सरकार ने गिन्नी के गोल्ड बांड योजना एवं सोना मुद्रीकरण योजना (Gold Investment Scheme) 5 नवंबर, 2015 को शुरू की। इनका मुख्य उद्देश्य सोने की माँग को कम करना तथा प्रतिवर्ष आयातित सोने के एक भाग को निवेश के रूप में उपयोग करके वित्तीय बचत को बढ़ावा देना है।
गिन्नी के गोल्ड बांड (Sovereign Gold Bonds)
इनका निर्गमन, भारत सरकार के पक्ष में, रिजर्व बैंक द्वारा रुपयों में, ग्राम के हिसाब से अंकित मूल्य पर, केवल भारतीयों को डी-मैट और कागज़ के रूप में दिया जा सकता है। इस योजना में न्यूनतम तथा अधिकतम निवेश की सीमा प्रति व्यक्ति, प्रति वित्तीय वर्ष क्रमशः दो ग्राम और 500gm सोना है। वर्ष 2017-18 के लिए निश्चित ब्याज दर 2.50 प्रतिशत प्रतिवर्ष है जो छः माह की अवधि पर देय होगा। गोल्ड ब्रांड का स्वरूप 8 वर्षों के लिए है और पाँच वर्षों बाद इसमें से निर्गमन किया जा सकता है। 'ग्राहक को जानो' संबंधी नियम वही है जो सोने के लिए लागू है। इसमें "पूँजीगत लाभ-कर" (Capital Gains Tax) में छूट भी लागू ब्रांड की अवधि पूरी होने पर, प्रतिदान (Redemption) के रूप में उस समय के सोने के भाव पर, समतुल्य रुपये में अदायगी होगी। योजना की शुरुआत की पहली दो शृंखलाओं में लगभग 3.90 लाख आवेदकों से 993 करोड़ रुपये का कुल 3788 किलोग्राम सोना खरीदा गया।
सोना मुद्रीकरण योजना (Gold Monetisation Scheme)
सोना मुद्रीकरण योजना, भारत सरकार की एक स्वागत योग्य योजना है जिसमें घरों में बंद तथा संस्थाओं में सुरक्षित रखे सोने को अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा में लाकर विकास कार्यों में उपयोग किया जा सकता है। इस योजना के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं-
- घरों और संस्थाओं में बंद पड़े स्वर्ण को गतिशील करना।
- जवाहरात और आभूषण क्षेत्र में जमा सोना को कच्चे माल के तौर पर उपलब्धता, बैंक से कर्ज के रूप में।
- कालांतर में देश में सोने के आयात पर अत्यधिक निर्भरता में कमी।
1. योजना का उद्देश्य घरों और संस्थानों में बंद पड़े सोने को गतिशीलता प्रदान करना। इस प्रकार इकट्ठा किया गया सोना, जौहरियों को नये आभूषण एवं अन्य उत्पाद बनाने के लिए कच्चे माल के तौर पर उपलब्ध होगा।
2. योजना, शुरुआती दौर में चुनिंदा स्थानों पर शुरू की जायेगी, क्योंकि सरकार को इसके सुरक्षित रख-रखाव और प्रबंधन की व्यवस्था करना शेष है।
3. ग्राहकों से इकट्ठा सोना पहले साफ करके परीक्षण केंद्रों पर तौला जायेगा। इसके बाद इसे पिघला कर इसकी शुद्धता की परख होगी। परीक्षण के बाद ग्राहक चाहे तो इसे जमा करके शुल्क प्राप्त कर सकता है या मामूली फीस देकर वापस भी ले जा सकता है।
4. किसी भी ग्राहक द्वारा न्यूनतम मात्रा में 30ग्रा० सोना लाया जा सकता है।
5. जो लोग सोना बैंक में जमा करने के इच्छुक होंगे उन्हें इसके बदले, जमा सोने की मात्रा और शुद्धता संबंधित प्रमाण पत्र दिया जायेगा। इस प्रमाण-पत्र के आधार पर बैंक ‘स्वर्ण बचत खाता', जमाकर्ता के नाम से खोलेंगे।
6. उपभोक्ता द्वारा उपरोक्त बचत खाता खोलने के 30/60 दिनों के बाद ब्याज मिलने लगेगा। इन ब्याज कि की दरों का निर्धारण, बैंकों द्वारा किया जाना प्रस्तावित है।
7. सोना जमाकर्ता को मूलधन और ब्याज का सोने के मूल्य में ही आकलन किया जायेगा। उदाहरण स्वरूप, यदि कोई ग्राहक 100 ग्रा० सोना जमा करता है और उस पर 01ग्रा० ब्याज की दर लागू है तब परिपक्वता की स्थिति में वह 101 ग्रा० सोने का हकदार होगा।
8. ग्राहक के पास प्रतिदान (Redemption) के लिए विकल्प होगा जिसे उसे, प्रारम्भ में बताना पड़ेगा कि वह इसे दुबारा नगद रूप में अथवा सोने के ही रूप में प्राप्त करेगा।
9. स्वर्ण-जमा की न्यूनतम अवधि एक वर्ष की होगी या एक वर्ष के गुणित (Multiples) में होगी। फिक्सड्-डिपाजिट की तर्ज पर, स्वर्ण-जमा-अवधि में खंडन की अनुमति होगी।
10. स्वर्ण-बचत-खाता पर पूँजीगत लाभकर, संपत्तिकर एवं आय-कर से छूट रहेगी।
सरकारी अनुमान के अनुसार, स्वर्ण बचत खाता, देश में उपलब्ध लगभग 20,000 टन सोने का इस्तेमाल कर पायेगा और 800 से 1000 टन सोने के वार्षिक शिपमेंट में कटौती कर पाने में सहायक होगा। इस संबंध में बैंकों के लिए जारी नियमन में कहा गया है कि उनके आरक्षित नकदी निधि अनुपात (CRR) का कुछ अंश स्वर्ण-डिपाजिट के रूप में निश्चितता दे सकता है और सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) की आवश्यकता में भी यह सहायक सिद्ध होगा। इसमें आने वाली अड़चनों की चिंता न करते हुए यह कहा जा सकता है कि यह योजना, देश में विहंगम स्तर पर काफी लाभप्रद होने जा रही हैं इससे देश में घरेलू स्तर पर उपलब्ध सोने के, अर्थव्यवस्था में प्रचलन से, स्वर्ण आयात में कमी होने की , आशा है जिससे बाह्य-संतुलन (external balance) में सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त, इस महंगी धातु की सुलभता से सर्राफा व्यापारियों की लागत में कमी सकती है एवं निर्यात में वृद्धि हो सकती है। घरों और संस्थानों में सुस्त पड़े स्वर्ण, जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 60 लाख करोड़ रुपये है, को सरकार ने, गतिशील बनाने के लिए एक नयी योजना के अंतर्गत, पीली धातु को बैंक में जमा करने पर उससे प्राप्त ब्याज को ऋणमुक्त कर दिया है। स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना के खाते में बैंकों के लिए भी प्रोत्साहन की व्यवस्था है। निजी तौर पर तथा संस्थानों द्वारा कम-से-कम मात्रा, 30 ग्राम सोना जमा किया जा सकता है जिसके लिए प्राप्त ब्याज, आयकर एवं पूँजीगत लाभ कर में छूट प्राप्त कर सकते हैं।
इस क्षेत्र की एक समस्या का आंशिक समाधान यह हो सकता है कि सरकार, सोने की छड़े और सिक्कों के लिए इनवॉयस, अनिवार्य कर सकती है, जबकि घर के आभूषणों के लिए इसमें ढील दे सकती है। बैंक इस प्रकार के लेन-देन को, ग्राहक के पता और उसकी पहचान का पर्याप्त प्रमाण पत्र लेकर उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकती है। यदि जमा किये जा रहे सोने की मात्रा एक सीमा से ज्यादा है, चाहे वह आभूषण ही क्यों न हो, उस पर आवश्यक प्रश्न उठाये जा सकते हैं। जब तक सरकार, स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (GMS) का ढाँचा सावधानीपूर्वक तैयार नहीं कर लेती, इसका भी अंत, पूर्व में शुरू की गयी योजनाओं की तरह ही होगा।
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