देश में छोटे और मध्यम आकार के उद्योग शुरू करने से जुड़ी वित्तीय आवश्यकताओं को करने के लिए भारत सरकार ने अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) की शुरुआत की
इस योजना के दो प्रमुख उद्देश्य हैं, पहला- स्वरोजगार के लिए आसान लोन उपलब्ध करवाना और दूसरा- छोटे उद्यमों के माध्यम से रोजगार के नए अवसर सामने लाना। यह लोन नॉन-कॉर्पोरेट छोटे व्यवसायों के लिए बनाया गया है
इन ऋणों को इस योजना के तहत मुद्रा ऋण के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ये ऋण वाणिज्यिक बैंक, आरआरबी, लघु वित्त बैंक, सहकारी बैंक, एमएफआई और एनबीएफसी द्वारा दिए जाते हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तत्वावधान में, MUDRA एक संस्थापन है जिसने मुद्रा लोन के विभिन्न उत्पाद योजनाएँ बनाए हैं। लाभार्थियों की सूक्ष्म इकाई, उद्यमी की वृद्धि व विकास और वित्त पोषण की जरूरतों के चरण को दर्शाने के लिए तीन योजना बनाई गई है जिनको को 'शिशु', 'किशोर' और 'तरुण' नाम दिया गया है और यह देखने के लिए स्नातक/विकास के अगले चरण के लिए एक संदर्भ बिंदु प्रदान करता है।
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