Thursday, May 20, 2021

भारतीय सुरक्षा विनिमय बोर्ड (सेबी) क्या है What is Security Exchange Board of India SEBI | Indian Economy

कंपनियों द्वारा निर्गमित (Issuances) शेयर, उनकी कीमत आदि तय करने में कंपनियों को स्वतंत्रता है, परंतु उनका नियमन, SEBI द्वारा किया जाता है। भारतीय सुरक्षा विनिमय बोर्ड के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं- 

1. सभी कंपनियां, जो प्राथमिक बाजार के माध्यम से शेयर व्यापार कर रही हैं, अपने क्रियाकलाप एवं कंपनी के बारे में पूरी जानकारी ग्राहकों को दे रही 

2. कंपनियों द्वारा निर्धारित मूल्य, उनके लेखा-बही पर आधारित है (बाजार द्वारा सुनिश्चित मूल्य-प्रकटीकरण तंत्र आधारित) (price discovery mechanism by the market)। 

3. बड़ी मात्रा में शेयरों की खरीद करने वाले, अधिकृत संस्थागत खरीददार के लिए SEBI द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार, कंपनियों द्वारा निश्चित-मात्रा में शेयर, सुरक्षित रखते हैं। 

4. शेयरों का निर्गम, एक अंतराल के बाद किया जा रहा है और उन्हें एक साथ, एक के बाद एक, गुच्छे के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। 

5. शेयरों की खरीद-फरोख्त में फुटकर एवं छोटे ग्राहकों की पर्याप्त भागीदारी है। 

6. छोटे शेयर निवेशकों के हितों की सुरक्षा, उन्हें शेयर प्रदान करने एवं, यदि अत्यधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं तो बचे पैसों को, ग्राहकों को, SEBI द्वारा निर्धारित अवधि के अंदर वापस लौटाना। 

SEBI द्वारा किसी कंपनी के शेयर-निर्गमन की मंजूरी का आशय यह नहीं है कि SEBI उनके लिए संस्तुति प्रदान कर रहा है। इसका आशय मात्र इतना है कि कंपनी ने SEBI की सभी शर्तों का अनुपालन कर लिया है। शेयरों की खरीद, व्यक्ति अथवा संस्था के अपने विवेक पर आधारित है। 

जब शेयर निर्गमन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है, कंपनी के पास धनराशि आ जाती है, निवेशकों के बचे पैसे वापस कर दिये जाते हैं, इसके बाद कंपनी अपने शेयरों को, किसी एक प्रतिभूति-विनिमय केन्द्र (Stock exchange) में सूचीबद्ध करती है। यह केंद्र, उस कंपनी के शेयरों की खरीद-फरोख्त की अनुमति देता है। 

शेयरों का यह क्रय-विक्रय, समर्थक बाजार (secondary market) के क्रियाकलाप नाम से जाना जाता है। इसमें शेयरों का क्रय-विक्रय, कंपनी और शेयर खरीददारों के बीच तय मूल्य पर होता है। देश के दो बड़े और महत्त्वपूर्ण प्रतिभूति विनिमय केंद्र, बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक हैं। 

हालांकि NSE में शेयरों की बड़ी मात्रा में खरीद-फरोख्त होती है, परंतु BSE को भारतीय पूँजी बाजार का केंद्र बिंदु कहा जाता है। कंपनियों की अधिक संख्या होने के कारण प्रत्येक सूचीबद्ध कंपनी के शेयरों के क्रय-विक्रय का दैनिक ब्यौरा रखना मुश्किल होता है। अतः एक सूचकांक (Index) के माध्यम से शेयरों की दैनिक क्रय-विक्रय का सामान्य रूख, जाहिर किया जाता है। इस सूचकांक को BSE में सेंसेक्स (SENSEX) कहा जाता है। यह सूचकांक देश की शीर्ष 30 कंपनियों के शेयरों की कितने मात्रा और किस दर पर खरीद-फरोख्त हुई है पर आधारित है। 

इसी प्रकार NSE सूचकांक के NIFTY कहते हैं और शीर्ष की 50 कंपनियों पर आधारित है। यहां एक निफ्टी जूनियर भी है जोकि वरीयता क्रम में अगली 50 कंपनियों के शेयर व्यापार पर आधारित है। इन 50 कंपनियों में ऐसी क्षमता समझी जाती है कि वे भविष्य में निफ्टी में शामिल हो सकती हैं। 

प्रतिभूति बाजार में शेयर व्यापार पूरी तरह कम्प्यूटर आधारित है। इससे यह व्यापार आसान हो गया है और हर प्रकार का क्रय-विक्रय, इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली द्वारा संचालित है। सभी शेयरों को अभौतिक-रूप (Dematerializing) में बदल दिया गया है। पूँजी-बाजार में सुधार, शेयर निर्धारण में ज्यादा पारदर्शिता. इसी प्रकार शेयर व बाजार में नियमन होने के बावजूद आम-जन में इसके प्रति जागरूकता और रुझान बहुत कम है और इसलिए शेयर बाजार में निवेश, चुनिंदा मध्यम वर्ग तक ही सीमित रह गया है। आम जनता के लिए वित्त का आशय बैंकिंग से है। 

भारत के बहुसंख्यक वर्ग के लिए निवेश का चुनाव माध्यम, अधिकतर परंपरागत रूप में है; जैसे सोना, जमीन और बैंक डिपाजिट। पूँजी बाजार को इसके विकल्प का स्थान लेने में अभी समय लग सकता है। 

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