Wednesday, May 19, 2021

भूमि अधिग्रहण विधेयक क्या है What is Land Acquisition Bill | Indian Economy

वर्तमान में कृषि क्षेत्र की जमीन को गैर-कृषि कार्य के लिए उपयोग का काफी विरोध किया जाता है। यह विषय राज्य सरकारों का है। भूमि अधिग्रहण नीति, भू-अधिग्रहण कानून, 1894 (जो कि अब बदला जा चुका है) के अंतर्गत क्रियान्वित की जाती है। 

औद्योगिक संस्थान, भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण चलते मंजूरी में देरी के कारण, उद्योगों की स्थापना में हो रहे विलंब से बेचैन है। 18 बड़े प्रोजेक्ट्स जिनकी कुल लागत 2,44,815.50 करोड़ रुपये हैं, भू-अधिग्रहण में अत्यधिक विलंब और पर्यावरण संबंधी हरीझंडी न मिलने से अटके पड़े हैं। 

उद्योगों के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश न हो पाने से संवृद्धि का स्तर ऊपर नहीं जा पायेगा। भारत पहले ही संवृद्धि में धीमी गति और सुस्त निवेश का अनुभव कर रहा है और इसे गति प्रदान करने की आवश्यकता है। यह संसाधनों की उपलब्धि का प्रश्न नहीं है (वे पहले से ही उपलब्ध है), बल्कि उनका निवेश के रूप में रूपांतर एक प्रश्न है। इसी संदर्भ में नया भूमि अधिग्रहण बिल, जिसे "भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम - 2013 (Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition Act 2013) कहा गया, पारित किया गया और पुराने बिल को रद्द किया गया। 

इस अधिनियम के द्वारा औद्योगीकरण, आवश्यक ढांचागत सेवाओं का विकास और शहरीकरण के लिए पारदर्शी प्रक्रिया के तहत् भूमि अधिग्रहण किया जायेगा और इसका ध्यान रखा जायेगा कि भू-स्वामी और अन्य प्रभावित परिवारों को कम-से-कम परेशानी हो। भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवार और वे लोग, जिनका जीवनयापन प्रभावित हुआ है, उन्हें न्यायोचित और समुचित मुआवजा दिया जायेगा। 

नये अधिनियम में सार्वजनिक कारण को परिभाषित किया गया है ताकि मनमाने तौर पर भूमि अधिग्रहण न हो सके। अधिग्रहण के सामाजिक प्रभाव और 'सार्वजनिक कारण' का निर्धारण अनिवार्य होगा, इसे सहभागिता की प्रक्रिया से निर्धारित किया जायेगा। भूमि अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों को पुनर्स्थापन व पुनःसुधार से संबंधित कुछ अधिकार भी परिभाषित किये गये हैं। 

खाद्य सुरक्षा को संरक्षण और अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण को सीमित/प्रतिबंधित करने तथा बिना ग्राम-पंचायतों की सहमति के, अनुसूचित तथा जनजातियों को मुआवजा, पुनर्वास और पुनसुधार का निर्णय नहीं किये जा सकने जैसे प्रावधान बनाये गये हैं। 

सरकार द्वारा 100 वर्ष पुराने भूमि-अधिग्रहण कानून में संशोधन एक सराहनीय कदम है। पहली बार ऐसा विस्तृत कानून बनाया गया है जिसमें अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्सधार जैसे प्रावधानों को एक ही अधिनियम में शामिल किया गया है। यह कानून एक 'मील का पत्थर' है, परंतु साथ ही यह भी आशंका बढ़ गयी है कि किसी भी उपक्रम की लागत, जमीन अधिग्रहण मुआवजे के कारण कई गुना बढ़ जायेगी। 

विशद् स्तर पर, यह कहा जा सकता है कि इस बिल या अध्यादेश से एकरूपता और पारदर्शिता बढ़ेगी, अस्पष्टता हटेगी और इन सबसे महत्त्वपूर्ण लाभ यह होगा कि कृषि योग्य भूमि के गैर-कृषि कार्यों में बदलने की प्रक्रिया में सुविधा बढ़ेगी साथ ही अर्थव्यवस्था में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। 

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भूमि सुधार की दिशा में यह मील के पत्थर जैसा महत्त्वपूर्ण अध्यादेश है फिर भी अनेक ऐसे अनसुलझे पहलू अभी भी बचे हैं, जिन पर सरकार का ध्यान, भूमि सुधार की ओर देना आवश्यक है। 

No comments:

Post a Comment