किसी कोण Angle पर मिलती दो समतल सतहों के बीच यदि कोई पारदर्शी Transparent पदार्थ उपस्थित हो, तो प्रकाश Light के लिए वह एक प्रिज्म Prism कहा जा सकता है। ज्यामिति Geometry में प्रिज्म Prism एक ऐसी आकृति Shape को कहते हैं जो दो समानांतर सतहों Parallel Surfaces एवं उनपर लंब तीन या अधिक सतहों से घिरी हो।
परंतु, जब हम प्रकाश के संदर्भ में प्रिज्म Prism की बात करते हैं तो समानांतर सतहों Parallel Surfaces के बीच तीन लंब सतहों से बने प्रिज्म Prism की ही बात होती है। ऐसे में दोनों समानांतर सतहे Parallel Surfaces त्रिभुजाकार Triangular तथा तीन अन्य सतहें आयताकार Rectangular होंगी। प्रकाश के प्रयोगों के लिए प्रिज्म को एक त्रिभुजाकार सतह Triangular Surface को टेबुल या कागज पर रखा जाता है। प्रकाश एक आयताकार Rectangular सतह से प्रिज्म Prism के अंदर घुसता है एवं बगल की आयताकार सतह से बाहर निकलता है [चित्र देखे]। चित्र में एक टेबुल पर प्रिज्म Prism को रखा गया है और प्रकाश की किरणें टेबुल के समानांतर Parallel चलती हुई दिखाई गई हैं। इन किरणों के तल से प्रिज्म Prism की एक अनुप्रस्थ काट बनती है और हमारी सारी गणनाएँ इसी तल में होती हैं।
चित्र में एक प्रिज्म की अनुप्रस्थ काट ABC दिखाई गई है। रेखाएँ AB तथा AC अपवर्तक सतह को दिखा रही हैं जबकि BAC, जिसे A भी कहते हैं, प्रिज्म का कोण Angle of Prism कहलाता है।
मान लें कि प्रिज्म Prism हवा में रखा गया है और प्रकाश की एक किरण PQ सतह AB पर आपतन कोण Angle of Incidence i बनाती हुई पड़ती है। अपवर्तन कोण Angle of Refraction r बनाते हुए अपवर्तित किरण refracted ray सतह AC पर पड़ती है और अपवर्तित Refracted होकर RS दिशा में हवा में बाहर निकल जाती है। यदि किरण QR द्वारा सतह AC पर बनाया आपतन कोण r', क्रांतिक कोण Critical Angle से बड़ा न हो, तो इस किरण का AC सतह से अपवर्तन Refraction के साथ आंशिक परावर्तन भी होगा। यहाँ हम इन परावर्तित किरणों की चर्चा नहीं कर रहे हैं। इसी प्रकार AB सतह पर भी PQ किरण का आंशिक परावर्तन होगा। हम इसकी भी चर्चा यहाँ नहीं कर रहे हैं।
सतह AC पर के अभिलंब के साथ किरण RS द्वारा बना कोण इस सतह के लिए अपवर्तन कोण angle of refraction है। इसे निर्गमन का कोण angle of emergence भी कहते हैं। यदि प्रिज्म न होता, तो किरण PQ बिना विचलित हुए PQTU दिशा में चली जाती, परन्तु प्रिज्म के कारण यह दिशा RS में जाती है | Angle UTS = δ को विचलन का कोण कहते है |
न्यूनतम विचलन का कोण Angle of Minimum Deviation δₘ
विचलन कोण Angle of Deviation δ का मान आपतन के कोण i पर निर्भर करता है। i के एक विशिष्ट मान के लिए विचलन कोण δ का मान न्यूनतम होता है। यह न्यूनतम विचलन का कोण Angle of Minimum Deviation δₘ प्रिज्म के पदार्थ के अपवर्तनांक Refractive Index n तथा प्रिज्म के कोण Angle Of Prism A से सीधे तौर पर संबंधित होता है।
हम यह मानेंगे कि एक स्थिति ऐसी होती है जब विचलन न्यूनतम Deviation Is Minimum होता है तथा यह स्थापित करेंगे कि न्यूनतम विचलन Minimum Deviation की स्थिति में आपतन कोण Angle of incidence i तथा निर्गमन कोण angle of emergence i' के मान बराबर होते हैं। यदि ऐसा नहीं है, तो मान लें कि न्यूनतम विचलन की स्थिति में आपतन कोण निर्गमन कोण से बड़ा है।
मान लें कि चित्र की स्थिति न्यूनतम विचलन की स्थिति है और इसलिए इस चित्र में,
i>i' - (समीकरण -i)
अब मान लें कि एक प्रकाश-किरण SR दिशा में चलती हुई AC सतह पर पड़ती है (चित्र देखे)। Fermat के सिद्धांत के अनुसार, प्रकाश की किरण P बिंदु से S तक जाने में वही पथ लेगी जिसमें उसे सबसे कम समय लगे। स्पष्ट है कि S से P तक जाने के लिए भी उसे वही पथ लेना होगा ताकि वह न्यूनतम समय में वहाँ पहुँच जाए। अब भी विचलन का कोण वही है और इसलिए न्यूनतम है। यहाँ आपतन कोण ।' तथा निर्गमन कोण में है। हमारी मान्यता के अनुसार,
i'>i -(समीकरण-ii)
अब समीकरण (i) और (ii) दोनों एक साथ तो सही नहीं हो सकते। अतः, हमारी मान्यता गलत है। इसी तरह, यदि आप यह माने कि न्यूनतम विचलन के समय आपतन कोण निर्गमन कोण से कम होता है, तो भी आपको ऐसा ही विरोधाभास मिलेगा। अतः, न्यूनतम विचलन Minimum Deviation के लिए आपतन कोण Incident Angle एवं निर्गमन कोण Emergence Angle बराबर equal होते हैं। अर्थात, i = i तथा r = r'.
No comments:
Post a Comment