल क्लोराइड (पी०वी०सी०) आदि थर्मोप्लास्टिक Thermoplastic के उदाहरण हैं।
2. थर्मोसेटिंग प्लास्टिक Thermosetting Plastic
इस प्रकार के Plastic भी गरम करने पर मुलायम तथा ठंडा करने पर कठोर एवं खुरदरे हो जाते हैं, किन्तु इन्हें गरम करके पुनः मुलायम नहीं किया जा सकता है । बैकलाइट एक थर्मोसेटिंग प्लास्टिक Thermosetting Plastic है। थर्मोसेटिंग प्लास्टिक Thermosetting Plastic का दोबारा उपयोग नहीं किया जा सकता है अर्थात इनका पुनः चक्रण संभव नहीं है। क्या आप जानते है ?
• Plastic का स्वास्थ्य-देखभाल उद्योग मे व्यापक उपयोग होता है। इनके उपयोग के कुछ उदाहरण है - दवा की गोलियों/टिकियों को पैक करने हेतु, घावों को सीने हेतु धागे, सिरिज, चिकित्सकों के दस्ताने और विविध प्रकार के चिकित्सीय यंत्र।
• माइक्रोवेव ओवन में भोजन पकाने हेतु विशिष्ट Plastic पात्र उपयोग में लिए जाते हैं। माइक्रोवेव ओवन Microwave Oven में ऊष्मा खाद्य पदार्थ को पका देती हैं, परन्तु Plastic पात्र को प्रभावित नहीं करती।
• टेफ्लॉन एक विशिष्ट Plastic है जिस पर तेल और जल चिपकता नहीं है। यह भोजन पकाने के पात्रों पर न चिपकने वाली परत लगाने के काम आता है।
Plastic और Environment
जब हम बाजार जाते हैं तो हमें Plastic अथवा पॉलिथीन थैली में लपेटी वस्तुएँ मिलती हैं। यह एक कारण है कि हमारे घरों में Plastic का कचरा इकट्ठा होता रहता है फिर यह Plastic कूड़ेदान में चला जाता है। Plastic का निस्तारण एक प्रधान समस्या है। क्यों ?
पदार्थ, जो प्राकृतिक प्रक्रिया जैसे जीवाणु की क्रिया द्वारा अपघटित हो जाता है, जैव निम्नीकरणीय Biodegradable कहलाता है। पदार्थ जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा सरलता से विघटित नहीं होता, जैव अनिम्नीकरणीय Non Biodegradable कहलाता है।
Plastic की उपयोगिता
आइए दैनिक जीवन में Plastic की उपयोगिता के बारे में जानें
पॉलीथीन - थैली, न टूटने वाली बोतल, पाइप, बाल्टी आदि बनाने में
एक्रिलिक - कार एवं ट्रकों की खिड़कियों में
पॉलीप्रोपिलीन - रस्सी, रेशे, मजबूत पाइप बनाने में
स्टाईरोन (थर्मोकोल)- पैकिंग में, संचायक सेल के केस बनाने में, खिलौने बनाने में
मेलामाइन - बर्तन बनाने में
बैकेलाइट - बिजली के प्लग एवं स्विच तथा कंघी, पेन और हत्थे बनाने में
टेफ्लॉन - नॉन-स्टिक बर्तन पर ऊष्मा प्रतिरोधी परत चढ़ाने में
पॉलीथीन (पॉलि + एथीन) प्लास्टिक का एक उदाहरण है जो सामान्य उपयोग मे आने वाली पॉलीथीन थैलियां बनाने के काम आता है।
कुछ और भी जाने
वर्तमान युग में Plastic एक आवश्यकता है। कोई क्षेत्र इससे अछूता नहीं है। टेफ्लॉन, पॉली टेट्राफ्लोरो इथाइलीन का पॉलीमर है। इसका गलनांक बहुत ऊंचा होता है। यह अज्वलनशील है । इसी गुण के कारण इसका उपयोग वस्तुओं पर परत चढ़ाने में किया जाता है।
चेतावनी
Plastic हमारे लिए बहुत उपयोगी है किन्तु इसका दुरुपयोग बहुत हानिकारक सिद्ध हो रहा है। पॉलीथीन जलाने से इसका धुंआ वायुमंडल में फैल कर पर्यावरण को दूषित कर रहा है। पॉलीथीन की थैलियों में बची हुई खाद्य सामग्री प्रायः खुले स्थानों पर फेंक दी जाती है। जानवर इन्हें खाकर बीमार हो रहे हैं । प्लास्टिक पर पानी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अतः यह सड़-गल कर नष्ट नहीं हो पाती हैं। उपयोग की गयी पॉलीथीन की थैलियों आदि को यत्र-तत्र फेंकने पर ये सीवर लाइन और नालियों में फंस कर पानी के प्रवाह को रोक देती है और पानी एक स्थान पर ही फैल कर पर्यावरण को दूषित करता रहता है। अतः पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए पॉलीथीन का सही उपयोग कर इसके दुरुपयोग को रोकना हम सभी का कर्तव्य है।
काँच Glass
इसका उपयोग खिड़की के शीशे, वैज्ञानिक उपकरण तथा काँच Glass के वर्तन आदि बनाने में किया जाता है। काँच Glass की पारदर्शिता के गुण के कारण इसका उपयोग प्रकाशिक यंत्र Optical Instruments एवं लेन्स Lens के निर्माण में किया जाता है।
काँच Glass कोई यौगिक नहीं है। काँच Glass धातुओं के सिलिकेटो का विलयन (मिश्रण) होता है। साधारण काँच सिलिका Glass Silica, सोडियम सिलिकेट Sodium Silicate और कैल्सियम सिलिकेट Calcium Silicate का मिश्रण होता है। काँच Glass का निश्चित गलनांक नहीं होता है। कांच Glass की क्रिस्टलीय संरचना Crystalline Structure नहीं होती है। गर्म करने पर वह नर्म Soft हो जाता है और द्रव Liquid में बदलकर वहने लगता है यही कारण है कि कांच Glass को ठोस न कहकर अतिशीतित द्रव कहते हैं। काँच Glass की कोई निश्चित संरचना नहीं होती है । इसकी गुणवत्ता इसके अवयवों पर निर्भर करती है। काँच के इन्हीं गुणों एवं संरचना के आधार पर ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -
साधारण या मृदु काँच Soft Glass
यह सोडियम कार्बोनेट, चूना पत्थर और सिलिका को मिला कर बनाया जाता है । इसका उपयोग बोतल, परखनली, खिड़की के शीशे आदि बनाने में किया जाता है ।
कठोर काँच Hard Glass
यह पोटैशियम कार्बोनेट, चूना पत्थर और रेत के मिश्रण से बनाया जाता है । इसका उपयोग फ्लॉस्क, बीकर, परखनली आदि प्रयोगशाला के उपकरण बनाने में किया जाता है ।
फ्लिन्ट या प्रकाशीय काँच Flint Glass or Optical Glass
यह सोडियम कार्बोनेट Sodium Carbonate, पोटैशियम कार्बोनेट Potesium Carbonate, बोरिक ऐसिड Boric Acid तथा सिलिका Silica के मिश्रण को गरम करके प्राप्त किया जाता है। इससे प्रिज्म Prism तथा प्रकाशिक यंत्र Optical Instruments के लेंस lens बनाये जाते हैं । दृष्टि दोषों Sight Defect को दूर करने के लिए चश्मों के लेंस lens भी फ्लिन्ट काँच Flint Glass से ही निर्मित किये जाते हैं ।
कुछ और भी जानें
धूप के चश्मे क्यों लगाये जाते हैं ?
धूप के चश्में आंखों को सूर्य की गर्मी से बचाने के लिए लगाये जाते हैं । इन चश्मों के काँच में थोड़ा सा सीरियम ऑक्साइड मिला होता है जिससे वह स्थायी रूप से रंगीन हो जाता है। धूप में ये चश्में आँखों को राहत देते हैं, लेकिन धूप से छाया में आने पर साफ न दिखाई देने के कारण ये अनुपयोगी हो जाते हैं। आजकल फोटोक्रोमिक काँच के लेंसों का उपयोग किया जाने लगा है । इस काँच में सिल्वर आयोडाइड मिला होता है। धूप में सिल्वर आयोडाइड Silver Iodide विघटित होकर सिल्वर Silver (चाँदी) व आयोडाइड Iodide बनाता है। सिल्वर Silver की यह परत चश्में के लेन्सों को गहरा रंग प्रदान करती है। छाया में सिल्वर Silver तथा आयोडायड Iodide पुनः संयोग कर सिल्वर आयोडाइड Iodide बना लेते हैं जिससे लेंस lens पहले की तरह हल्के रंग के हो जाते हैं स्थायी रूप से रंगीन कौंच Color Glass बनाने के लिए कच्चे माल को भट्ठी में गरम करने से पहले उसमें धात्विक ऑक्साइड मिलाते हैं, जैसे- कोबाल्ट ऑक्साइड Cobalt Oxide से नीले रंग, फेरिक ऑक्साइड Feric Oxide से हल्के नीले रंग तथा क्रोमियम ऑक्साइड Cromium Oxide से हल्के हरे रंग, सीरियम ऑक्साइड Cerium Oxide तथा क्यूपरस ऑक्साइड Cyupras Oxide से पीले रंग का काँच Yellow Glass बनाया जाता है । क्या अबे आप कांच Glass से बनी रंगीन वस्तुओं जैसे चूड़ियों की बनाने की विधि का अनुमान लगा सकते हैं ?
मृतिका Clay
मृतिका Clay किसे कहते हैं ? भ्रमण पर जाकर कुम्हार द्वारा बनाये कच्चे एवं पकाये हुए मिट्टी के बर्तनों आदि का अवलोकन करें। इन्हें बनाने के लिए कुम्हार एक विशेष प्रकार की मिट्टी का उपयोग करते हैं जिसे चिकनी मिट्टी या क्ले कहते हैं। गूंथी हुई चिकनी मिट्टी से चाक द्वारा पहले कच्चे बर्तन बनाये जाते हैं । फिर उन्हें उच्च ताप पर भट्टी में पकाया जाता है। पके हुए इन बर्तनों को ही मृतिका Clay कहा जाता है।
चीनी मिट्टी भी एक प्रकार की सफेद मृतिका White Clay है। इससे चीनी मिट्टी के कप-प्लेट', केतली, 'गाड़ियों के स्पार्क प्लग के होल्डर तथा बिजली के फ्यूज होल्डर बनाये जाते हैं ।
आग्नेय चट्टानों में फेलस्पार खनिज के क्षरण से एक विशेष प्रकार की मिट्टी प्राप्त की जाती है। इस मिट्टी को बारीक छननी से छान कर जल के साथ आटे की तरह गूंथा जाता है और इसे कुछ दिनों के लिए रख दिया जाता है। फलस्वरूप यह पिघले Plastic की तरह लचीली बन जाती है। अब इसे मनचाहे साँचों में ढाल कर खिलौने, मूर्तियाँ, बर्तन तथा टाइल्स आदि बनायी जाती है। इन्हें आकर्षक एवं सुन्दर बनाने के लिए बनाते समय मिट्टी मे रंगीन धात्विक यौगिक मिला दिया जाता है ।
तैयार वस्तुओं को सुखाने के बाद इन्हें एक भट्ठी में व्यवस्थित रूप से रख कर उच्च ताप पर पकाया जाता है। इस प्रकार प्राप्त वस्तुएँ सरन्ध्र (Porous) होती हैं। इन पर अन्य रसायनों जैसे लेड ऑक्साइड Led Oxide अथवा टिन ऑक्साइड Tin Oxide का लेप चढ़ा कर और अधिक गरम किया जाता है, जिससे ऊपर का लेप पिघल कर चमकीली परत के रूप में छिद्रों को ढक कर इन्हें जलरोधक (Water proof) बना देता है।
साबुन Soap क्या है?
कुछ साबुन Soap औषधि के रूप में भी प्रयोग किये जाते हैं, जैसे -त्वचा के रोगी अधिकांशतः जिन साबुनों का उपयोग करते हैं उनमें कुछ मात्रा में कार्बोलिक अम्ल Carbonic Acid, गन्धक, नीम का तेल आदि मिले होते हैं। रासायनिक रूप में साबुन उच्च वसीय अम्लों के सोडियम Sodium तथा पोटैशियम Potesium लवण होते हैं। इन्हें प्रायः सोडियम Sodium अथवा पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड Potesium Hydroxide तथा वनस्पति तेल की पारस्परिक क्रिया द्वारा बनाया जाता है।
अपमार्जक Detergent क्या है?
बाजार से जब आप कपड़ा धोने के लिए साबुन Soap खरीदने जाते हैं तब दुकानदार साबुन Soap की जो टिकिया देता है उस पर सामान्यतः साबुन Soap अंकित नहीं रहता है। टिकिया के रैपर पर डिटर्जेन्ट Detergent टिकिया लिखा होता है। आप ने कभी सोचा है कि यह डिटर्जेन्ट Detergent क्या है ? यह डिटर्जेन्ट Detergent ही अपमार्जक है जो कठोर जल के साथ भी झाग देने वाला रासायनिक पदार्थ होता है। यह कपड़ा धोने में काफी मददगार होता है परन्तु रासायनिक दृष्टि से साबुन Soap से भिन्न होता है।
अपमार्जक साबुन की अपेक्षा कठोर जल में अधिक झाग देते हैं और इनसे कपड़े अधिक साफ धुलते हैं ।
Know More
- हमारे चारों ओर दिखायी देने वाले जीव जन्तु एवं पेड़ पौधे आदि प्रकृति प्रदत्त हैं।
- बर्तन, साइकिल, कार आदि मानव निर्मित वस्तुएँ हैं।
- सूती रेशो एवं संश्लेषित रेशों से सूती वस्त्र तथा नायलॉन, टेरिलीन वस्त्रों का निर्माण होता है।
- कठोरता एवं गलनांक के आधार पर प्लास्टिक को दो भागों में बाँटा गया है - थर्मोप्लास्टिक, थर्मोसेटिंग प्लास्टिक
- साधारण काँच, कठोर काँच एवं फ्लिंट काँच आदि काँच के प्रकार हैं। अपमार्जक कठोर जल के साथ झाग देने वाला रासायनिक पदार्थ है।
No comments:
Post a Comment