Light, रोशनी या उजाला-इसे आप जिस नाम से पुकारें, यह हमारे जीवन का अनमोल साथी है। चाहे तितलियों के रंग-बिरंगे पंखों की खूबसूरती हो या फूलों की सुंदरता; सोने, चाँदी, हीरों के गहने हों या फिर मनमोहक पोशाकें Light के बिना इनका कोई महत्त्व नहीं। जब तक हम जगे रहते हैं तब तक Light के माध्यम से ही हम इस संसार की हर गतिविधि में भाग लेते हैं। हमारी earth के लिए Light का सबसे बड़ा स्रोत sun है। पिछले साढ़े चार अरब वर्षों से सूर्य Light उत्पन्न कर लगातार सभी दिशाओं में भेज रहा है और लगभग इतने ही समय तक भविष्य में भी यह इसी तरह सबको Light पहुँचाता रहेगा। सूर्य से चला Light करोड़ों किलोमीटर की दूरी, निर्वात में चलकर, पृथ्वी पर पहुँचता है, लेकिन धरती की सतह को भेदकर आगे नहीं बढ़ पाता। इसी कारण रात में हमें सूर्य की रोशनी सीधी नहीं मिलती है और हमें रोशनी के लिए LED, CFL या ट्यूबलाइट का उपयोग करना पड़ता है। क्या है इस Light की संरचना? कैसे होता है एक स्थान से दूसरे स्थान तक इसका संचरण? क्या रिश्ता है Light का रंगों से? कैसे बनता है आकाश में इन्द्रधनुष? ऐसे बहुत-से प्रश्न हैं, जो भौतिक विज्ञान के प्रेमियों को हमेशा उत्साहित करते हैं।
Light की प्रकृति : wave या कण
Light एक wave है या कणों का समूह, इस प्रश्न का भी एक रोचक तथा लंबा इतिहास है। इस प्रश्न के उत्तर की खोज में ही क्वांटम भौतिकी की उत्पत्ति के बीज अंकुरित हुए, जिसने न केवल दुनिया को देखने का हमारा दृष्टिकोण ही बदला, बल्कि अर्द्धचालक (semiconductor) जैसी वस्तुओं के आविष्कार में प्रमुख भूमिका भी निभाई, जो आज के सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के केंद्र में है।
अपने समय के महान वैज्ञानिक Sir Isaac Newton का विश्वास था कि Light कणों का एक समूह है। वर्ष 1704 में प्रकाशित अपनी पुस्तक Optiks में उन्होंने Light पर किए अपने अनेक अध्ययनों का वर्णन किया है। उनका मानना था कि Light के स्रोत से Light की छोटी-छोटी कणिकाएँ उत्सर्जित होती हैं और वे सरल रेखाओं में चलती हैं। इनकी चाल बहुत अधिक होने के कारण गुरुत्वाकर्षण, घर्षण आदि बलों का प्रभाव छोटी दूरियों में नहीं दिखता। Light सीधी रेखाओं में चलता है और रास्ते में पड़ती वस्तुओं की छाया बनाता है, यह कणिका सिद्धांत (corpuscular theory) के समर्थन में एक बड़ा तथ्य है। Light के परावर्तन को भी कणिकाओं के रूप में आसानी से समझा जा सकता है। प्रत्यास्थ टक्करों में यदि कोई गेंद एक दृढ़ सतह पर टकराती है, तो वह उसी तरह परावर्तित होती है। जैसे कि Light की किरणें दर्पण की सतह से परावर्तित होती है। Light के अपवर्तन को भी न्यूटन ने Light की कणिकाओं पर दोनों माध्यमों द्वारा लगाए गए बलों के आधार पर समझ लिया। उदाहरण लिए, यदि Light की कोई कणिका हवा में चलती हुई पानी की सतह पर तिरछी पड़े, तो पानी का घनत्व हवा के घनत्व से अधिक होने के कारण उसपर नीचे की ओर एक परिणामी बल लगाता है। इस बल के कारण वह कणिका अभिलंब की ओर मुड़ जाएगी। एक बार पानी के अंदर घुस जाने पर सभी ओर से पानी द्वारा बल लगेंगे और परिणामी शून्य हो जाएगा और यह कणिका सीधी रेखा में चलने लगेगी। इस सिद्धांत के अनुसार, पानी में Light की चाल हवा में Light की चाल की अपेक्षा अधिक होगी, क्योंकि बल द्वारा कणिका पर धनात्मक कार्य किया गया है। अलग-अलग रंगों की व्याख्या करने के लिए न्यूटन ने हर रंग के लिए एक अलग प्रकार की कणिका की कल्पना की थी।
न्यूटन के ही काल में डच वैज्ञानिक Christian Huygens का प्रस्ताव था कि Light एक wave गति है और Light सीधी रेखाओं में चलता हुआ इसलिए प्रतीत होता है, क्योंकि उसकी waveों का waveदैर्घ्य सामान्य वस्तुओं की तुलना में बहुत छोटा होता है। Huygens ने यह प्रतिपादित किया कि waves के रूप में चलता Light भी सतहों से परावर्तित और अपवर्तित हो सकता है। यह सब 1690 में प्रकाशित उनकी पुस्तक में वर्णित है।
सत्रहवीं शताब्दी तक Light के बारे में जितनी जानकारियाँ उपलब्ध थीं, वे न्यूटन के कणिका सिद्धांत से भी समझी जा सकती थी और Huygens के wave सिद्धांत से भी। अधिकतर विज्ञान जगत न्यूटन के सिद्धांतों पर विश्वास करता था जिसके कारण wave सिद्धांत को बहुत प्रमुखता नहीं मिली। परंतु, 1801 में जब Thomas Young ने Light के व्यतिकरण के प्रयोगों का प्रदर्शन किया, तो कणिका सिद्धांत की कमियाँ स्पष्ट रूप से सामने आ गईं। इसके बाद के अनेक अध्ययनों, जैसे Augustin Jean Fresnel (1788-1827) द्वारा Light के विवर्तन diffraction का प्रयोग, JBL Foucault द्वारा 1850 में पानी में Light की चाल का मापन, JC Maxwell द्वारा 1860 में विद्युत-चुंबकीय सिद्धांत का प्रतिपादन, जिससे विद्युत-चुंबकीय waves की चाल की गणना हो सकी और जो Light की चाल के बिलकुल बराबर थी, ने यह पूर्णरूप से स्थापित कर दिया कि प्रकाश एक तरंग गति है कणों के समूह नही, जिनपर यान्त्रिकी के नियम लगाए जा सके ।
परंतु, यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। 1902 में जर्मन वैज्ञानिक Philipp E A Lenard ने अपने प्रयोगों में पराबैंगनी किरणों द्वारा धातुओं से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का अध्ययन किया और कई महत्त्वपूर्ण परिणाम स्थापित किए। इस प्रभाव को प्रकाश विद्युत प्रभाव (photoelectric effect) कहते हैं। इन इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा एवं पराबैंगनी किरणों के wavelength के साथ संबंध को wave सिद्धांत के द्वारा भली प्रकार नहीं समझा जा सका। इस समस्या का समाधान Albert Einstein ने 1905 में प्रकाशित अपने शोधपत्र में किया, जहाँ उन्होंने दिखाया कि Lenard के सारे प्रायोगिक परिणाम तभी समझे जा सकते हैं जब Light की ऊर्जा को wave की तरह लगातार आती हुई न मानकर अलग-अलग पैकेटों में आती हुई मानी जाए। ये अलग-अलग पैकेट एक प्रकार से न्यूटन की कणिकाओं की तरह ही हैं, जो गिने जा सकते हैं तथा जो इलेक्ट्रॉन से टक्करों में यांत्रिकी के नियमों का पालन करते हैं। व्यतिकरण (interference) तथा विवर्तन (diffraction) के प्रयोगों से Light की wave प्रकृति निर्विवाद रूप से स्थापित थी और उसे नकारा नहीं जा सकता था। धीरे-धीरे विज्ञान जगत ने यह मान लिया कि Light में waves की तथा कणों की, दोनों ही प्रकृतियाँ अंतर्निहित हैं और विभिन्न परिस्थितियों में दोनों प्रकृतियों में से एक.मुखर हो जाती है। बाद में यह स्थापित हुआ कि यह दोहरी प्रकृति केवल Light का ही गुण नहीं है, बल्कि इलेक्ट्रॉन तथा अन्य स्थापित कणों में भी यह दोहरी प्रकृति (dual nature) होती है
Light Waves की प्रकृति
हर wave में कोई ऐसी राशि होती है जो समय तथा स्थान के साथ बदलती रहती है। डोरी पर wave के लिए 'लंब दिशा में डोरी के कण का विस्थापन' वह राशि है जो x तथा 1 के साथ बदलती है। ध्वनि wave के लिए 'हवा का दाब' वह राशि है जो समय तथा स्थान के साथ बदलती है। डोरी या ध्वनि के लिए माध्यम की प्रत्यास्थता तथा उसके जड़त्व के गुणों के कारण wave आगे बढ़ती है और यही दोनों गुण में wave की चाल को निर्धारित करते हैं।
Light की waves के साथ स्थिति बिलकुल भिन्न है। यह एक अयांत्रिक (nonmechanical) wave है जिसे किसी प्रकार के माध्यम की जरूरत नहीं है। बिना माध्यम के waves का संचरण उस काल के वैज्ञानिकों के लिए बहुत ही अविश्वसनीय बात थी और सूर्य से धरती- तक करोड़ों किलोमीटर के निर्वात में Light की गति का माध्यम लंबे समय तक वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बना रहा। मैक्सवेल समेत सभी भौतिकशास्त्री यह मानते थे कि इस पूरे विश्व में कोई ऐसा माध्यम है जिसकी प्रत्यास्थता बहुत ही ज्यादा है तथा जिसका घनत्व बहुत ही कम है। इसका नाम लोगों ने ईथर (ether) रखा था। ईथर को प्रयोगों द्वारा ढूँढ़ने के सभी प्रयास निष्फल रहे तथा अब सभी मानते हैं कि ऐसा कोई माध्यम नहीं है और Light की waves बिना किसी माध्यम के चलती हैं।
Light की waves में जो भौतिक राशि समय एवं स्थान के साथ बदलती है, वह है विद्युतीय क्षेत्र तथा चुंबकीय क्षेत्र। इन राशियों के बारे में आप पहले से कुछ जानते होंगे और हम बाद के कई अध्यायों में इन क्षेत्रों की विस्तार से चर्चा करेंगे। इस अध्याय में हमें इतना ही याद रखना आवश्यक है कि ये क्षेत्र वेक्टर राशियाँ हैं और इनमें परिमाण तथा दिशाएँ होती हैं। Light की waves में विद्युतीय तथा चुंबकीय क्षेत्र एक-दूसरे से संबंधित होते हैं और एक की जानकारी रहने पर दूसरे का मान निर्धारित हो जाता है। इसलिए, हम सिर्फ विद्युतीय क्षेत्र को ही wave की राशि के रूप में लिखेंगे।
निर्वात में, हवा में या किसी अन्य पारदर्शी (transparent) तथा समांगी (homogeneous) माध्यम में, Light का विद्युतीय क्षेत्र, चुंबकीय क्षेत्र एवं wave के चलने की दिशा, एक-दूसरे के लंबवत होती हैं। अतः, Light की waves अनुप्रस्थ waves हैं। x अक्ष की ओर जाते Light के sine wave का समीकरण निम्नांकित प्रकार से लिखा जा सकता है,
E=E₀cos(kx-ωt), (समीकरण 1)
जहाँ E₀ wave का आयाम है। चूँकि wave x-दिशा में चल रही है, अतः यह वेक्टर yz-तल में होगा।
समीकरण (1) में ω/k wave की चाल है। निर्वात में इसका मान एक सार्वत्रिक स्थिरांक (universal constant) है और इसका मान 299792458 मीटर प्रतिसेकंड है। हम इस चाल का मान प्रायः 3.0 x 10^8 m/s लेंगे। इसे सामान्यतः c अक्षर से निरूपित किया जाता है। Light Wave की यह चाल न तो स्रोत की गति पर निर्भर करती है और न ही प्रेक्षक की गति पर। दो फ्रेमों में किसी वस्तु के वेगों के जो संबंध आपने पढ़े होंगे, यह तथ्य उन संबंधों से बिलकुल अलग है और यह भी समय और स्थान की हमारी मूल अवधारणाओं को बदलने को मजबूर करता है। आइंस्टीन द्वारा स्थापित सापेक्षता के सिद्धांत का यह एक बड़ा स्तंभ है।
यद्यपि Light को चलने के लिए माध्यम की आवश्कता नहीं होती है, फिर भी वह कुछ विशेष माध्यमों में आसानी से चल सकता है। ऐसे माध्यम पारदर्शी (transparent) कहलाते हैं। पानी, शीशा, साफ प्लास्टिक आदि पारदर्शी माध्यमों के उदाहरण हैं। सभी प्रकार की गैसें पारदर्शी माध्यम होती हैं। किसी पारदर्शी माध्यम में जाते sine wave का समीकरण भी समीकरण (1) के रूप में लिखा जा सकता है। दूसरे माध्यम में जाने पर wave की आवृत्ति में परिवर्तन नहीं होता, किंतु waveदैर्ध्य में परिवर्तन हो जाता है। अर्थात, तो वही रहता है, लेकिन k बदल जाता है। wave की चाल = ω/k का मान हर माध्यम में c से कम होता है। अनुपात n = c/v को उस माध्यम का अपवर्तनांक (refractive index) कहते हैं। किसी माध्यम में Light की चाल उसकी आवृत्ति पर भी निर्भर करती है। हवा का अपवर्तनांक 1 के लगभग ही होता है।
एक बिंदु से सभी दिशाओं में एकसमान रूप से फैलती waves गोलीय waves (spherical waves) कहलाती हैं और इनका आयाम स्रोत से दूरी का व्युत्क्रमानुपाती होता है। अतः, इसका समीकरण
E = (αE₀/r)cos(kr-ωt)
लिखा जा सकता है, जहाँ r स्रोत से बिंदु की दूरी है तथा α, E₀ अचर राशियाँ हैं।
मनुष्य द्वारा जिस Light का उपयोग वस्तुओं को देखने के लिए किया जाता है उसकी आवृत्ति लगभग 3.8 x 10^14 Hz से 7.8 x 10^14 Hz के बीच में होती है। हवा में इस Light के wavelength का रेंज लगभग 380 nm से 780 nm तक होता है। विभिन्न प्रकार के रंगों का अनुभव हवा (या निर्वात) में Light के wavelength के मानों से संबंधित है। नीचे दी गई सारणी में wavelengths तथा मनुष्यों द्वारा अनुभव किए जाने वाले रंगों का विवरण दिया गया है। इस सारणी से आपको एक लगभग कल्पना मिलेगी कि कौन-से wavelength की Light आँखों में कैसे रंग की अनुभूति देगा।
रंग हवा में wavelength
बैंगनी 380-450nm
नीला 450-500 nm
हरा 500-570 nm
पीला 570-590 nm
नारंगी 590-620 nm
लाल 620-780 nm
सामान्यतः, जो Light आप सूर्य, बल्व, मोमबती आदि से प्राप्त करते हैं वह अनेक wavelengths के Lights का मिश्रण होता है। यदि किसी Light में एक ही wavelength हो, तो उसे एकवर्णी Light (monochromatic light) कहते हैं। wavelengths के विभिन्न प्रकार के मिश्रणों से अनेकों प्रकार के रंग बनते हैं जो सारणी में वर्णित रंगों से अलग हो सकते हैं।
शुद्ध एकवर्णी wave प्राप्त करना संभव नहीं होता है। लेसर Light (laser light) लगभग एकवी कहलाता है। सड़कों पर लगे पीले रंग के बल्ब में बहुधा सोडियम का वाष्प भरा होता है। ये भी कुछ हद तक एकवर्णी Light उत्सर्जित करते हैं। समीकरण (1) एक शुद्ध एकवर्णी Light Wave का ही समीकरण है।
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