आप जानते हैं कि इंफ्रारेड (अवरक्त) या अल्ट्रावायलेट (पराबैंगनी) विकिरण से किसी वस्तु को देखा नहीं जा सकता। यदि कोई स्रोत सिर्फ इंफ्रारेड विकिरण उत्सर्जित करे, तो स्रोत चमकता हुआ दिखाई नहीं देता। यदि रात्रि के अंधकार में रसोई घर में एक गर्म तवा पड़ा हो, तो वह इंफ्रारेड विकिरण उत्पन्न करता है पर वह तवा चमकता हुआ दिखता नहीं है। दृश्य प्रकाश का स्रोत भी कितना चमकता हुआ दिखेगा, यह उसके द्वारा उत्सर्जित तरंगदैर्घ्य पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, यदि आप 10 W के दो लैंप लें जिसमें से एक लाल रंग का तथा दूसरा पीले रंग का हो, तो पीले प्रकाश का स्रोत लाल प्रकाश के स्रोत से कहीं ज्यादा चमकीला दिखेगा। विकिरण, आँखों में प्रकाश की कितनी अनुभूति पैदा करता है; यह बताने के लिए 'प्रदीप्त फ्लक्स' (luminous flux) परिभाषित किया जाता है जिसे ल्यूमेन (lumen) में नापते हैं।
आँखों की संवेदनशीलता औसतन 555 nm के प्रकाश के लिए अधिकतम होती है। यदि कोई स्रोत 555 nm तरंगदैर्घ्य का एकवर्णी प्रकाश 1 वाट की दर से उत्सर्जित करे तो उस स्रोत का प्रदीप्त फ्लक्स 683 ल्यूमेन परिभाषित किया जाता है। यदि किसी स्रोत से किसी अन्य तरंगदैर्घ्य का एकवर्णी प्रकाश उत्सर्जित हो, तो उसका प्रदीप्त फ्लक्स (1 W के लिए) 683 ल्यूमेन से कम होगा। किसी एकवर्णी स्रोत द्वारा उत्सर्जित प्रदीप्त फ्लक्स तथा उतने ही रेडियेट फ्लक्स, अर्थात पावर के 555 nm के स्रोत के प्रदीप्त फ्लक्स के अनुपात को आपेक्षिक प्रदीप्ति (relative luminosity) कहते हैं।
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