प्लेटो के अनुसार " पुरुष तथा स्त्री के चरित्र को ठीक रूप से निर्मित करना ही शिक्षा का तात्पर्य है अध्यापक को अपने विषय के साथ-साथ विद्यार्थी के स्वभाव का भी ज्ञान होना चाहिए"
हरबर्ट के अनुसार " शिक्षा के सिद्धांत का मुख्य आधार मनोविज्ञान Psychology होना चाहिए"
एक शिक्षार्थी के स्वभाव की जानकारी केवल मनोविज्ञान Psychology द्वारा ही प्राप्त हो सकती है । इसलिए शिक्षा जगत में मनोविज्ञान Psychology एक अहम भूमिका निभाता है ।
शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान Psychology के निम्न महत्व है -
* मनोविज्ञान Psychology शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता प्रदान करता है ।
* मनोविज्ञान Psychology ही शिक्षा के जगत को नए नए दृष्टिकोण प्रदान करता है ।
* एक समय माना चाहता था कि अगर अनुशासन बनाए रखना है तो अनुशासन भंग करने वाले को दंड दिया जाना जरूरी है परंतु मनोविज्ञान Psychology ने यह सोच ही बदल दी मनोविज्ञान Psychology के अनुसार हम अनुशासन तभी बना सकते हैं यदि कुछ मनोवैज्ञानिक उपायों तथा चरणों का उपयोग करें ।
* मनोविज्ञान Psychology नए नए शिक्षण प्रणालियों की खोज कर उन्हें किस प्रकार लागू किया जा सकता है इस बारे में दिशा प्रदान करता है ।
* कोई बालक किस प्रकार से भिन्न है इस बात का पता मनोवैज्ञानिक द्वारा ही लगाया जा सकता है और इस प्रकार व्यक्तिगत भेदों को जानकर हम अगर शिक्षण करें तो वह बहुत प्रभावशाली होता है तो इस प्रकार व्यक्तिगत भेज दो मैं ध्यान रखकर शिक्षण करने की दिशा भी मनोविज्ञान Psychology के द्वारा ही प्राप्त हुई ।
* बाल विकास के चरणों में विभिन्न अवस्थाएं होती है तथा उन अवस्थाओं में बालक की विशेषताएं भिन्न-भिन्न होती है इन अवस्थाओं और विशेषताओं की जानकारी मनोविज्ञान Psychology द्वारा ही होती है ।
* मनोविज्ञान Psychology के द्वारा ही बाल केंद्रित शिक्षा पर बल दिया जाता है अर्थात बालक को ध्यान में रखते हुए शिक्षण प्रदान किया जाता है ।
No comments:
Post a Comment