बाजार के पूँजीकरण से आशय किसी कंपनी के शेयरों की मात्रा के स्टॉक मार्केट के मूल्य से गुणित (multiply) करना है। इसी प्रकार, संपत्ति से आशय किसी व्यक्ति के पास रखे शेयर की संख्या को स्टॉक-मार्केट मूल्य पर गुणित करना है।
हाल में ही SEBI ने 'फ्री फ्लोट-मार्केट कैपिटलाइजेशन' की अवधारणा की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत कंपनी के कितने शेयर, स्टॉक-मार्केट में व्यापार के लिए उपलब्ध हैं, उसका संज्ञान लिया जाता है। इसमें कंपनी के प्रमोटर्स के शेयर शामिल नहीं हैं।
भारत में पूँजी बाजार उभर रहा है और इसके व्यापार में शामिल होने वाली संख्या, देश की जनसंख्या का कुल 1% है फिर भी शेयर बाजार के क्रिया-कलाप, मीडिया के लिए प्रमुख समाचार हैं। हालांकि आम-आदमी के लिए यह कोई मायने नहीं रखता, परंतु इससे सरकार को जनता की प्रतिक्रिया का अंदाजा लग जाता है। शेयर बाजार में विपरीत बहाव की स्थिति में सरकार को अपनी नीतियों में परिवर्तन भी करना पड़ सकता है।
जब शेयर के मूल्य ऊपर जा रहें हो, (Bullish) तो इसे अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा मानते हैं और इसके विपरीत जब शेयर मूल्य नीचे गिर रहे हों (Bearish), तो इसे अर्थव्यवस्था में नकारात्मकता का सूचक माना जाता है। इसी उतार-चढ़ाव को स्टॉक मार्केट में BULL और BEAR कहा जाता है। विश्व स्तर पर कुछ जाने - माने शेयर बाजार हैं- National Association of Security Dealers Automated Quotations (NASDAQ), Dow Jones (US) और Nikkei' (Japan)।
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