? फास्टैग एक उपकरण होता है जो वाहन के सामने वाले कांच पर लगाया जाता है। इसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) लगा होता है। जैसे ही आपकी गाड़ी टोल प्लाजा के पास आ जाती है, तो टोल प्लाजा पर लगा सेंसर आपके वाहन के विंड स्क्रीन में लगे फास्टैग के संपर्क में आते ही, आपके फास्टटैग अकाउंट से उस टोल प्लाजा पर लगने वाला शुल्क काट लेता है और आप बिना वहां रुके अपना प्लाजा टैक्स का भुगतान कर देते हैं। वाहन में लगा यह टैग, आपके प्रीपेड खाते के सक्रिय होते ही अपना कार्य शुरू कर देगा। वहीं जब आपके फास्टैग अकाउंट की राशि खत्म हो जाएगी, तो आपको उसे फिर से रिचार्ज करवाना पड़ेगा। फास्टैग की वैधता 5 वर्ष की होगी यानी 5 वर्ष के बाद आपको नया फास्टैग अपनी गाड़ी पर लगवाना होगा।
टोल प्लाजाओं पर टोल कलेक्शन सिस्टम से होने वाली परेशानियों का हल निकालने के लिए राष्ट्रीय हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा भारत में इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ETC) सिस्टम शुरू किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम या फास्टैग स्कीम भारत में सबसे पहले वर्ष 2014 में शुरू की गई थी। जिसे धीरे-धीरे पूरे देश के टोल प्लाजा के ऊपर लागू किया जा रहा है। फास्टैग सिस्टम की मदद से आपको टोल प्लाजा में टोल टैक्स देने के दौरान होने वाली परेशानियों से निजात मिल सकेगी। फास्टैग की मदद से आप टोल प्लाजा में बिना रुके अपना टोल प्लाजा टैक्स दे सकेंगे।
इससे टोल टैक्स देने के कारण लगने वाली गाड़ियों की लंबी लाइन और खुले पैसे न होने की समस्या को हल करने में सुविधा होगी। इससे यात्रियों का समय बचने के साथ-साथ पेट्रोल या डीजल की भी बचत होगी।
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