तारों की चमक रात्रि में घटती-बढ़ती रहती है, जिसे हम तारों का टिमटिमाना कहते हैं। इसका कारण वायुमण्डल में उपस्थित वायु के अपवर्तनांक में आकस्मिक परिवर्तन है।
वायुमण्डल कभी शान्त नहीं रहता, इसमें सदैव ठण्डी एवं गर्म हवा की धाराएँ चलती रहती हैं, इसके फलस्वरूप वायुमण्डल के किसी स्थान की वायु का अपवर्तनांक बदलता रहता है। वायुमण्डल के अपवर्तनांक में आकस्मिक परिवर्तन के कारण तारे से आने वाली प्रकाश किरणें अपवर्तन के पश्चात् अपने पूर्ववर्ती मार्ग से हट जाती हैं। इसके फलस्वरूप कुछ क्षणों के लिए प्रेक्षक की आँखों में तारे से आने वाला प्रकाश बिल्कुल नहीं पहुँचता या बहुत कम पहुँचता है। यही कारण है कि रात्रि में तारे टिमटिमाते हुए प्रतीत होते हैं।
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