1. मानव नेत्र में वस्तुओं को देखने के लिए एक क्रिस्टेलाइन उत्तल लेंस होता है जबकि कैमरे में भी वस्तुओं का चित्र खींचने के लिए एक उत्तल लेंस लगा होता है।
2. मानव नेत्र में प्रकाश पुतलियों (Pupils) से होकर प्रवेश करता है जबकि कैमरे में स्वचालित से होकर प्रकाश प्रवेश करता है।
3. आवश्यकतानुसार प्रकाश, नेत्र में भेजने के लिए आइरिस की सहायता से पुतलियों को फैलाया या सिकोड़ा जा सकता है जबकि डायाफ्राम में बने छिद्र के द्वारक को आवश्यकतानुसार छोटा या बड़ा किया जा सकता है।
4. नेत्र लेंस द्वारा किसी वस्तु का उल्टा तथा वास्तविक प्रतिबिम्ब रेटिना पर प्राप्त होता है जबकि कैमरे में लगे उत्तल लेंस द्वारा किसी वस्तु का वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिम्ब फोटोग्राफिक फिल्म पर प्राप्त किया जाता है।
5. रेटिना पर बना प्रतिबिम्ब दृक तन्त्रिकाओं (Optic nerves) द्वारा मस्तिष्क में भेजा जाता है जिसे संसाधित करके मस्तिष्क सीधा कर लेता है जबकि फोटोग्राफिक फिल्म पर प्राप्त उल्टे चित्र को फोटोग्राफिक कागज के सुग्राही तल पर रख कर सीधा कर लिया जाता है।
6. पक्ष्माभिकी पेशियों (Ciliarymuscles) द्वारा नेत्र लेंस के फोकस दूरी में आवश्यकतानुसार समायोजन किया जा सकता है ताकि किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर प्राप्त किया जा सके जबकि फोटोग्राफिक फिल्म पर किसी वस्तु का स्पष्ट चित्र प्राप्त करने के लिए कैमरे के धारक में लगे पेंच द्वारा लेंस तथा फोटोग्राफिक फिल्म के बीच की दूरी को आवश्यकतानुसार समायोजित किया जाता है।
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