सभी मनुष्य, पशु एवं पक्षी यह जानते हैं कि जब कोई चीज हवा में छोड़ दी जाती है, तो वह नीचे की ओर गिरती है। इसका कारण है कि धरती उस चीज को अपनी ओर खींचती है। यह खींचना एक प्रकार का 'बल' है। हम रस्सी की सहायता से कुएँ से पानी निकालते हैं। हम रस्सी को खींचते' हैं, अर्थात हम रस्सी पर अपनी ओर बल लगाते हैं। भीड़ में कई बार लोग बगल वाले को धक्का देते हैं, अर्थात उसे अपने से दूर ठेलते हैं। यह भी बल लगाना है। फुटबॉल के खेल में हम गेंद को पैर से मारकर कहीं-से-कहीं पहुँचा देते हैं, अतः पैर गेंद को धक्का देता है। सिर पर जब हम कोई बोझ रखते हैं, तो सिर उस बोझ को ऊपर की ओर ठेलता है। परंतु, हाथ में यदि हम सूटकेस लटकाए हों, तो हाथ उस सूटकेस को खींचता है। इस प्रकार एक वस्तु द्वारा दूसरी को खींचने या ठेलने की प्रक्रिया हमेशा चलती रहती है। इसी खींचने या ठेलने की प्रक्रिया को हम भौतिक-विज्ञानी 'बल लगाना' कहते हैं। बल सदा खींचने या धक्का देने जैसा ही नहीं होता। हम एक प्लास्टिक के बक्से पर हाथ रखकर उसे ढक्कन पर स्पर्शरेखा की दिशा में भी ठेलकर चला सकते हैं। यह भी बल का एक प्रकार है। जोर से खींचने या ठेलने का अर्थ है अधिक बल लगाना और धीरे से खींचने या ठेलने का अर्थ है कम बल लगाना। बल को नापने के लिए जिस इकाई का उपयोग करते हैं उसका नाम भी 'न्यूटन' रखा गया है। अँगरेजी में इसे newton लिखते हैं या फिर इसे संकेत N द्वारा दिखाते हैं। 100 g के बाट को अपने हाथ पर उठाए रखने के लिए हाथ द्वारा भार पर जितना बल लगाना पड़ता है वह लगभग 1 N के बराबर होता है। हम मान सकते हैं कि कोई भी बल किसी वस्तु के द्वारा लगाया जाता है तथा वह किसी दूसरी वस्तु पर लगता है। हर बल के लिए हम यह पता होना जरुरी हैं कि यह बल किसने लगाया तथा किसपर लगा।
ध्यान रहे कि विश्व सिर्फ द्रव्यमान वाली वस्तुओं से ही नहीं बना है। विश्व में क्षेत्र (fields) भी हैं और ये भी किसी वस्तु पर बल लगा सकते हैं।
 
 
 
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