जब किसी कण को ऊधिर दिशा में न फेंककर और किसी दिशा में फेंकते हैं, तो उसका रास्ता सरल रेखा में नहीं होकर वक्र पथ पर होता है। ऐसी गति प्रक्षेप्य गति कहलाती है। यह गति ऊर्ध्वाधर तल में होती है। इस प्रकार की गति आप लगभग प्रतिदिन देखते एवं पैदा करते होंगे। फुटबॉल के खेल में जब भी गेंद हवा में होती है तब लगभग हर बार ही उसकी गति वक्र पथ पर होती है। गेंद ऊपर भी जाती है और आगे भी बढ़ती है। इसी तरह क्रिकेट के खेल में छक्के के लिए जाती हुई गेंद भी प्रक्षेप्य गति करती है।
प्रक्षेप्य का पथ परवलयकार होता है ।
 
 
 
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