व्यवहारवाद Behaviourism की शुरुआत सर्वप्रथम
संयुक्त राज्य अमेरिका में एडवर्ड थार्नडाइक तथा जेम्स वाटसन द्वारा की गई थी | अपने महत्वपूर्ण निष्कर्ष
पर पहुंचने से पहले उन्होंने अपनी सारी खोजें तथा सारे परिणाम पशुओं के व्यवहार
तथा उनके जीवन के आधार पर निकाले थे । उनके व्यवहारवाद Behaviourism के
अनुसार मनोवैज्ञानिक अध्ययन करते समय हमें मन तथा चेतना के बारे में नहीं सोचना
चाहिए क्योंकि यह मनोविज्ञान अध्ययन का अंग नहीं है । इसलिए उन्होंने कहा कि
मनोविज्ञान को केवल व्यवहार और परिवेश के बीच के अंतर क्रिया से संबंध रखना चाहिए
। व्यवहारवाद Behaviourism में इंद्रियों के उद्दीपन के कारण उत्पन्न होने
वाली प्रतिक्रियाओं का पहले से ही अनुमान लगा लेना आता है तथा इसके विपरीत भी यह
काम करता है अर्थात यदि प्रतिक्रिया सामने हो तो यह किस उद्दीपन का परिणाम है यह
भी व्यवहारवाद Behaviourism बताता है । अतः उद्दीपन से प्रतिक्रिया की ओर
जाना ही इसका मुख्य सूत्र है । क्या मनोविज्ञान की एक प्रभावशाली शाखा व्यवहारवाद Behaviourism ही है
इस बात का निष्कर्ष निकलने ही वाला था लेकिन इससे पहले इसकी एक खामी ने इसे इस
स्तर तक पहुंचाने में नाकामयाब बना दिया इसकी सबसे बड़ी खामी थी कि यह एक यंत्र की
तरह काम करने वाली शाखा है जो मनुष्य को पशु के समान मानती है क्योंकि इसके
अंतर्गत सारे के सारे प्रयोग पहले पशुओं पर किए गए फिर सब मनुष्य पर लागू कर दिए ।
व्यवहारवाद Behaviourism में मस्तिष्क के अंदर होने वाली क्रियाओं को
वैज्ञानिक क्षेत्र से बाहर कर दिया क्योंकि मस्तिष्क के अंदर प्रवेश करने वाली कोई
भी जानकारी अर्थात निवेश तथा इससे निकलने वाला कुछ भी प्रतिक्रिया अर्थात निर्गम
के बीच संबंध केवल मस्तिष्क ही दर्शा सकता था लेकिन व्यवहारवाद Behaviourism ने इसे
ब्लैक बॉक्स घोषित करते हुए इसे कोई दर्जा नहीं दिया । व्यवहारवाद Behaviourism के
अंतर्गत पहुंचने से पहले सारे निष्कर्ष पशुओं पर आजमाए गए और इनमें सबसे ज्यादा
प्रयोग किए गए सफेद चूहों पर और इनसे निकलने वाले निष्कर्ष को मनुष्यों पर पता
नहीं क्या सोचते हुए लागू कर दिया गया एक बार भी यह नहीं सोचा गया कि मनुष्य परसों
से ज्यादा क्रियाशील और समझदार प्राणी है चलो यहां तक एक बार को सही भी मान ले
लेकिन इस व्यवहारवाद Behaviourism के कारण ही शिक्षा की प्रक्रिया को भी यंत्र
युक्त बना दिया । इनके अनुसार किसी भी समस्या को हल करने का केवल एकमात्र उपाय है
और वह है प्रयत्न त्रुटि प्रणाली । इसके अनुसार हर चीज को नगण्य मानकर अपने अनुसार
ही प्रयोग करते रहे और तब तक करते रहे जब तक कि आपको सबसे अच्छा निष्कर्ष न
प्राप्त हो जाए । यह अंधेरे में तीर चलाने जैसा ही था । बहुत कम शब्दों में हम यह
कह सकते हैं कि व्यवहार वादियो ने जानवरों और मनुष्य में कोई अंतर नहीं दिया
उन्होंने यह निष्कर्ष दिया कि दोनों एक तरीके से सीखते हैं और एक ही तरीके से
क्रिया प्रतिक्रिया करते हैं जो उचित नहीं था ।
व्यवहारवाद Behaviourism की विशेषताएं
* व्यवहार वादियों के अनुसार
किसी भी प्रतिक्रिया के होने से पहले उसका उद्दीपन होना परम आवश्यक है कोई भी चीज
व्यवहार तब करती है जब उसे कुछ उद्दीपन मिलता है उसके बाद भेजो प्रतिक्रिया मिलता
है वही हमें व्यवहार के रूप में प्राप्त होता है और इसमें पशु और मनुष्य एक तरीके
से उद्दीपन पाते हैं फिर प्रतिक्रिया करते हैं और अंत में व्यवहार साफ झलकता है ।
* इस विशेषता में वाटसन ने मन
चेतना संवेदना इन सब को अस्वीकार करके केवल इंद्रियों और जीव की अनुप्रिया तथा
प्रतिक्रिया को ही कुछ दर्जा दिया है इसी प्रकार मौखिक रिपोर्ट को नकारते हुए
उन्होंने मौखिक अनुक्रिया को ही सर्वोच्च माना है ।
* कोई भी प्राणी व्यवहार तब
करता है जब उसकी मांसपेशियों तथा मंत्रियों में किसी प्रकार की गति होती है कोई भी
याददाश्त या पुरानी यादें या कोई पुरानी प्रतिमा जो उसके मन में है को वाटसन में
बिल्कुल भी तवज्जो नहीं दी है।
* हमारे अंदर उत्पन्न होने
वाली सभी अनुभूति भी इंद्रियों की गति का एक परिणाम है इस प्रकार का कथन वाटसन
द्वारा दिया गया ।
* प्राणी के अंदर 14 प्रकार के संवेग बताएं गए
हैं । व्यवहार वादियों ने इनका मुख्य कारण जफर तथा इसकी ग्रंथि में उत्पन्न होने
वाले उतार-चढ़ाव के परिणाम हैं तभी समय उत्पन्न होते हैं इस प्रकार आंतरिक शारीरिक
परिवर्तन को महत्व देते हुए वाटसन ने सभी प्रकार की स्मृति संवेदना आदि को नकार
दिया ।
* थॉर्डाइक में सीखने के नियम
के अंतर्गत अपना प्रभाव का नियम दिया था लेकिन वाटसन ने इसे नकारते हुए व्यवहारवाद
Behaviourism में
अपने अभ्यास के नियम को अधिक महत्व दिया । वाटसन ने एक क्रमबद्ध तरीके से
सर्वप्रथम प्रयास एवं त्रुटि विधि को स्थान दिया और उसके बाद अनुक्रिया सिद्धांत
को सीखने के चरण में स्थान दिया ।
* वाटसन ने चिंतन की
प्रक्रिया के स्रोत को ही बदल दिया उनके अनुसार प्राण के अंदर जितना भी चिंतन होता
है वह सब इंद्रियों के कारण होता है इसका सबसे अच्छा उदाहरण उन्होंने दिया कि कुछ
बच्चे और कुछ व्यस्त बोलते रहते हैं चिंतन के दौरान लेकिन कुछ प्राणी चुप रहते हैं
जो भी चिंतन करते हैं बिल्कुल भी बोलते नहीं इसका कारण अर्थात बोलने और चुप रहने
वाले प्राणी के बीच जो अंतर है उसे भौतिक व्यवहार नाम दिया गया है चिंतन के दौरान
मुंह और जीभ दोनों में भी क्रियाएं होती है जो प्राणी चुप रहकर चिंतन करते हैं
उनके भीतर भी यह प्रक्रिया होती रहती है परंतु वह कुछ भिन्न प्रकार की होती है अतः
हमें दिखाई नहीं पड़ती प्रक्रिया वहां पर होती रहती है जैसे अंदर ही अंदर
गुनगुनाना
* व्हाट्सएप ने वंशानुगत चलने
वाली प्रक्रिया को ही समाप्त कर दिया अर्थात उनके अनुसार कोई भी चीज वंशानुक्रम के
हिसाब से नहीं चलते वह पर्यावरण और परिवेश की अंतरिया के हिसाब से चलती है अर्थात
कोई भी बालक डॉक्टर इंजीनियर फौजी व्यापारी या भिकारी अपने वंशानुगत लक्षणों के
कारण नहीं बनता बल्कि वह बनता है अपने आसपास के परिवेश और पर्यावरण के कारण ।
व्यवहारवाद Behaviourism अपने नकारात्मक रूप के साथ-साथ अपना सकारात्मक
रूप भी रखता है अर्थात व्यवहारवाद Behaviourism के द्वारा ही भौतिक नियम
सिद्धांतों और अन्य भौतिक प्रक्रियाओं को अधिक महत्ता दी गई है जो काफी हद तक
जरूरी भी है यह भौतिक सिद्धांतों को स्वीकार करता है एक ही नियमों पर चलने से
बेहतर यह विभिन्न नियमों और सिद्धांतों पर प्रयोग करके उनसे निष्कर्ष प्राप्त करता
है भौतिक सिद्धांतों के साथ किसने प्रयोगों को भी अधिक महत्व दी है अर्थात
मनोवैज्ञानिक में जितने भी प्रयोगात्मक अध्ययन हुए हैं वह सब व्यवहारवाद Behaviourism का
परिणाम है जो नियम अंतरात्मा और अंतर दर्शन और आप दर्शन इत्यादि के पक्ष में है व्यवहारवाद
Behaviourism उनका
कटु विरोध करता है व्यवहारवाद Behaviourism ने आत्म चेतना जैसे अंतर गुणों को समाप्त करके
केवल भौतिक प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करने का पक्ष रखा है इस प्रकार व्यवहारवाद
Behaviourism भौतिक
अंतर क्रियाओं का एक परिणाम है इसलिए यह जीव विज्ञान और मनोविज्ञान दोनों का एक
मिश्रित रूप है मैं बर्बाद में मन के भाव को भी कोई विशेष महत्व नहीं दिया है
इसलिए मनोभाव को लगभग समाप्त ही कर दिया है व्यवहारवाद Behaviourism में इस
संप्रदाय में मानसिक प्रक्रियाओं को अधिक महत्व दिया है लेकिन इसकी यंत्र सारी
प्रक्रिया काफी हद तक अनुचित की ओर इशारा करते हुए भी उचित मानी गई है इस प्रकार
परिवारवाद का सकारात्मक रूप में भी विशेष महत्व है |
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