Friday, April 9, 2021

थॉर्नडाइक के सीखने के मुख्य नियम Main Rules of Learning of Thorndike

 थॉर्नडाइक के सीखने के तीन नियम है -

1. तैयारी का नियम 

2. अभ्यास का नियम 

3. प्रभाव का नियम

1. तैयारी का नियम 

किसी भी विषय को सीखने के लिए आवश्यक है कि उसके लिए बालक सबसे पहले मानसिक रूप से तैयार हो तो सीखने की प्रक्रिया बालकों के लिए शांति दायक हो जाती है । तैयार रहने पर कार्य को सीखने के लिए किसी गंभीर परिवर्तन का सामना नहीं करना पड़ता इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए मानसिक रूप से तैयार न हो तथा उसे वह कार्य सिखाया जाए तो वह व्यक्ति क्रुद्ध हो जाता है तथा कार्य को सीखने के प्रति उदासीन ही रहता है बिना तैयार हुए किया गया कार्य अक्सर अरुचिकर होता है। तैयार करते समय बालकों की व्यक्तिक भिन्नता को भी ध्यान में रखना चाहिए । यदि बालक वह ज्ञान ग्रहण करने के लिए तैयार नहीं है तो उसे ज्ञान ग्रहण करने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए अन्यथा शिक्षण कार्य में किए गए प्रयास समय तथा श्रम सारे ही अपव्यय जाते हैं ।

2. अभ्यास का नियम

इस नियम के अनुसार सीखे जाने वाले जिस विषय का व्यक्ति बार-बार अभ्यास करता है उसे शीघ्र ही सीख लिया जाता है व्यक्ति जिस प्रक्रिया की पुनरावृति करता है उस प्रक्रिया को वह शीघ्र ही सीख लेता है इसके विपरीत जिस प्रक्रिया को व्यक्ति बार-बार नहीं दोहराता है उसे वह सरलता से नहीं सीख पाता ।

3. प्रभाव का नियम

इस नियम के अनुसार जिस कार्य को सीखने की प्रक्रिया में प्रारंभ में ही सफलता प्राप्त होती है उस कार्य को शीघ्र तथा सरलता से सीख लिया जाता है वास्तव मे सफलता मिलने से कार्य के प्रति रुचि बढ़ जाती है रुचिकर कार्य को व्यक्ति बार-बार करना चाहता है तथा वास्तव में करता भी है इसके विपरीत यदि किसी कार्य को करने पर प्रारंभ में ही असफलता मिलती है तो व्यक्ति उस कार्य को पुनः नहीं करता इस प्रकार पुनरावृति के अभाव में कार्य को सीखना कठिन हो जाता है ।

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