आपने कभी वर्षा से भीगी सड़क पर Mobile Oil बिखरा देखा है? पानी की सतह पर तेल की एक बूंद Oil dropको फैलते देखा है? आपने साबुन के पानी के बुलबुले तो बनाए ही होंगे। हवा में उड़ते इन बुलबुलों को ध्यान से देखा है? ये सभी रंग-बिरंगे दिखाई देते हैं। न तो Mobile oil में ऐसे रंग होते हैं, न तेल में और न ही साबुन के घोल में। परंतु, ये सभी तरह-तरह के रंग दिखाते हैं और यदि आप अपनी आँखों को थोड़ा इधर-उधर करें, तो ये रंग बदलते हुए भी नजर आते हैं। कैसे आते हैं ये रंग? इनके रंग, देखनेवाले द्वारा अपने सिर को जरा-सा इधर-उधर करने पर क्यों बदल जाते हैं? यह सब प्रकाश तरंगों के व्यतिकरण interference of light के कारण होता है। आप एक CD (Compact Disk) की डाटा रखने वाली सतह को देखें। यह भी आपको कई बार रंग-बिरंगी दिखेगी। यह प्रकाश तरंगों के अध्यारोपण के एक और प्रकार, 'विवर्तन' diffraction के कारण होता है।
प्रकाश के व्यतिकरण से संबंधित अपने प्रयोगों के निष्कर्ष को Thomas Young ने वर्ष 1802 में रॉयल सोसाइटी के समक्ष प्रस्तुत किया। इस पेपर के प्रकाशन ने प्रकाश के तरंग सिद्धांत को स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। रॉयल सोसाइटी में दिए व्याख्यान में यंग ने यह प्रतिपादित किया कि यदि प्रकाश किसी एक स्रोत से निकलकर दो अलग-अलग रास्तों से चलकर एक ही स्थान पर पहुँचे, तो व्यतिकरण के कारण उसकी तीव्रता में क्रमिक उतार-चढ़ाव आता है। अपने पहले प्रयोग में यंग ने सूर्य के प्रकाश के एक पतले किरणपुंज के रास्ते में एक पतला-सा कार्ड रखा और कार्ड के दोनों ओर से जाते प्रकाश को सामने की दीवार पर देखा। इस दीवार पर विभिन्न रंगों के कम व अधिक तीव्रता के प्रकाश दिखे। यंग ने प्रकाश के व्यतिकरण के आधार पर इसकी व्याख्या की। इसी प्रयोग के परिष्कृत रूप को आज लाखों-करोड़ों विद्यार्थी स्कूलों, कॉलेजों में यंग के double slit प्रयोग (Young's double slit experiment) के नाम से करते हैं।
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