यदि आप एक कार्डबोर्ड को अपने मुँह के सामने रखकर कोई गीत गाते हैं, तो कार्डबोर्ड के दूसरी ओर खड़े आपके मित्र को वह गीत आसानी से सुनाई देता है। यदि एक कमरे में लोग कुछ बातें कर रहे हों और आप कमरे के खुले दरवाजे के बाहर खड़े हों, तो भले ही आप बात करनेवालों को न देख पाएँ, पर उनकी बातें सुन सकते हैं। किसी भी माध्यम में ध्वनि तरंगें सीधी रेखाओं में चलती हैं, लेकिन जब वे किसी वस्तु के किनारों के पास से गुजरती हैं, तो वे वहाँ मुड़ जाती हैं। दरवाजे के किनारों से मुड़कर फैलती ध्वनि के कारण ही आप कमरे के अंदर की बातें सुन पाते हैं या फिर कार्डबोर्ड के एक ओर उत्पन्न ध्वनि इसके किनारों से मुड़कर ही दूसरी ओर के श्रोता तक पहुँच पाती है। तरंगों के इस प्रकार वस्तुओं के किनारों से मुड़कर फैलने की क्रिया को बहुधा तरंगों का विवर्तन (diffraction of wave) कहते हैं। परंतु, विवर्तन इससे कहीं अधिक रोचक घटना (phenomenon) है। ध्वनि की तरह ही प्रकाश भी वस्तुओं के किनारों से विवर्तन करता है।
विवर्तन की प्रकृति Nature of Diffraction
तरंगों के आगे बढ़ने की प्रक्रिया का निर्धारण Huygens के सिद्धांत के आधार पर किया जा सकता है। किसी स्थान पर तरंग के चलने की दिशा उस स्थान पर बने तरंगाग्र (wavefront) की सतह के लंबवत होती है। एक तरंगाग्र से बाद के समय के तरंगाग्र की रचना करने के लिए आप तरंगाग्र के प्रत्येक बिंदु को द्वितीयक स्रोत (secondary source) मान सकते हैं और यहाँ से गोलाकार तरंगिकाएँ (wavelets) निकलती हुई मान सकते हैं। Huygens ने इन्हीं द्वितीयक तरंगिकाओं के ज्यामितीय स्पर्शतल को अगले तरंगाग्र के रूप में स्थापित किया। बाद में फ्रांस के Augustin Jean Fresnel ने यह स्थापित किया कि यह स्पर्शतल वस्तुतः द्वितीयक तरंगिकाओं के रचनात्मक अध्यारोपण का स्थान है। अर्थात, बाद का तरंगाग्र पहले के तरंगाग्र से निकली सभी द्वितीयक तरंगिकाओं के अध्यारोपण से बनता है।
x-दिशा में चलती प्रकाश की एक तरंग का विचार करें। किसी समय इसका तरंगाग्र E1, y-z तल के समानांतर एक समतल होगा [चित्र देखे]। इसके विभिन्न बिंदुओं से उत्पन्न द्वितीयक तरंगिकाएँ अध्यारोपण कर आगे का समतल तरंगाग्र E2 बनाती हैं और प्रकाश x-दिशा में आगे बढ़ता है।
अब यदि इस तरंग के पथ में कोई अपारदर्शी पट्टिका AB रख दी जाए [चित्र देखे], तो E1 के जो बिंदु AB के सामने पड़ रहे हैं, वहाँ से द्वितीयक तरंगिकाएँ आगे नहीं जा पाएँगी। तरंगाग्र E1 का अब जितना भाग AB के बाहर है वहीं से निकली द्वितीयक तरंगिकाएँ अध्यारोपित होंगी। स्वाभाविक रूप में इस अध्यारोपण के कारण जो नया तरंगाग्र E2', बनेगा वह समतल न होकर कुछ अन्य ज्यामितीय आकार का होगा। तरंगों के चलने की दिशाएँ इस तरंगाग्र की सतह के लंबवत होंगी, अतः अब वे सिर्फ x-दिशा में न चलकर अन्य दिशाओं में भी चलेंगी।
इसी प्रकार, यदि x-दिशा में चलते हुए प्रकाश के अधिकांश भाग को एक अपारदर्शी पट्टी द्वारा रोक दिया जाए और सिर्फ एक छोटा भाग AB खुला रखा जाए [चित्र देखे], तो तरंगाग्र ,E1 के सिर्फ उन बिंदुओं से ही निकली द्वितीयक तरंगिकाएँ अध्यारोपित होंगी जो AB पर पड़ रही हों। इनसे बने नये तरंगाग्र E2', का अलग ही ज्यामितीय आकार होगा और प्रकाश के चलने की दिशाएँ उसके अनुसार बनेंगी।
न केवल प्रकाश के चलने की दिशा, बल्कि उसकी तीव्रता भी इन तरंगिकाओं के अध्यारोपण पर निर्भर करती है। अतः,प्रकाश के तरंगाग्र को सीमित कर देने से विभिन्न दिशाओं में जाते प्रकाश की तीव्रता भी अलग-अलग हो सकती हैं।
Fraunhofer तथा Fresnel विवर्तन Diffraction
प्रकाश के विवर्तन (diffraction) का अध्ययन करने के लिए आवश्यक व्यवस्था चित्र में दिखाई गई है। एक पतली Slit So से निकलता प्रकाश एक विवर्तनकर्ता (diffracting element) G पर पड़ता है। यह G एक अपारदर्शी पट्टी में बनी एक पतली Slit हो सकती है। या फिर स्वयं ही एक पतली अपारदर्शी पट्टिका हो सकती है, या फिर इस प्रकार की अनेक Slits, पट्टिकाओं या छिद्रों का समूह हो सकता है। चित्र में इसे एक Slit के रूप में दिखाया गया है। G के दूसरी ओर निकलते प्रकाश को एक पर्दे S पर प्राप्त किया जा रहा है। पर्दे के विभिन्न स्थानों पर आनेवाले प्रकाश की तीव्रता में विशिष्ट प्रकार का परिवर्तन विवर्तन के गुण को प्रदर्शित करता है। व्यतिकरण की तरह ही यहाँ भी दीप्त तथा अदीप्त फ्रिजें बन सकती हैं।
चित्र में दिखाई गई विवर्तन diffraction की इस व्यवस्था में स्रोत So तथा पर्दा S, विवर्तनकर्ता G से कुछ ही दूरी पर (at finite distances) हैं। ऐसी स्थिति में हुए विवर्तन diffraction को Fresnel diffraction कहते हैं। यदि स्रोत So तथा पर्दा S विवर्तनकर्ता से बहुत अधिक दूरी पर हो, तो इस प्रकार के विवर्तन diffraction को Fraunhofer diffraction कहते हैं। प्रयोगशाला में Fraunhofer diffraction की स्थिति प्राप्त करने के लिए विवर्तनकर्ता के आगे एक उत्तल लेंस लगा देते हैं और पर्दे को इस लेंस के फोकल-तल में रखते हैं। पर्दे के किसी एक बिंदु पर पहुँचनेवाला प्रकाश विवर्तनकर्ता G से एक ही दिशा में चलता है और इसलिए प्रभावी तौर पर स्रोत से पर्दे की दूरी अनंत जैसी हो जाती है। इसी प्रकार, स्रोत से आनेवाले प्रकाश को भी उत्तल लेंस से भेजकर समानांतर कर दिया जाता है।
Josef von Fraunhofer जर्मनी के एक अतिदरिद्र परिवार में जन्मे विलक्षण प्रतिभा के व्यक्ति थे जिन्होंने बड़े संघर्ष के साथ समाज में अपना स्थान बनाया था। उनके सम्मान में ही विवर्तन diffraction की एक शाखा का नाम Fraunhofer diffraction रखा गया है। यह एक संयोग की बात है कि प्रकाश के विवर्तन diffraction से जुड़े ये दो बड़े वैज्ञानिक Fresnel तथा Fraunhofer 39 वर्षों की अल्पायु तक ही जीवित रह पाए।
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