राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन, राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (एनएपीसीसी) के अंतर्गत रेखांकित 8 मिशनों में से एक है। राष्ट्रीय मिशन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से जुड़े जोखिमों के संदर्भ में कृषि से संबंधित मुद्दों का समाधान करना है। मिशन में खाद्य सुरक्षा, खाद्य संसाधनों तक समान पहुंच, आजीविका के अवसरों में वृद्धि और राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक स्थिरता में योगदान के लिए रणनीति शामिल है। मिशन का उद्देश्य भारतीय कृषि के 10 मुख्य आयाम नामतः उन्नत फसल बीज, पशुधन और मत्स्य पालन, जल प्रयोग दक्षता, नाशीजीव प्रबंधन, उन्नत फार्म आजीविका विविधीकरण शामिल हैं, पर फोकस करते हुए अनुकूलन उपायों के अंगीकरण की श्रृंखला के माध्यम से सतत कृषि को बढ़ावा देना है।
एनएमएसए के निम्नलिखित उद्देश्य होंगे-
1. कृषि को स्थान विशिष्ट एकीकृत/संयुक्त कृषि प्रणालियों को बढ़ावा दे कर और अधिक उत्पादक, सतत, लाभकारी और जलवायु प्रत्यास्थ बनाना।
2. समुचित मृदा और नमी संरक्षण उपायों के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना।
3. मृदा उर्वरता मानचित्रों, बृहत एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों के मृदा परीक्षण आधारित अनुप्रयोक्ता समुचित उर्वरकों के प्रयोग इत्यादि के आधार पर व्यापक मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पद्धतियां अपनाना।
4. 'प्रति बूंद अधिक फसल हासिल करने के लिए व्याप्ति बढ़ाने हेतु कुशल जल प्रबंधन के माध्यम से जल संसाधनों का इष्टतम उपयोग।
5. जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और अल्पीकरण के क्षेत्र में अन्य चालू मिशनों अर्थात राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं प्रौद्योगिकी मिशन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय कृषि जलवायु प्रत्यास्थता पहल (एनआईसीआरए) इत्यादि के सहयोग से किसानों एवं पणधारियों की क्षमता बढ़ाना।
6. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम (मनरेगा), एकीकृत पनधारा कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी), आरकेवीवाई इत्यादि जैसी अन्य स्कीमों से संसाधनों को लेकर और एनआईसीआरए के माध्यम से वर्षा सिंचित प्रौद्योगिकियों को मुख्य धारा में लाते हुए वर्षा सिंचित कृषि की उत्पादकता सुधारने हेतु चयनित ब्लाकों में प्रायोगिक मॉडल, और एनएपीसीसी के तत्वाधान में राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के मुख्य प्रदेशों को पूरा करने हेतु प्रभावी अंतर और आंतरिक विभागीय मंत्रालय समन्वय स्थापित करना।
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