Wednesday, January 19, 2022

विकलांगता या दिव्यांगता क्या है What is Disability | Biology


आपने कुछ ऐसे लोगों को अपने आस-पास देखा है जो स्वस्थ तो हैं किन्तु उनके हाथ या पैर सामान्य व्यक्तियों जैसे नहीं है, कुछ हमारे आप की तरह बोल या सुन नहीं पाते हैं। कुछ ऐसे भी व्यक्ति होते हैं जो जन्म से सामान्य होते हैं, किन्तु किसी दुर्घटना के कारण उनका कोई अंग क्षतिग्रस्त हो जाता है और वह जीवन भर उस अंग से संबधित कार्य नहीं कर पाते हैं। कभी-कभी तो व्यक्ति के सिर पर चोट लगने से वह अपना मानसिक संतुलन ही खो देता है। दरअसल इन सभी अवस्थाओं को जिनमें शारीरिक अथवा मानसिक अक्षमता आ जाती हो, दिव्यांगता या विकलांगता Disability कहते हैं। 

हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने विकलांग शब्द की जगह दिव्यांग शब्द के प्रयोग पर जोर दिया है। दिव्यांग से तात्पर्य है एक अतिरिक्त शक्ति। कभी-कभी हम जब अपने दिव्यांग साथियों से मिलते हैं तो हमें उनकी आँखों से उनकी अक्षमता दिखती है और वे अपने आप को असहज एवं कमजोर समझने लगते हैं। जबकि ईश्वर ने उन्हें कुछ अतिरिक्त शक्तियाँ दी हैं। ये वे लोग है, जिनके पास एक ऐसा अंग है जिसमें दिव्यता है। इसलिए विकलांग की जगह इन्हें दिव्यांग कहना चाहिए।


दिव्यांगता या अक्षमता 


दिव्यांगता एक व्यापक शब्द है। जिसका शाब्दिक अर्थ शरीर के किसी अंग की बनावट में कमी होता है। दिव्यांगता के अनेक अर्थ हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में असमर्थता, सुनने संबंधी दोष एवं दृष्टि में कमी को दिव्यांगता माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O) के अनुसार अक्षमता किसी व्यक्ति को अलग-अलग तरह से प्रभावित करती है। किसी अंग विशेष की कार्य क्षमता का सीमित होना जिससे दिन-प्रतिदिन की क्रियाएँ प्रभावित होती है, उसे दिव्यांगता कहा जाता है। एक व्यक्ति जिसको कोई ऐसा शारीरिक दोष है जो किसी भी प्रकार से उसे सामान्य क्रियाओं में भाग लेने से रोकता है अथवा उसे सीमित रखता है, उसे हम शारीरिक न्यूनताग्रस्त या दिव्यांग व्यक्ति कह सकते हैं। 

दिव्यांगता का तात्पर्य शारीरिक या मानसिक अक्षमता (Disability) होती है। शारीरिक अक्षमता में पेशीय एवं स्नायु संबंधी विकार तथा हाथ-पैर न होना आदि शामिल होते हैं जबकि मानसिक अक्षमता में मानसिक बीमारी एवं मंदबुद्धि आदि शामिल किये गये हैं। 


दिव्यांगता के कारण एवं लक्षण 


दिव्यांगता अस्थाई, स्थाई अथवा निरंतर बढ़ने वाली भी हो सकती हैं। 


जन्मजात दिव्यांगता 


जन्मजात दिव्यांगता जन्म से ही परिलक्षित होती है। यह आनुवांशिक अथवा गर्भ के दौरान संक्रमण, विकिरण या दवाओं आदि के दुष्प्रभाव से हो सकती है। 


उपार्जित दिव्यांगता 


उपार्जित दिव्यांगता जीवन काल में किसी भी समय हो सकती है । जैसे- दुर्घटनाओं या आकस्मिक आघातों की स्थिति में शरीर के किसी अंग का क्षतिग्रस्त होना।  


दिव्यांगता के प्रकार 


जन्मजात या उपार्जित कारण से शरीर का कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है। इसके कारण प्रभावित अंग की बनावट एवं कार्य सामान्य नहीं रह जाते और सामान्य जीवन व्यतीत करने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। बदलते सामाजिक परिवेश में दिव्यांगता की नई-नई श्रेणियाँ प्रकाश में आई है। केन्द्र सरकार ने कुछ नई अक्षमताओं को दिव्यांगता की श्रेणी में रखा है। अब 21 प्रकार की अक्षमताओं को दिव्यांगता की श्रेणी में रखा गया है। कुछ दिव्यांगता के प्रकार इस प्रकार है - 


दृष्टि बाधिता 


आँखे हमें हमारे आस पास की चीजों को देखने के लिए सक्षम बनाती है। देखने की क्षमता को विजन, आई-साईट या दृष्टि कहा जाता है। दृष्टि बाधित व्यक्ति पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से देखने में अक्षम होता है। 


लोकोमोटर दिव्यांगता 


हड्डियों, जोड़ों या माँसपेशियों की अक्षमता को लोको मोटर दिव्यांगता कहते हैं। यह दिव्यांगता पोलियो, रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से, सेरेब्रल पैलेसी, फ्रैक्चर आदि के कारण होती है। इसमें प्रभावित अंगों की हड्डियों की बनावट एवं कार्य सामान्य नहीं रह जाती है। 


मानसिक दिव्यांगता या बौद्धिक अशक्तता 


मानसिक दिव्यांगता में सूझबूझ, तर्क एवं ग्रहण क्षमता का अभाव होता है। इसे पहले मानसिक मन्दता कहते थे। इस दिव्यांगता में बच्चे का विकास अन्य बच्चों की तुलना में धीमी गति से होता है। इस दिव्यांगता से ग्रसित बच्चे दैनिक में कार्यों के लिए दूसरो पर निर्भर होते हैं। 


श्रवण दिव्यांगता 


किसी व्यक्ति का पूरी तरह से ध्वनि सुनने में अक्षम होना श्रवण दिव्यांगता कहलाता है। यह कान के पूर्ण विकास के अभाव या कान की बीमारी या चोट लगने की वजह से हो सकता है। सुनना, सामान्य रुप से बोलने एवं भाषा के लिए प्रथम आवश्यकता है। बच्चा, परिवार या आस पास के वातावरण में लोगों की बोली सुनकर ही बोलना सीखता है। श्रवण बाधिता के कारण बच्चा बोलने में सक्षम नहीं हो पाता है। 


डिस्लेक्सिया Dyslexia


डिस्लेक्सिया पढ़ने से संबंधित विकार हैं जिसमें बच्चों को शब्द पहचानने, पढ़ने, याद करने और बोलने में परेशानी होती है। डिस्लेक्सिया से ग्रसित बच्चे अक्षरों और शब्दों को उल्टा पढ़ते हैं और कुछ अक्षरों का उच्चारण भी नहीं कर पाते हैं। इनकी उच्चारण क्षमता सामान्य बच्चों की अपेक्षा काफी कम होती है। यह 3-15 साल के बच्चों में सामान्यतः पाया जाता है। डिस्लेक्सिया कोई मानसिक रोग नहीं है। 


डिसग्राफिया Disgraphia


डिसग्राफिया सुसंगत (अच्छे ढंग से) रूप से न लिख पाने की एक अक्षमता है। यह एक दिमागी बीमारी की पहचान के रूप में चिह्नित है। डिसग्राफिया एक प्रकार का लेखन विकार है जो लेखन के कौशल पर असर डालती है। इसमें स्पेंलिग, हस्तलेखन और शब्दों, वाक्यों और पैराग्राफों को संयोजित करने जैसे कौशल बाधित होते हैं। डिसग्राफिया से पीड़ित बच्चों को सही रूप में लिखने में कठिनाई होती है तथा इनके लिखने की गति भी धीमी होती है। 


दिव्यांगता के प्रति राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास 


भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता, न्याय व गरिमा सुनिश्चित करता है और स्पष्ट । यह दिव्यांग व्यक्तियों समेत एक संयुक्त समाज बनाने पर जोर डालता है। हाल के वर्षों में दिव्यांगों के प्रति समाज का नजरिया तेजी से बदला है। यह माना जाता है कि यदि दिव्यांग व्यक्तियों को समान अवसर तथा प्रभावी पुनर्वास की सुविधा मिले तो वे बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते हैं। भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम 1992 के अन्तर्गत पुनर्वास सेवाओं के लिए इस प्रकार के प्रावधान किये गये हैं - 

निम्नलिखि सात राष्ट्रीय संस्थान है जो इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, ये इस प्रकार हैं - 

शारीरिक विकलांग संस्थान, नई दिल्ली 

राष्ट्रीय दृष्टि विकलांग संस्थान, देहरादून 

राष्ट्रीय ऑर्थोपेडिक विकलांग संस्थान, कोलकाता 

राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान, सिकंदराबाद 

राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुम्बई 

राष्ट्रीय पुनर्वास तथा अनुसंधान संस्थान, कटक 

राष्ट्रीय बहु-विकलांग सशक्तिकरण संस्थान, चेन्नई , 

दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्तीकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य को सर्वश्रेष्ठ राज्य का राष्ट्रीय पुरस्कार भारत सरकार द्वारा 03 दिसम्बर 2015 को विश्व दिव्यांग दिवस अवसर पर प्रदान किया गया। 

त्कृष्ट एवं बाधारहित वातावरण के लिए डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ को 03 दिसम्बर 2014 विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। 

40 प्रतिशत या उससे अधिक किसी भी प्रकार की अक्षमता वाले व्यक्तियों को दिव्यांग कहा जाता है। • दिव्यांगता 40 प्रतिशत है तो दिव्यांगता प्रमाण पत्र मुख्य चिकित्साधिकारी अथवा सामुदायकि स्वास्थ्य केन्द्र या प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर द्वारा उपलब्ध कराये जाते हैं। 


अन्तर्राष्ट्रीय विकलांगता विकास कंसोर्टियम (आई.डी.डी.सी) 


आईडीडीसी सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान के माध्यम से दिव्यांग लोगों के अधिकारों को बढ़ावा देता है। मोबिलिटी इंटरनेशनल यूएसए (MIUSA) अंतर्राष्ट्रीय विकास और दिव्यांगता कार्यक्रम दिव्यांगों और विकास के प्रतिभागियों के रूप में दिव्यांग लोगों को शामिल करने के लिए दिव्यांगता समुदाय और अंतराष्ट्रीय विकास समुदाय के बीच एक पुल के रूप में कार्य करता है। 


अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए पैरा ओलम्पिक खेलों का आयोजन किया जाता है, 

पहला पैरा ओलम्पिक खेलों का आयोजन सन् 1960 में रोम में किया गया था। 

प्रत्येक वर्ष 3 दिसम्बर को विश्व दिव्यांग दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

• शारीरिक एवं मानसिक अक्षमताओं को दिव्यांगता कहते हैं। 

• वर्तमान में 21 प्रकार की अक्षमताओं को दिव्यांगता की श्रेणी में रखा गया है। 

• प्राथमिक उपचार के लिए कुछ आवश्यक सामग्री को एक पेटी या बॉक्स में रखा जाता है। जिसे प्राथमिक उपचार पेटी कहते हैं। 

दवाईयों की निर्माण दिनांक एवं अन्तिम दिनांक देख कर ही खरीदनी व उपयोग करनी चाहिए। 

बिना डॉक्टरी सलाह के किसी भी दवा का सेवन नहीं करना चाहिए। 

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