Thursday, May 20, 2021

भारत की बैंकिंग प्रणाली Banking system of India | Indian Economy

भारतीय बैंकिंग प्रणाली में भारतीय रिजर्व बैंक केन्द्रीय बैंक की भूमिका निभाता है इसके बाद बैंकों को अनुसूचित बैंक और गैर अनुसूचित बैंक में विभाजित किया गया है। 

अनुसूचित बैंक वे बैंक हैं जो भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की दूसरी अनुसूची में सूचित है। दूसरी अनुसूची में शामिल बैंकों को अपनी प्रदत्त पूँजी और रिजर्व कम से कम 5 मिलियन का होना चाहिए और इसकी कोई भी गतिविधि जमाकर्ता के लिए हानिकारक नही हो। जो बैंक दूसरी अनुसूची बैंक होते हैं। अनुसूचित बैंकों का विभाजन वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों में किया गया है जो इस प्रकार है- 


(1) वाणिज्यिक बैंक- 

इनके नाम से स्पष्ट हो रहा है कि इनका कार्य क्या होगा। वाणिज्यिक बैंक वाणिज्यिक संस्थाओं को जमाएं और ऋण की सुविधा प्रदान करते हैं। ये चेक, ड्राफ्ट और टर्म डिपॉजिट भी स्वीकार करते हैं। ये बैंक व्यक्तियों के समूह के अधिकार में होते हैं और इनका उद्देश्य लाभ कमाना होता है। 

वाणिज्यिक बैंकों को चार अन्य भागों में विभाजित किया गया है जो अनलिखित है- 

(i) सार्वजनिक क्षेत्रक बैंक- 

ये वो बैंक होते हैं जिनमें सरकार की हिस्सेदारी अधिक होती है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में, SBI और अनुषंगी बैंक, राष्ट्रीय कृत बैंक, अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक शामिल हैं। 

(ii) निजी क्षेत्र के बैंक- 

इन बैंकों में ज्यादातर हिस्सेदारी निजी व्यक्तियों के पास होती है। ये बैंक सीमित देयताओं के साथ एक कंपनी के रूप में पंजीकृत है। उदाहरण- ICICI बैंक, एक्सिस बैंक, HDFC बैंक, आदि। 

(iii) विदेशी बैंक- 

ये बैंक विदेशों में पंजीकृत होती है और भारत में व्यापार कर रही होती है, इसके लिए भारत में अपनी शाखाओं का निर्माण करती है। उदाहरण- HSBC, Citi bank, स्टेन्डर्ड चार्टेड बैंक आदि। 

(iv) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक- 

इनके माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों, खेतिहर मजदूरों, कारीगरों और ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्यमियों को ऋण और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती है। 

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को 1975 के एक अध्यादेश और आर आर बी अधिनियम 1976 के स्थापित किया गया था। 

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में भारत सरकार, राज्य सरकार, स्पॉन्सर बैंक की हिस्सेदारी होती है। इसको प्रदत्त पूंजी में तीनों की हिस्सेदारी क्रमश: 50%, 15% और 35% है। 


(2) सहकारी बैंक- 

सहकारी बैंकों की स्थापना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में कृषि तथा सम्बद्ध क्रियाओं के लिए साख उपलब्ध कराना है। भारत में इन बैंकों की स्थापना अलग-अलग राज्यों द्वारा बनाए गए सहकारी समितियों के अधिनियमों के माध्यम से हुआ है। भारत में सहकारी बैंक त्रिस्तरीय है, जो इस प्रकार हैं- 

(i) राज्य सहकारी बैंक- 

एक राज्य विशेष में स्थापित किया जाता है यह केन्द्रीय बैंकों को ऋण उपलब्ध कराते हैं। 

(ii) केंद्रीय/जिला बैंक- 

एक जिला विशेष में स्थापित किया जाता है। ये राज्य सहकारी बैंक से ऋण लेकर अपनी चाल पूँजी में वृद्धि कर सहकारी समितियों को ऋण उपलब्ध कराते हैं और ऋण की अवधि 1 से 3 वर्ष की होती है। यह राज्य सहकारी बैंक और सहकारी समितियों के मध्य सेतु का कार्य करती है। 

(iii) प्राथमिक सहकारी/साख- 

एक ग्राम विशेष में कार्यरत रहती है। एक गांव अथवा क्षेत्र के कोई भी 10 व्यक्ति मिलकर एक प्राथमिक सहकारी/साख समिति का निर्माण कर सकते हैं। ये समितियां उत्पादक कार्यों जैसे कृषि क्षेत्र, आदि के लिए अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराती हैं। 

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