भारतीय अर्थव्यवस्था में “जाम" (JAM) का अर्थ है - (जनधन, आधार, मोबाइल)
बृहद स्तर पर, टेक्नोलोजी की सहायता से, वास्तविक समय में लाभांश का सीधा हस्तांतरण (DBT) होने की स्थिति में देश के गरीबों की आर्थिक स्थिति में सुधार अपेक्षित है। और इस प्रक्रिया में “जाम त्रिमूर्ति (जन-धन, आधार और मोबाइल) सरकारी प्रयास को सफल कर सकेंगे। गत वर्षों में “जाम' की पैठ, आश्यर्चजनक रूप से बढ़ी है और लगभग 4 मिलियन एकाउंट, प्रति सप्ताह की दर से खोले गये हैं और कई मोबाइल-मनी-आपरेटर्स को लाइसेंस दिये गये हैं। सीधे नकदी हस्तांतरण से देश के गरीबों के आर्थिक जीवन में सुधार आ सकता है, आर्थिक क्षमता में वृद्धि हो सकती है, भ्रष्टाचार रुक सकता है और बाजार की उथल-पुथल पर काबू पाया जा सकता है। वृहद पैमाने पर लाभांश का सीधा हस्तांतरण, वास्तविक समय में, भारत सरकार का प्रमुख लक्ष्य है और गत वर्षों में इसमें उल्लेखनीय प्रगति भी हुई है।
"जाम" त्रिमूर्ति- जन-धन, आधार और मोबाइल के द्वारा सरकार को सीधे लाभांश हस्तांतरण योजना पर अमल करने में प्रभावी सहायता मिली है।
यदि सरकार, कल 1000/- रु. प्रत्येक भारतीय के खाते में हस्तांतरित करना चाहे तो निम्न आवश्यकता होगी-
1. सरकार द्वारा लाभार्थियों को चिन्हित करना
2. सरकार उनके खाते में धन का हस्तांतरण सीधे तौर पर कर सके।
3. लाभार्थी को यह धनराशि आसानी से उपलब्ध हो।
पहले ही चरण की असफलता के कारण आगे की गलतियाँ जैसे धन का गलत जगह पहुंचना और धनी तथा अदृश्य घरों को उसका लाभ मिल जाता है। इससे सरकार को राजस्व हानि होती है। आगे के दो चरणों की असफलता से पात्र लाभार्थी, सरकारी लाभ से वंचित रह जाते हैं। सरकार को इन वंचित लाभार्थियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, क्योंकि इससे अत्यधिक निर्धन सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
"जाम" के संघटक (Ingredients of JAM)
"जाम" के आवश्यक संघटक इस प्रकार हैं-
1. सरकार-लाभार्थीः सही पहचान की चुनौती-
इस कार्य के लिए सरकार के पास आवश्यक डाटा-बेस होना आवश्यक है। लाभार्थियों का डाटा-बेस, 'आधार' व्यवस्था के पहले से मौजूद है परंतु उसकी सत्यता और वैधता पर प्रशासनिक तथा राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण संदेह है। इसको तैयार करने में राजनैतिक एवं प्रशासनिक ढिलाई से पहचान-पत्र जैसे बी. पी. एल कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या वोटर पहचान-पत्र जैसे मानदंडों में मनमानी हुई है। छद्म नाम तथा दोहरे नामों के कारण लाभार्थियों की सूची में गड़बड़ियाँ और तत्पश्चात लाभांश में हेरा-फेरी की गयी। 'आधार' की गुणवत्ता, मानवीय विचारशीलता के स्थान पर टेक्नोलॉजी आधारित है, परंतु इसे सरल बनाते हुए नागरिकों को अंगुलियों के निशान और पुतलियों की पहचान का तरीका अपनाया गया है। वर्ष 2020 तक देश के 125 करोड़ निवासियों को 12 अंकों वाली विशिष्ट पहचान संख्या हांसिल हो गई थी। यह सेवा 2009 में प्रारंभ की गई थी।
2. सरकार-→ बैंकः लाभार्थियों को भुगतान की चुनौती –
लाभार्थियों की पहचान के बाद सरकार द्वारा उन्हें लाभांश हस्तांतरित किया जाना चाहिए जिसके लिए सरकार के पास इनकी खाता संख्या होनी चाहिए। इस कठिनाई पर, प्रधानमंत्री जन-धन योजना के माध्यम से काफी हद तक काबू पा लिया गया है। गत वर्ष, रिकार्ड तेजी से 120 मिलियन बैंक खाते खोले गये, लगभग 3 लाख खाते प्रतिदिन। जन-धन की इस आश्चर्यजनक सफलता के बावजूद भी बचत खातों की पैठ, प्रदेशों में सापेक्ष रही है। अतः नीति-निर्धारकों को इस बात का संज्ञान लेना पड़ेगा, जन-धन योजना से वंचित लाभार्थियों तक सरकारी अनुदान केसे पहुँच सकता है। जन-धन योजना और आधार की पैठ को तुलनात्मक रूप से देखने से यह प्रतीत होता है कि गैर-बैंकिंग कवरेज वाली जनंसख्या "जाम" के प्रकार में एक अवरोधक के रूप में है। पूरे देशभर में इस योजना के अंतर्गत 2020 तक 38 करोड़ से ज्यादा खाता खोले गए।
3. बैंक, लाभार्थीः लाभार्थियों तक, अंतिम चरण के रूप में, धन पहुंचाने की चुनौती:
ग्रामीण-भारत में लाभार्थियों के घरों तक, अंतिम-मील या चरण के रूप में धन पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है। देश में केवल 27% गाँव ही ऐसे हैं जो किसी बैंक के पाँच किमी. के दायरे में स्थित हैं। इस समस्या से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्ष 2015 में 23 नये बैंकों को (2 सर्वभौम बैंक, 11 अदायगी बैंक और 10 लघु वित्तीय बैंक) लाइसेंस दिया है। देश में “जाम" के प्रसार से यह परिलक्षित होता है कि मोबाइल की पैठ पूरे भारत में, काफी गहरी हो चुकी है। इसके अतिरिक्त देश में, वर्तमान में लगभग 1.4 मिलियन एजेंट्स या सेवा स्थल (Service Posts) मौजूद हैं जो 1010 मिलियन मोबाइल उपयोक्ताओं को (1:720 के अनुपात में) सेवा प्रदान कर रहे हैं।
भारत को गहरी मोबाइल पैठ और बड़े एजेंट नेटवर्क का लाभ उठाते हुए, मोबाइल टेक्नोलोजी का अधिकाधिक इस्तेमाल करते हुए, सेवा-प्रदत्तता की गुणवत्ता में सुधार लाना चाहिए। उदाहरणस्वरूप, में मोबाइल के जरिये ग्राहकों/लाभार्थियों को यह सूचना प्रदान की जा सकती है कि स्थानीय दुकान राशन या खाद आ गयी है। यद्यपि इस वर्ष कुछ महत्त्वपूर्ण बदलाव किये गये हैं जिससे अंतिम-मील की वित्तीय-संबद्धता में सुधार हो सके। "जाम" की श्रृंखला में बैंक एवं लाभार्थियों की चेन अब भी एक कमजोर कड़ी है।
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