तृतीय गति-नियम में गति की तो चर्चा ही नहीं होती, इस नियम को हम निम्न प्रकार लिख सकते हैं।
यदि वस्तु A वस्तु B पर एक बल लगा रही हो, तो उसी समय वस्तु B वस्तु A पर उतने ही परिमाण का बल विपरीत दिशा में लगा रही होती है।
उदाहरण के लिए, गुरुत्वाकर्षण बल को देखें। यदि M1 वाली वस्तु A तथा M2 द्रव्यमान वाली वस्तु B एक-दूसरे से दूरी पर रखी हों, तो दोनों एक-दूसरे को आकर्षित करती हैं। वस्तु A वस्तु B पर अपनी ओर बल F1 लगाती है जबकि वस्तु B वस्तु A पर अपनी ओर बल F2 लगाती है। इन बलों के परिमाण बराबर हैं (GM1M2/r^2) तथा वे विपरीत दिशाओं में लगते हैं।
इसी प्रकार, यदि किसी टेबुल पर किताब रखी हो, तो टेबुल और किताब एक-दूसरे पर विपरीत दिशाओं में बराबर परिमाण के बल लगा रही होती हैं। टेबुल किताब पर अभिलंब प्रतिक्रिया का बल N ऊपर की ओर लगाती है। साथ ही किताब टेबुल पर उतना ही बल N नीचे की ओर लगाती है। टेबुल को किताब नीचे दबाती है तथा टेबुल किताब को ऊपर ठेलती है।
रस्सी के एक सिरे को खिड़की के जंगले से बाँधकर दूसरे सिरे को पकड़कर खींचें। हाथ रस्सी पर दाहिनी ओर बल लगा रहा है। रस्सी भी हाथ पर उतना ही बल बायीं ओर लगा रही है।
जब रस्सी से बाँधकर हम किसी वस्तु को लटकाते हैं, तो रस्सी वस्तु को ऊपर की ओर खींचती है और वस्तु रस्सी को नीचे की ओर खींचती है। दोनों बलों के परिमाण बराबर होते हैं, जिसे हम उस सिरे पर रस्सी का तनाव कहते हैं। इसी तरह रस्सी छत को नीचे और छत रस्सी को ऊपर, बराबर परिमाण के बल से खींचती है जिसे हम ऊपरी सिरे पर रस्सी का तनाव कहते हैं। यदि हम अपने मन में रस्सी के बीच का कोई काट A सोचें, तो A के नीचे की रस्सी, A के ऊपर की रस्सी को नीचे की ओर खींचती है और A के ऊपर की रस्सी, A के नीचे की रस्सी को ऊपर की ओर खींचती है। इन दोनों बलों के परिमाण बराबर होते हैं जिसे हम A बिंदु पर रस्सी का तनाव कहते हैं। यदि रस्सी बहुत कम भारवाली हो, तो पूरी रस्सी में तनाव एकसमान ही रहता है। अर्थात, जितना तनाव रस्सी के निचले सिरे पर है, उतना ही ऊपरी सिरे पर भी होता है, तथा उतना ही बीच के किसी भी बिंदु पर होता है।
ध्यान देने की बात है कि न्यूटन का तृतीय गति-नियम सिर्फ दो वस्तुओं के बीच आपस का मामला है। जिन दो बलों के बराबर और विपरीत होने की बात इस नियम में कही गई है, वे दो वस्तुओं द्वारा एक-दूसरे पर लगाए जाते हैं। कोई तीसरी वस्तु द्वारा या उसपर लगा बल इस नियम के दायरे में नहीं आता। यह भी ध्यान देने की बात है कि ये बल एक ही वस्तु पर नहीं लगते हैं, बल्कि दो अलग-अलग वस्तुओं पर लगते हैं। न्यूटन के तृतीय गति-नियम से जुड़े दो बल क्रिया-प्रतिक्रिया युग्म (action-reaction pair) कहलाते हैं। बल F1 तथा F2 क्रिया-प्रतिक्रिया युग्म बल कहे जा सकते हैं। हम यह नहीं कहेंगे कि है F1 क्रिया है और F2 उसकी प्रतिक्रिया, या F2 क्रिया है और F1 उसकी प्रतिक्रिया। हम इतना ही कह सकते हैं कि ये दोनों बल मिलकर क्रिया-प्रतिक्रिया युग्म बनाते हैं।
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