जनहित याचिका क्या है What is Public Interest Litigation PIL
जब किसी व्यक्ति को जेल हो जाती है तो कोई दूसरा व्यक्ति जिसके पास जमीन जायदाद हो और इस व्यक्ति की जिम्मेदारी ले सके वह इस व्यक्ति की जमानत करा सकता है । या फिर कोई व्यक्ति जिम्मेदारी नहीं लेता तो खुद वह व्यक्ति जो जेल गया है और उसके पास जमीन जायदाद हो तो वह अपने लिए बॉन्ड भर सकता है । और उसे जेल से छोड़ दिया जाता है परंतु उसे बार बार कचहरी आना पड़ता है । लेकिन दिहाड़ी मजदूर और भूमिहीन किसान जैसे गरीबों के लिए अदालत में जाना काफी मुश्किल साबित होता है। क्योंकि उनके पास जमीन जायदाद नही होती । न्याय पाने की प्रक्रिया में काफी पैसा और कागजी कार्यवाही की जरूरत पड़ती है, उसमें बहुत समय भी लगता है जिसके कारण बहुत लोग न्याय के लिए आवाज नहीं उठा पाते।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए 1980 के दशक में सर्वोच्च न्यायालय Supreme Cour ने जनहित याचिका (PIL) Public Interest Litigation की व्यवस्था लागू की। इसके अन्तर्गत यदि किसी व्यक्ति (व्यक्तियों के समूह) के अधिकारों का हनन हो तो कोई अन्य व्यक्ति या संस्था उसके हित के लिए उच्च न्यायालय या सीधे सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा दर्ज कर सकता है।
जनहित याचिका (PIL) Public Interest Litigation अन्य याचिकाओं से भिन्न है। इस प्रकार की याचिका Postcard पर साधारण आवेदन पत्र लिखकर भी की जा सकती है। इसको प्रारम्भ करने का श्रेय जस्टिस पी०एन० भगवती को जाता है। इसके अन्तर्गत कमजोर वर्गों के लोगों, बंधुआ मजदूरों, स्त्रियों और बच्चों की शिकायतों को समुचित महत्त्व दिया गया है।
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