आर्थिक सर्वेक्षण 2012-13 के अनुसार, नेशनल लैंड रिकॉर्ड्स मार्डनाइजेशन प्रोग्राम (NLRMP), जो 2008 में प्रारंभ किया गया था, का उद्देश्य था कि भूमि-अभिलेखों का 12वीं योजना की समाप्ति तक पूरी तरह से अंकीकरण (digitize) कर दिया जाए। अंतत: इरादा था कि भू-अभिलेखों में आनुमानिक उपाधियां स्वामित्व की जगह निर्णायक उपाधि (Conclusive Title) की स्थिति में पहुँचा जाय। आनुमानिक-उपाधि में रजिस्ट्रेशन करने पर भी भू-स्वामित्व, कानूनन वैध नहीं हो जाता जबकि निर्णायक-उपाधि में स्वामित्व, वैध माना जायेगा। अंकीकरण करने भूमि के क्रय-विक्रय की प्रक्रिया सस्ती होगी, निर्णायक-उपाधि से वैधानिक अनिश्चितता समाप्त होगी और सरकार को, भू-अधिग्रहण के समय मध्यस्थता करके भू-स्वामित्व-उपाधि की दुरुस्ती नहीं देनी पड़ेगी।
अंकीकरण एक समय व्यर्थ वाली प्रक्रिया है और इसमें राज्य सरकारों की सक्रियता अपेक्षित है, जहां टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल समयबद्ध तरीकों से काम पूरा किया जाना चाहिए। अंकीकरण का कार्य पूरा हो जाने पर भूमि संबंधी मामलों में पारदर्शिता आयेगी, उचित मूल्यांकन हो सकेगा और साथ ही एक संगठित बाजार विकसित हो सकेगा।
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