काले धन से आशय उसके रंग से नहीं है, सिवाय इसके कि यह एक बुराई है। यह अस्पष्टीकृत (Unaccounted) आय है जो अवैध तरीकों से अर्जित की गयी है, जिसका अनुत्पादक और राष्ट्रविरोधी उपयोग हो रहा है और प्रत्यक्ष रूप से इसका उपभोग भी हो रहा हो। काले धन पर अंकुश और करापवंचन (Tax-evasion) रोकना, कराधान-पालन के अत्यंत महत्त्वपूर्ण पहलू हैं।
काले धन की उत्पत्ति तब होती है जब नगद रूप में बड़े लेन-देन के काम होते हैं या जिसमें स्रोत और आखिरी उपभोक्ता का अता-पता न हो। उदाहरणस्वरूप, एक मित्र ने दूसरे को 1000/- रु. दिये, तकनीकी रूप से यह काला धन हो सकता है, संभवतः आपके लिए न हो, क्योंकि बहुत-ही छोटी मात्रा है। दूसरी ओर, किसी ने आपको 10 लाख रु. नगद दिये, यह निश्चित ही काला-धन है।
दूसरे शब्दों में, सभी प्रकार के नगद लेन देन, जो 10,000/- रु. के उपर हो, काला धन है। इसे इस प्रकार भी कहा जा सकता है कि सभी प्रकार के लेन-देन, जो चेक, ड्रॉफ्ट, क्रेडिट/डेबिट कार्ड, बैंक एकाउंट ट्रांसफर के अतिरिक्त हो, काला धन की श्रेणी में आते हैं।
यदि आप बैंक में अपने खाते में, 10 लाख नगद जमा करते हैं तो यह काला धन है (जब तक कि आप इसका स्रोत न जाहिर करें)। यदि आपके पिताजी ने आपको इसी धन राशि का चेक भेजा है और उसे आपने अपने खाते में जमा किया है तो यह "White Transaction" कहा जायेगा। अतः, बैंक और डाकखाने के अलावा किया गया कोई भी लेन-देन, काला धन की उत्पत्ति माना जायेगा।
काला-धन क्यों उत्पन्न होता है? इसका प्रमुख कारण है- ऊंची टैक्स की दरें, जटिल टैक्स कानून और प्रावधान, लेन-देन पर सख्त नियंत्रण, बड़ी मात्रा में नगद-व्यवहार, सरकारी विभागों में कार्य-संपादन करने के लिए नगदी की आवश्यकता, स्कूल-कॉलेजों में दाखिले के लिए डोनेशन, दहेज-प्रथा, सामाजिक कार्यक्रमों की अनिवार्यता और देश के अंदर व बाहर, गैर कानूनी क्रिया-कलाप।
सरकार ने काला धन रोकने के लिए क्या किया है? उत्तर होगा, कुछ विशेष नहीं सिवाय स्वैच्छिक रूप से घोषित करने, घोषित मात्रा के धन पर क्षमादान और बड़े वर्ग वाले नोटों का विमुद्रीकरण (भारत में पहले 5000/- और 10,000/- रु. के नोट प्रचलन में थे जिन्हें अब समाप्त कर दिया गया है अभी वर्ष 2016 के अंत में 500 और 1000 के नोटों का प्रचलन बंद कर पुनः 500 तथा 2000 के नये नोट जारी किए गए हैं।
सरकार ने यह भी घोषणा की है कि सारे लेन-देन, 10,000/- रु. के ऊपर, चेक और ड्राफ्ट के माध्यम से किये जायेंगे। बैंकों द्वारा 50,000/- रु. नगद के विरुद्ध ड्राफ्ट, एक दिन में एक से ज्यादा नहीं दिये जायेंगे। परमानेंट एकाउंट नंबर (PAN) सभी करदाताओं को जारी किये गये हैं और 50,000/- रुपए से अधिक के लेन-देन में PAN लिखना अनिवार्य है।
आयकर विभाग के कार्यालय, चार महानगरों में, कम्प्यूटराइज कर दिये गये हैं और आपस में इनका नेटवर्क जोड़ कर, कर दाताओं का वृहद् आंकड़ा तैयार किया गया है जिससे उनके लेन-देन पर नजर रखी जा सके। सरकार द्वारा कैशलेश इण्डिया पर जोर दिया जा रहा है। सभी भूमि पंजीकरण कार्यालय, जमीन की रजिस्ट्री, -निर्माता कंपनियाँ, क्रेडिट कार्ड कंपनियाँ आदि को अपनी बिक्री के बारे में, एक स्तर पर पहुंचने के बाद, सूचना प्रदान करना अनिवार्य हैं।
सरकार, टैक्स नियमों के बेहतर अनुपालन के लिए, टैक्स चोरी में कमी के लिए टैक्स कानून प्रावधानों में सुधार करके एक प्रत्यक्ष टैक्स कोड बनाना चाहती है जिससे कर-कानूनों का सरलीकरण हो सके, टैक्स का रिसाव बंद हो सके, छूट की सीमा को बढ़ाया जा सके और कर की दरों में और कमी पर विचार किया जा सके। तथापि, जबतक उपरोक्त सुधार नहीं किये जाते, टैक्स अनुपालन सरकारी राजस्व में वृद्धि के रास्ते में बड़ी बाधा के रूप में रहेगा।
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