स्थितिज घर्षण की दिशा ज्ञात करने में कई बार भ्रम उत्पन्न हो जाता है। गतिज घर्षण की स्थिति में सतहें एक-दूसरे पर फिसलती हैं और घर्षण की दिशा वस्तुओं की गति की दिशाओं को देखकर मालूम की जा सकती है। परंतु, स्थितिज घर्षण की स्थिति में दोनों सतहें एक-दूसरे के सापेक्ष स्थिर रहती हैं। सतहों के बीच इस आपेक्षिक विराम को बनाए रखने के लिए ही स्थितिज घर्षण लगा करता है। प्रायः हम बाकी सभी बलों को देखते हैं और न्यूटन के गति-नियमों से तय करते हैं कि घर्षण का बल कितना और किधर लगना चाहिए।
स्थितिज घर्षण की दिशा मालूम करने की एक और विधि है। एक बार मान लें कि सतहों के बीच कोई घर्षण बल नहीं लग रहा है। बाकी के बलों के कारण अब सतहों के बीच गति पैदा हो जाएगी। यह वास्तविक गति नहीं है। यदि घर्षण न हुआ होता तो ऐसी गति पैदा होती। अर्थात, यद्यपि वस्तु दूसरी सतह पर फिसल नहीं रही है, पर उसमें फिसलने की प्रवृत्ति है और स्थितिज घर्षण ने उसे फिसलने से रोक रखा है। मान लें कि घर्षण नहीं है और यह गति हो रही है। अब गतिज घर्षण के नियम के अनुसार घर्षण की दिशा मालूम करें। वास्तव में स्थितिज घर्षण की दिशा यही होगी।
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