Thursday, May 20, 2021

नीति आयोग क्या है What is NITI Aayog | Indian Economy

नीति आयोग नीतियों का प्रमुख विचार मंच नीति आयोग (National Institution for Transforming India) का गठन, केंद्रीय केबिनेट के एक प्रस्ताव द्वारा 1 जनवरी, 2015 को किया गया। नीति आयोग भारत सरकार का प्रमुख विचार-मंच है जोकि दिशा-निर्देश के साथ नीतियों के बारे में उपयोगी जानकारी, दोनों ही प्रदान करता है। भारत सरकार के लिए सामाजिक कार्यनीति एवं दीर्घकालीन नीतियाँ तथा कार्यक्रमों की डिजाइन तैयार करने के साथ नीति आयोग, केंद्र और राज्यों को आवश्यक तकनीकी सलाह भी देता है। 

सरकार ने अपने सुधार के एजेंडों को आगे बढ़ाते हुए 1950 में गठित योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग बना दिया। ऐसे करने के पीछे उद्देश्य था कि आयोग, जनमानस की अपेक्षाओं पर खरा उतर सके और उनकी आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से पूरा कर सके। पूर्व भी अपेक्षा एक महत्त्वपूर्ण विकास परक परिवर्तन यह है कि नीति आयोग, सरकार के लिए एक सर्वोत्कृष्ट प्लेटफार्म मुहैय्या कराता है जिस पर सभी राज्य एकजुट हो कर राष्ट्रीय हित में कार्य करते हैं और इससे सहयोगात्मक संघवाद की भावना को बल मिलता है। 

नीति आयोग की स्थापना में इसके मूल में दो केंद्र हैं- टीम इंडिया केंद्र और ज्ञान तथा नवप्रवर्तन केंद्र। टीम इंडिया केंद्र राज्यों का केंद्र के साथ ताल-मेल बैठाने का नेतृत्व करता है वहीं ज्ञान तथा नवप्रवर्तन केंद्र, नीति आयोग के विचार-मंच का सामर्थ्य-निर्माण करता है। ये दोनों ही केंद्र, नीति आयोग के क्रियाकलाप को प्रतिबिंबित करते हैं। 


नीति आयोग के कार्य 

नीति आयोग के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं- 

  • राष्ट्रीय विकास के प्राथमिकता क्षेत्रों एवं कार्यनीति के निर्धारण में राज्यों के सक्रिय भागीदारी के साथ, राष्ट्रीय उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करना। 
  • मजबूत राज्य मजबूत राष्ट्र का निर्माण होता है, इस भावना के साथ सहयोगात्मक संघवाद को बढ़ावा देने के लिए संरचित, सहायता पहल का तंत्र स्थापित करना जिसके माध्यम से राज्यों के साथ सतत् रूप से कार्य करना। 
  • ग्राम स्तर पर विश्वसनीय (Credible) योजनाओं को निरूपित करने के लिए एक तंत्र का निर्माण और इन योजनाओं को समेकित रूप से, प्रगतिशील रूप में सरकार के ऊँचे स्तर पर, पूर्ण योग के प्रस्तुत करना। 
  • राष्ट्रीय सुरक्षा के उन पहलुओं को, जो नीति आयोग को संदर्भित किये गये हों, उनको आर्थिक रणनीति और नीतियों में समावेशित किया जाय, इसका यकीन करना। 
  • समाज के उन वर्गों पर विशष ध्यान देना जो देश में हो रही आर्थिक प्रगति से पर्याप्त रूप लाभान्वित नहीं हो सके हैं। 
  • दीर्घकालिक नीतियों तथा कार्यनीति की डिजाइन तैयार करना और उसकी समीक्षा के लिए, कार्यक्रमों की रूपरेखा तय करना तथा पहल करना ताकि उसकी प्रगति को आँका जा सके। इनकी समीक्षा तथा फीड-बैक के आधार पर नवप्रवर्तन सुधार और जहां आवश्यक हो, मध्य-मार्ग में त्रुटि-सुधार करना। 
  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समान सोच वाले विचार-मंचों के बीच साझेदारी को प्रोत्साहन तथा सलाह देना। यह प्रयास शैक्षणिक संस्थानों तथा योजना-अनुसंधान संस्थानों के लिए भी लागू है। 
  • राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, उन पर काम करने वालों तथा अन्य भागीदारों के सहयोगपूर्ण समुदाय के माध्यम से ज्ञान, नवप्रवर्तन एवं उद्यमियों की एक समर्थन व्यवस्था का निर्माण करना |
  • अंतक्षेत्रीय एवं अंतर्विभागीय मसलों के हल के लिए एक प्लेटफार्म प्रस्तुत करना ताकि विकास का एजेंडा और उसे लागू करना सर्वोपरि हो सके। 
  • नीति आयोग एक स्टेट-ऑफ-दि-आर्ट संसाधन केंद्र के रूप में हो, अनुसंधान तथा सुशासन के भंडार की तरह हो एवं टिकाऊ तथा समदृष्टि वाले विकास का प्रतीक हो तथा सभी स्टॉक-होल्डर्स के बीच इन चीजों को पहुंचाने वाला माध्यम भी है। 
  • सक्रिय समीक्षा एवं कार्यक्रमों को लागू करने तथा सरकारी पहल का मूल्यांकन करते हुए नीति आयोग, संसाधनों की आवश्यकता की पहचान एवं आपूर्ति की व्यवस्था कर सके जिससे सफलता की संभावनाएँ एवं कार्यक्रमों को लाभार्थियों तक पहुँचाया जा सके। 
  • कार्यक्रमों और पहल को लागू करने के लिए टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन तथा क्षमता निर्माण।
  • राष्ट्रीय विकास से एजेंडे का और आगे क्रियान्वयन के लिए आवश्यकतानुसार अन्य गतिविधियाँ शुरू करना। 

नीति आयोग की भूमिका (Niti Aayog's Role) 

नीति आयोग को "हमारी दुनिया के रूपांतरण" की भूमिका दी गयी है, जोकि 2030 तक के टिकाऊ विकास (Sustainable Development called as SDGs) के एजेंडे के अनुरूप है। "शताब्दी विकास लक्ष्य" [Millennium Development Goals, (MDGs)] से आगे बढ़ते हुए SDGs को, एक लंबी, समावेशी प्रक्रिया (2016-30) को प्राप्त करने का उद्देश्य रखा गया है। 

SDGs के अंतर्गत 17 उद्देश्य और 169 संबंधित लक्ष्यों का निर्धारण, संयुक्त राष्ट्र की 25-27 सितंबर, 2015 के शीर्ष-सम्मेलन में, जिसमें देश के प्रधानमंत्री ने भी हिस्सा लिया, किया गया। इन SDGs के माध्यम से, मानवता और पृथ्वी ग्रह की महत्त्वपूर्ण समस्याओं के हल के लिए सम्मिलित प्रयास किया जायेगा। 

अतः नीति आयोग का कार्य SDG संबंधित मात्र आंकड़े एकत्र करना ही नहीं है, बल्कि इसके उद्देश्य प्राप्ति के लिए न केवल परिमाणात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति करनी है, बल्कि उसकी गुणवत्ता भी अग्रसक्रिय (Proactive) रूप में सुनिश्चित करनी है। 

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन-मंत्रालय ने एक समानांतर प्रयास करते हुए मंत्रालयों से मंत्रणा के आधार पर इस प्रकार के सूचक (Indicators) निर्धारित किये हैं जिनसे SDGs के उद्देश्यों और लक्ष्यों की स्थिति प्रतिबिंबित हो सके। 

सांख्यिकी मंत्रालय की सलाह से उपरोक्त कार्यों को संपादित करने के लिए उद्देश्यों और लक्ष्यों की ड्राफर मैपिंग करके प्रारंभिक चरण का कार्य पूरा किया गया है और इसके लिए एक नोडल-प्वाइंट प्रस्तावित किया गया है। 

इससे आगे उदाहरणस्वरूप, केंद्र-प्रायोजित योजनाएँ जिसमें शामिल हैं 'मूल के अंदर मूल' (Core of the core), 'मूल' एवं वैकाल्पिक योजनाएँ, जिन्हें राज्यों द्वारा लागू किया जा रहा है, उन्हें प्रतिचित्रित (Mapped) किया जा चुका है और उनके साथ ही केंद्र सरकार की अन्य पहल को भी सम्मिलित किया गया है। 

इसके अतिरिक्त मंत्रालय, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं को लागू करने में प्रयासरत हैं वहीं दूसरे और राज्य भी SDG के परिक्षेत्र में आने वाले उद्देश्यों एवं लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए राज्य-स्तरीय योजनाएँ चला रहे हैं। 


दृष्टिकोण, रणनीति और एक्शन प्लान 

  • नीति आयोग पंचवर्षीय योजनाओं के स्थान पर दृष्टिकोण, रणनीति और एक्शन प्लान, को जारी करने की तैयारी में है। जिसमें 15 वर्षीय दृष्टिकोण पत्र और सप्तवर्षीय रणनीति पत्र (2017-18) से 2031-32 पर) अभी कार्य चल रहा है। 
  • नीति आयोग का 3 वर्षीय एक्शन प्लानः वित्त वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक के लिए है। इस एक्शन प्लान के जरिए नीति आयोग और केन्द्र सरकार की तैयारी 2019-20 तक देश में चौबीस घंटे बिजली सस्ता डीजल और पेट्रोल उपलब्ध कराने के लिए सुधार, 100 स्मार्ट सिटी में गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क खड़ा करना, मनरेगा के सामाजिक अंकेक्षण की आवश्यकता, शिक्षा पर व्यय में - वृद्धि, सड़क, रेल क्षेत्र में पूंजीगत व्यय में वृद्धि करना आदि शामिल किया गया है।

 नीति आयोग की नूतन पहले 

नीति आयोग ने समावेशी एवं सतत् भारत के निर्माण की दिशा में कई कदम उठाए हैं। इस आयोग द्वारा शुरू की गई कुछ प्रमुख पहलें इस प्रकार हैं- 

एक भारत श्रेष्ठ भारत 

एक भारत श्रेष्ठ भारत (इबीएसबी) की संकल्पना सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं शिक्षा के माध्यम से दीर्घकालीन अंतर्राज्यीय सम्पर्क के जरिये देश को एकसूत्र में पिरोने, सुदृढ़ बनाने एवं जीवन के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता लाने के लिये तैयार की गई थी। 

मानव पूंजी रूपांतरण के लिए स्थायी कार्रवाई (साथ) 

'साथ' कार्यक्रम का उद्देश्य सामाजिक क्षेत्र संकेतकों में सुधार एवं तकनीकी मदद प्रदान करने के लिये तीन वर्ष तक प्रदेशों का साथ देकर दो महत्वपूर्ण सामाजिक क्षेत्रों - शिक्षा एवं स्वास्थ्य में रूपांतरण की शुरुआत करने के लिये है । इस कार्यक्रम की शुरुआत राज्यों के चयन से एक अनोखे चैलेंज मेथड के माध्यम से हुई थी । राज्यों के रूपांतरण के लिये रोडमैप को प्रारंभ किये गए प्रत्येक कार्यक्रम के लिये त्रैमासिक लक्ष्य निर्धारित कर अंतिम रूप दिया जा चुका है। 

अवसंरचना विकास हेतु राज्यों के लिए विकास प्रोत्साहन सेवाएं (डीएसएसएस) 

केंद्र राज्य साझेदारी का नमूना स्थापित करने एवं ढांचागत विकास के क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी क्षेत्र की साझेदारी की पुनर्स्थापना करने के लिये अवसंरचना विकास हेतु राज्यों के लिये विकास प्रोत्साहन सेवाए (डीएसएसएस) प्रारंभ की गई थी, ताकि परियोजनाएं जोखिम से स्वतंत्र हो पाएं, परियोजना विकास के महत्वपूर्ण संरचनात्मक मसलों का समाधान हो पाए एवं सांस्थानिक एवं संगठनात्मक क्षमताओं का निर्माण हो पाए। 

स्वास्थ्य क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी साझेदारी 

स्वास्थ्य के क्षेत्र में रोकथाम, निदान एवं कुछेक असंक्रामक प्रक्रियाओं जैसे हृदय विज्ञान, कर्करोग विज्ञान, संबंधी विज्ञान में सरकार के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु राज्यों की सहायता करने के लिये टायर-2 एवं टायर-3 के शहरों पर जोर देते हुए निजी स्वयंसेवी क्षेत्र के सेवा प्रदाताओं को शामिल कर जिला अस्पताल स्तर पर कार्यान्वित करने के लिये राज्यों का मार्गदर्शन करने वाला ढांचा तैयार किया गया। 

अक्टूबर 2018 में स्वास्थ्य रक्षा के क्षेत्र में निजी सार्वजनिक साझेदारी को प्रोत्साहन देने के लिये एक मॉडल रियायतग्राही समझौता भी शुरू किया गया। 

केंद्र सरकार के मंत्रालयों के साथ प्रदेशों के लम्बित मामलात का समाधान 

राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के केंद्र सरकार के मंत्रालयों के साथ सभी लम्बित मामलों का शीघ्रता से समाधान किया गया है। राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, बिहार, ओडीशा एवं पुद्दुचेरी से प्राप्त विषयों का समाधान किया गया है। 

प्रदेश मानव विकास रिपोर्ट 

महाराष्ट्र, असम, तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक, नगालैण्ड, बुंदेलखंड क्षेत्र एवं दिल्ली की मानव विकास रिपोर्ट तैयार करने में सहायता की गई। 

115 निर्धारित आकांक्षापूर्ण जिलों का रूपांतरण 

'सबका साथ, सबका विकास' के दृष्टिकोण को साकार करने एवं यह सुनिश्चित करने के लिये कि भारत की विकास प्रक्रिया समावेशी रहे, प्रधानमंत्री ने 5 जनवरी, 2018 को आंकाक्षापूर्ण जिला कार्यक्रम (एडीपी) की शुरुआत की थी। यह महत्वपूर्ण सामाजिक क्षेत्रों में तुलनात्मक रूप से कम प्रगति करने वाले एवं न्यून विकसित क्षेत्रों के रूप में उभरे तथा इस प्रकार संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिये एक चुनौती प्रस्तुत करने वाले 115 निधारित जिलों के शीघ्रता से रूपांतरण की विशेष पहल है। 

तीन वर्ष का राष्ट्रीय एजेंडा एवं नये भारत के लिए रणनीतिः नीति आयोग ने 2017-18 से 2019-20 की अवधि को कवर करते हुए एक तीन वर्ष का एजेंडा तैयार किया है। यह एजेंडा फेमवर्क भारत की परिवर्तित सच्चाई के अनुरूप विकास की रणनीति से तालमेल की अनुमति प्रदान करता है। 

पोषण अभियान की शुरुआतः भारत में अगले तीन वर्ष में पोषण संबंधी परिणामों में बढ़ोतरी के उद्देश्य से पोषण अभियान शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम का संचालन करने के लिये उत्तरदायी राष्ट्रीय परिषद नीति आयोग में स्थित है एवं इसके अध्यक्ष नीति आयोग के उपाध्यक्ष हैं। 

भारत में प्रतिस्पर्धी संघवाद 

नीति आयोग का प्रमुख उद्देश्य भारत में प्रतिस्पर्धी संघवाद को विकसित करना है। प्रतिस्पर्धी संघवाद एक ऐसी संकल्पना है जहाँ केंद्र राज्यों से, राज्य केंद्र से तथा राज्य आपस में भारत के विकास के लिए किये गए संयुक्त प्रयासों में प्रतिस्पर्धा करते हैं। इसमें संपूर्ण देश के लिए समरूप नीति बनाने के स्थान पर विभिन्न राज्यों की प्राथमिकताओं के आधार पर भिन्न-भिन्न नीतियाँ अपनाई जाती हैं। नीति आयोग ने प्रतिस्पर्धी संघवाद को सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित पहले की हैं- 

  • चौदहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के पश्चात केंद्रीय कर राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी 32% से बढ़ाकर 42% कर दी गई। इससे राज्य सरकारों की नीतिगत मार्गदर्शन के मामले में केंद्र पर निर्भरता कम हुई है। 
  • स्वास्थ्य, शिक्षा, जल और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक क्षेत्रों में वृद्धिशील वार्षिक परिणामों को मापने के लिए संकेतकों को अंतिम रूप दिया गया है। 
  • परिणामोन्मुख प्रवृत्ति के साथ अस्पतालों के निष्पादन को मापने और मॉनिटरिंग करने के लिए जिला अस्पताल सूचकांक (DHI) का विकास किया गया है। साथ ही, 'स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत' नामक रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। 
  • विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति को मापने के लिए 'डिजिटल रूपांतरण सूचकांक' (DHI), 'एसडीजी भारत सूचकांक', 'विद्यालय शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक' (SEQI) आदि को सूत्रबद्ध किया जा रहा है। इसके अलावा, जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन में विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के निष्पादन को बेहतर करने के लिए एक संयुक्त जल प्रबंधन सूचकांक बनाने की भी घोषणा की गई है। 
  • केंद्र प्रायोजित योजनाओं को युक्तिसंगत बनाया गया है। साथ ही, केंद्र सरकार द्वारा यह घोषणा की गई है कि राज्य अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर योजना निर्माण कर सकते हैं तथा केंद्र प्रायोजित योजनाओं में बदलाव भी कर सकते हैं। 
  • औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए राज्यों से श्रम सुधारों का प्रारंभ किया गया है। 
  • विकास परियोजनाओं के सुचारू संचालन के लिए भूमि के आसान अधिग्रहण हेतु गुजरात, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास अधिनियम में संशोधन किया है। 
  • कई अन्य राज्यों ने भी देश में प्रतिस्पर्धी संघवाद को सफल बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रयास किये हैं, लेकिन कुछ राज्य अपनी परंपरागत भौगोलिक-आर्थिक-सामाजिक परिस्थितियों एवं राजनीतिक बाधाओं के कारण प्रतिस्पर्धी संघवाद के प्रयासों में भागीदार नहीं हो पाए। 
  • पूर्वी भारत और पूर्वोतर भारत के राज्यों को विशेष अनुदान देने की आवश्यकता है, ताकि ये राज्य भी अन्य राज्यों से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा कर भारत के विकास में योगदान दे सकें। 

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