Thursday, May 20, 2021

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्देशित ऋण Loans directed by the Reserve Bank of India | Indian Economy

रिजर्व बैंक, अपनी जन-बैंकिंग नीति के अनुसार व्यावसायिक बैंकों के लिए यह अनिवार्य शर्त रखता है कि उसके द्वारा चिन्हित "प्राथमिकता क्षेत्रों में ऋण" प्रदान किये जाएं। 

भारतीय रिजर्व बैंक ने अधिसूचना जारी कर प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को क्षेत्रों को ऋण देने संबंधी महत्वपूर्ण बदलाव किए है। 

प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को रिजर्व बैंक ने 2016 में जारी अपने परिपत्र के अनुसार आठ भागों में विभाजित किया है जो इस प्रकार है- 

(i) कृषि 18%: 

कृषि क्षेत्र के 18% योगदान के लक्ष्य से ए.एन.बी.सी. (समायोजित नेट बैंक क्रेडिट) या ऑफ बैलेंस शीट एक्सपोजर की क्रेडिट समतुल्य राशि दोनों में से भी जादा हो का 8% लघु और सीमान्त किसानों के लिए निर्धारित किया है। 

(ii) सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यामयों के लिए 7.5% का निर्धारण किया है। 

(iii) निर्यात क्रेडिटः 

घरेलू बैंकों और शाखाओं वाली विदेशी बैंकों के लिए 2 प्रतिशत तक का निर्यात बढ़ोत्तरी क्रेडित। 

\(iv) शिक्षा: 

10 लाख तक का व्यक्तिगत शैक्षिक कृण जिसमें व्यवसायिक पाठ्यक्रम शामिल है। 

(v) आवास: 

28 लाख तक का व्यक्तिगत ऋण महानगरों और अन्य नगरों के लिए 20 लाख का ऋण निर्धारित किया गया है। 

(vi) सामाजिक अवसंरचनाः 

स्कूल, स्वास्थ्य सुविधाओं, पेयजल सुविधा और स्वच्छता सुविधा की अवसंरचना निर्माण के लिए 5 करोड़ तक का बैंक ऋण। 

(vii) नवीकरणीय ऊर्जा: 

15 करोड़ तक के ऋण सार्वजनिक उपयोग के जैसे स्ट्रीट लाइट, दूरस्थ गांवों का विद्युतीकरण आदि के लिए और किसी परिवार के लिए 10 लाख तक का ऋण निर्धारित। 

(viii) अन्यः 

स्वयं सहायता समूह आदि। प्राथमिकता क्षेत्र की सीमा के अन्तर्गत निम्न श्रेणी के लोगों को कमजोर वर्ग माना जाएगा:- 

  • लघु और सीमांत किसान 
  • कारीगर, ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग में लगे लोग, जिनकी वित्तीय सीमा ₹1 लाख के अन्दर हो 
  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन और मैला ढोने वालों के पुनर्वास योजना के अन्तर्गत लाभार्थी। 
  • अनूसूचित जाति और जनजाति के लोग। 
  • DRI (Differential Rate of Interest) के पात्र। 
  • स्वयं सहायता समूह 
  • गैर संस्थागत ऋण दाता के द्वारा ऋण प्राप्त पीड़ित किसान। 
  • गैर संस्थागत ऋण दाता से 1 लाख तक का ऋण प्राप्त करने वाला गैर कृषक पीड़ित व्यक्ति। 
  • अकेली महिला लाभार्थी जिन्होंने ₹1 लाख तक का ऋण प्राप्त 
  • विकलांग व्यक्ति 
  • प्रधानमंत्री जनधन खाता में 5000 तक का ओवरड्राफ्ट, ग्रामीणी क्षेत्रों में ₹ 100,000 तक की घरेलू आय और शहरी क्षेत्रों में ₹1,60,000 तक की आय वाले परिवार। 
  • भारत सरकार द्वारा समय-समय पर सूचित अल्प संख्यक समुदाय। 
निर्देशित-ऋण की अपनी नीति के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक ने यह व्यवस्था दी है कि सभी घरेलू, व्यावसायिक बैंक और विदेशी बैंक जिनकी 20 शाखाएँ देश में हों, उन्हें रिजर्व बैंक द्वारा चिन्हित प्राथमिकता वाले क्षेत्र में, अपने कुल दिये गये कर्ज का 40% बांटना अनिवार्य है। विदेशी बैंक जिनकी शाखाएँ 20 से कम है, उनको 2020 तक चरणबद्ध तरीके से अपने समायोजित नेट बैंक क्रेडिट या ऑफ वेलेंश शीट एक्सपोजर्स दोनों में जो अधिक हो का 40% कर्ज देना पड़ेगा। 

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