Thursday, May 20, 2021

मौद्रिक नीति समिति क्या है What is Monetary Policy Committee | Indian Economy

केंद्रीय बैंक द्वारा मौद्रिक नीति संबंधी निर्णय, अर्थव्यवस्था, निवेशकों, बचतकर्ताओं और ऋण लेने वालों पर दूरगामी प्रभाव डालते हैं। और यदि इन नीतियों के बारे में ऐसा आभास हो कि इन्हें व्यक्तिगत निर्णय के रूप में लागू किया जा रहा है तो इससे अर्थव्यवस्था में रोष फैलता है। उस कारण से, विश्व की कई सरकारों ने एक कमेटी गठित करके, उस प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पाने का प्रयास किया है। 

सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम को 27 जून, 2016 को संशोधित करके मौद्रिक नीति बनाने संबंधी कार्यों के निष्पादन के लिए "मौद्रिक नीति समिति" (MPC) का गठन किया है। 

नवगठित इस मौद्रिक नीति समिति में कुल छः सदस्य होंगे और यह अपेक्षा की गयी है कि यह कमेटी मूल्य-निर्धारण की प्रक्रिया में 'पारदर्शिता और उच्चता' लायेगी। छः सदस्यों में तीन सदस्य भारतीय रिजर्व बैंक से (गवर्नर, एक डिप्टी गवर्नर तथा एक अन्य अधिकारी) और शेष तीन स्वतंत्र सदस्य सरकार द्वारा चुने जायेंगे। 

सरकार ने इस कमेटी में जिन तीन स्वतंत्र सदस्यों की नियुक्ति की है उनके नाम हैं- श्री चेतन घाटे, एसोसिएट प्रोफेसर, भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI), पामी दुआ, निदेशक, दिल्ली स्कूल आफ इकोनोमिक्स और रविंद्र एच ढोलकिया, प्रोफेसर-अर्थशास्त्र, IIM, अहमदाबाद भारतीय रिजर्व बैंक के तीन सदस्य हैं- श्री उर्जित पटेल, (निदेशक) एक वोट के अधिकारी, श्री आर गाँधी, (मौद्रिक नीति नियंत्रक डिप्टी गवर्नर) और श्री मिशेल पात्रा (कार्यकारी निदेशक)। एक सर्च-कमेटी (संभवतः एक नयी कमेटी के गठन हेतु) तीन अन्य बाहरी सदस्यों के नाम सुझायेगी जो कि अर्थशास्त्र बैंकिंग एवं वित्त क्षेत्रों के विशेषज्ञ होंगे और वे सरकार द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि होंगे। मौद्रिक नीति कमेटी, वर्ष में चार बार बैठक करेगी और मौद्रिक नीति, बहुमत के वोट के आधार पर निर्णित होगी। यदि किसी नीति के 'पक्ष' 'विपक्ष' के बराबर वोट होने की स्थिति पैदा होती है, तब रिजर्व बैंक के गवर्नर का वोट निर्णायक माना जायेगा। 

सरकार द्वारा नामित सदस्यों का कार्यकाल चार वर्ष "अथवा अगले आदेश" तक, जो भी पहले घटित हो और वे स्वतंत्र सदस्य की तरह कार्य करेंगे। यह कमेटी ब्याज की दरों का निर्धारण, बहुमत वोट के आधार पर करेगी जहाँ प्रत्येक सदस्य का एक वोट होगा। वोट बराबर होने की स्थिति में गवर्नर अपना वोट देगा। कमेटी की कार्रवाई के लिए 'कोरम' पूरा करने के लिए न्यूनतम चार सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक है। उस समिति की एक विशेष बात यह है कि इसके सभी सदस्य पूरे तौर पर मुद्रा-अर्थशास्त्री नहीं हैं। 


मौद्रिक नीति समिति के कार्य (Functions of the MPC)

"मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क समझौते" के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक, मध्य अवधि-के दौरान, मुद्रास्फीति को 4% तक रखने के लक्ष्य के अनुसार (2% मानक-विचलन (Standard Deviation) के साथ) उत्तरदायी होगी। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (सेक्शन 45ZA (1)) के अनुसार केंद्र सरकार RBI के साथ विचार-विमर्श करके, प्रत्येक पाँच वर्षों में एक बार, मुद्रास्फीति का लक्ष्य, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के संदर्भ में तय करेगी। यह लक्ष्य, आधिकारिक गजट में प्रकाशित किया जायेगा। यद्यपि केंद्रीय-बैंक के पास ऐसा मौद्रिक-ढांचा मौजूद है जिसके अनुसार वह मौद्रिक नीति का अनुपालन पहले से ही कर रही थीं, परंतु अभी के नये वैधानिक ढांचे के लागू होने का आशय है कि अब, भारतीय रिजर्व बैंक को पूर्व-निश्चित मुद्रास्फीति के लक्ष्यों को प्राप्त न कर पाने की स्थिति में, सरकार को अपनी रिपोर्ट के द्वारा स्पष्टीकरण प्रस्तुत करनी पड़ेगी। इस रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक को असफलता के कारण, सुधार के उपाय और साथ समयानुमान देना होगा कि कब तक, मुद्रास्फीति-लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त भारतीय रिजर्व बैंक को एक छमाही मौद्रिक नीति रिपोर्ट प्रकाशित करेगी जिसमें मुद्रास्फीति के स्रोतों की व्याख्या होगी और आगामी छः से 18 महीनों में मुद्रास्फीति की अनुमानित दर भी दी जायेगी। 

इस पृष्ठभूमि का ध्यान रखते हुए मौद्रिक नीति कमेटी, 'दर-नीति' (Reports) में परिवर्तन का निर्णय कर सकती है ताकि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति के लक्ष्य के अंदर ही नियंत्रित किया जा सके। इस कमेटी के प्रत्येक सदस्य को निवर्तमान मौद्रिक नीति के पक्ष या विपक्ष में वोट देने के कारणों के समर्थन में अपना वक्तव्य, लिखित में देना होगा और यह वक्तव्य, MPC के कार्य-वृत्त (Minutes of Meeting) के साथ; मीटिंग के 14 दिनों के अंदर रिजर्व बैंक द्वारा प्रकाशित किया जायेगा) इसके अतिरिक्त, MPC की मीटिंग के बाद रिजर्व बैंक एक प्रपत्र का प्रकाशन करके यह सूचित करेगा कि मौद्रिक कमेटी द्वारा लिये गये निर्णयों को लागू करने के लिए, शामिल कोई परिवर्तन, वह कौन से कदम उठाने जा रही है। 


मौद्रिक नीति समिति द्वारा निर्णय की प्रक्रिया (Decision Making at MPC) 

मौद्रिक कमेटी की कार्यवाही, गोपनीय होगी तथा इसका कोरम पूरा करने के लिए न्यूनतम चार सदस्यों की उपस्थिति, जिसमें रिजर्व बैंक के गवर्नर अथवा उनकी अनुपस्थिति में, डिप्टी गवर्नर, सदस्य का होना अनिवार्य है। 

मौद्रिक कमेटी, बहुमत वोटों के आधार पर निर्णय लेती है (उनके वोट जो मीटिंग में उपस्थित हैं)। बराबर वोटों की स्थिति में गवर्नर, रिजर्व बैंक निर्णायक वोट डालेंगे। कमेटी का निर्णय, रिजर्व बैंक के लिए अनिवार्यतः मानने वाला होगा। 

मौद्रिक नीति कमेटी की कोई भी कार्यवाही, मात्र इन कारणों से अयोग्य नहीं मानी जा सकेगी- 

  • MPC में कोई स्थान रिक्त हो या उसके संविधान में कोई दोष उजागर हो । 
  • MPC के सदस्य की नियुक्ति में कोई तकनीकी दोष हो अथवा 
  • MPC की कार्यवाही में कोई अनिमियतता जिसका मुद्दे पर कोई सीधा प्रभाव न हो। 
नियमानुसार रिजर्व बैंक को एक वर्ष में कम-से-कम चार बार मौद्रिक नीति कमेटी की बैठकें बुलानी है। सरकार जब चाहे, आवश्यकतानुसार, MPC को अपने विचारों से लिखित रूप में, अवगत करा सकती है। 

भारतीय रिजर्व बैंक, MPC को निर्णय लेने की सहूलियत के लिए सभी आवश्यक जानकारी, आंकड़े, विश्लेषण, मॉडल इत्यादि प्रस्तुत करने के लिए बाध्य है। यह सूचना किसी भी सदस्य द्वारा माँगी जा सकती है और रिजर्व बैंक, ऐसी सूचना न केवल उस सदस्य को, बल्कि की सारे सदस्यों को प्रदान करेगी। 

वर्तमान में प्रचलित मौद्रिक नीति तय करने की प्रक्रिया का नये रूप में हस्तांतरण होने से नीति-निर्धारण के समय वैचारिक-भिन्नता, विशिष्ट अनुभव एवं स्वतंत्र विचारों का लाभ मिलेगा जिसके निर्णय प्रक्रिया में सभी स्तरों की प्रतिनिधित्व-सहभागिता संभव हो सकेगी। 

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