Wednesday, April 7, 2021

मनोविज्ञान में गैस्टाल्ट सिद्धांत क्या है Principle of gestalt in Psychology

 गैस्टाल्ट Gestalt एक जर्मन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है अनुभव की संपूर्णता । सन 1912 ई में जर्मनी में मैक्स वरदाईमर Max Wertheimer ने गैस्टाल्ट Gestalt मनोविज्ञान की नींव रखी । इसलिए इन्हें गैस्टाल्ट Gestalt सिद्धान्त का जनक माना जाता है । इस सिद्धांत का विकास उंट के सिद्धांत के विरुद्ध था ।  इनका मुख्य उद्देश्य व्यवहार में संपूर्णता का अध्ययन करना हैं । इनके अनुसार संपूर्णता छोटे-छोटे अंशों से मिलकर बनी होती है परंतु इस सम्पूर्णताओ की सभी विशेषताएं इस के अंशों की विशेषताओं से अलग होती है । गैस्टाल्ट Gestalt मनोवैज्ञानिकों ने सीखना , स्मृति और चिंतन के अध्ययन पर विशेष बल दिया है । 



वरदाईमर Max Wertheimer ने एक प्रयोग किया जिसमें कोहलर तथा कोफ्का ने प्रयोज्य का काम किया । इसमें एक पर्दे पर दो रेखाओं को अगल-बगल दिखाया गया और दोनों रेखाओं की आवर्ती कुछ इस प्रकार रखी गई कि दोनों रेखाएं एक साथ पर्दे पर उपस्थित नहीं हो अर्थात जब एक रेखा पर्दे पर हो तो दूसरी रेखा अनुपस्थित हो और जब दूसरी रेखा पर्दे पर हो तो पहली रेखा अनुपस्थित हो इस प्रकार दोनों रेखाओं के बार-बार जलने बुझने की गति को धीरे-धीरे बढ़ाया गया इस से ज्ञात हुआ कि जब इनकी जलने बुझने की क्रिया प्रति सेकेंड 10 थी  तो प्रयोज्य को अलग अलग रेखाओं का अनुभव हुआ परंतु जब यह गति बढ़ाकर प्रति सेकेंड 15 की गई तो उन्हें उन रेखाओं के गतिशील होने का अनुभव होने लगा इस प्रकार के प्रयोग द्वारा गैस्टाल्ट Gestalt वाद की स्थापना हुई ।

निम्नलिखित तथ्यों द्वारा हम इस सिद्धांत को समझ सकते है । इस सिद्धांत के अनुसार -

* यदि हमे किसी वस्तु का प्रत्यक्षीकरण करना है तो हमे इसका सम्पूर्ण रूप में अध्ययन करना होता है नाकि इसके अंशो का । सभी अंशो का अध्ययन हमेशा समग्र रूप से होता है । उदाहरण के लिए यदि एक गुलाब का पुष्प को देखें तो इसकी सुगंध इसका रंग और इसकी पंखुड़ियों का ज्ञान हमें संपूर्ण रूप से होता है इन सभी अंगो का अलग-अलग ज्ञान नहीं होता ।

* वातावरण में उत्तेजनाएं सभी क्षेत्र में नही होती बल्कि एक खास क्षेत्र में रहती है जिसे उत्तेजना क्षेत्र कहते है । यदि इस उत्तेजना क्षेत्र में जरा सा परिवर्तन कर दिया जाए तो पूरे वातावरण में परिवर्तन आ जाता है । कोहलर ने मस्तिष्क क्षेत्र को उत्तेजना क्षेत्र के गत्यात्मक संपूर्णता का आधार बताया । उत्तेजना क्षेत्र के दो अहम भाग होते है -

1. आकार

2. पृष्ठभूमि 

उत्तेजना क्षेत्र में जितने भाग का हमे ज्ञान होता है वह आकार कहलाता है और यह ज्ञान जिस उत्तेजना क्षेत्र के भाग द्वारा उत्पन्न होता है वह भाग पृष्ठभूमि कहलाता है ।

आकार की रूपरेखा निश्चित तथा प्रत्यक्ष होती है इसमे वस्तु गुण पाया जाता है इसके निर्माण में आकर्षक शक्ति कार्यरत होती है 

जबकि पृष्ठभूमि की रूपरेखा अप्रत्यक्ष तथा अनिश्चित होती है इसमें पदार्थ गुण पाया जाता है इसमें विकर्षक या प्रतिकर्षित शक्ति काम करती है ।

उदाहरण के लिए 

यदि एक मेज़ पर किताब रखी है तो मेज़ पृष्ठभूमि तथा किताब आकार है । 

यदि मेज़ फर्श पर रखी है तो फर्श पृष्ठभूमि और मेज़ आकार है ।

* इस सिद्धांत के अनुसार दो प्रकार की शक्तियां होती है -

1. संयोजक शक्तियां

2. निरोधक शक्तियां

संयोजक शक्तियां आकार की उत्पत्ति का कारण है यह उत्तेजनाओं को आकर्षित कर उन्हें मिलाती है ।

निरोधक शक्तियां  उत्तेजनाओं को प्रतिकर्षित कर उन्हें अलग करती है ।

गैस्टाल्ट Gestalt सिद्धान्त के अनुसार सीखना , चिन्तन और स्मृति का साधारण भाषा मे वर्णन किया गया है -

सीखना -

जैसा व्यवहार बाद में प्रयत्न और त्रुटि को अहमियत दी गई थी गैस्टाल्ट Gestalt मनोविज्ञान ने इसका खंडन करते हुए कहा कि सीखने की प्रक्रिया में प्रयत्न और त्रुटि की कोई जगह नहीं है बल्कि सबसे ज्यादा सूझ अहमियत रखती है । तथा यह अचानक ही उत्पन्न होती है । इसलिये सीखने की प्रक्रिया में सूझ को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया ।


चिन्तन -

छोटे बालको पर अध्ययन करते हुए वरदाईमर Max Wertheimer ने चिंतन के तीन रूप बताये

1.  a - प्रकार का चिंतन

2. b - प्रकार का चिंतन

3. y - प्रकार का चिंतन

a - प्रकार का चिंतन - 

यह एक Productive अर्थात उत्पादी चिंतन है । इसमें बालक को उसका लक्ष्य पता होता है और लक्ष्य तक कैसे पहुंचना है इस बात का ज्ञान भी बालक को होता है । यदि इस बीच बालक किसी समस्या का सामना करते है तो वे उनके विभिन्न पहलुओं को समझ कर समस्या का समाधान कर पाते है ।

b - प्रकार का चिंतन -

यह थोड़ा Productive उत्पादी तथा थोड़ा Unproductive अनउत्पादी यांत्रिक चिंतन है ।

y - प्रकार का चिंतन -

इस प्रकार के चिंतन में  प्रयत्न और त्रुटि को विशेष महत्त्व दिया गया है । अर्थात बालक बिना समस्या के पहलुओ को जाने  उसके समाधान में लग जाता है । इस प्रकार के चिंतन के बढ़ने से a प्रकार का चिंतन कम हो जाता है ।


स्मृति -

गैस्टाल्ट Gestalt मनोविज्ञान इको के अनुसार स्मृति एक गत्यात्मक प्रक्रिया है जिसमें समय के साथ बहुत सारे परिवर्तन होते हैं और सारे परिवर्तनों का स्वरूप एक जैसा होता है गैस्टाल्ट Gestalt मनोवैज्ञानिकों ने स्मृति के स्वरूप को पुनरुत्पादक न कहकर रचनात्मक कहा है ।

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