Tuesday, June 23, 2020

ISRO centre and mission in hindi

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) : 
विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर तिरुवंतपुरम प्रक्षेपण वाहन प्रौद्योगिकी के डिजाइन और विकास के लिए इसरो का प्रमुख केंद्र है यह केंद्र एयरोनॉटिक्स यूनिट्स व्हीकल इंटीग्रेशन रसायन पर नॉर्दर्न अंतरिक्ष आयोग संरचना अंतरिक्ष भौतिकी और प्रणालियों की विश्वसनीयता के क्षेत्र में सक्रिय अनुसंधान और विकास को आगे बढ़ाता है यह केंद्र विभिन्न मिशनों के लिए सब सिस्टम की प्राप्ति से संबंधित डिजाइन विनिर्माण विश्लेषण विकास और परीक्षण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को पूरा करता है । 
विक्रम साराभाई स्पेस स्टेशन के प्रमुख कार्यक्रमों में पोलर सैटलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV), जियोसिंक्रोनस सैटलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) और रोहिणी साउंडिंग रॉकेट के साथ-साथ जियोसिंक्रोनस सैटलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV MK-III), रीयूज एबल लॉन्च व्हीकल एडवांस टेक्नोलॉजी विकल्प एयर टेक्नोलॉजी और मानव स्पेस फ्लाइट की दिशा में बढ़ते पर नॉर्दर्न और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकिया शामिल है

तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (LPSC) :

तरल प्रणोदक प्रणाली केंद्र इसरो के लॉन्च वाहनों के लिए तरल प्रणोदक चरणों के डिजाइन विकास और रिलाइजेशन का केंद्र है लोड कंट्रोल वाल्व ट्रांसड्यूसर वैक्यूम स्थितियों के लिए प्रणोदक प्रबंधन उपकरण और तरल प्रणोदक प्रणाली के अन्य प्रमुख घटक का विकास भी इस केंद्र के दायरे में है । तरल प्रणोदक प्रणाली केंद्र की गतिविधियां और उस सुविधाएं इसके दो परिसरों अर्थात तरल प्रणोदक प्रणाली केंद्र वर्ली माला तिरुवंतपुरम और तरल प्रणोदक प्रणाली केंद्र बेंगलुरु कर्नाटक में है ।

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) SHAR :

यह भारत का स्पेसपोर्ट है और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए लांच बेस्ट इन्फ्राट्रक्चर प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है इस केंद्र में ठोस प्रणोदक प्रसंस्करण फोर्स मोटर्स के स्थिति का परीक्षण प्रक्षेपण वाहन एकीकरण और लॉन्च ऑपरेशन टेलिमेटरी ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क और मिशन नियंत्रण केंद्र सहित ट्रेन संचालन की सुविधाएं है

अन्य महत्वपूर्ण केंद्र 
, U r Rao satellite centre Bengaluru Karnataka
, इसरो प्रणोदक परिसर (IPRC) महेंद्र गिरी तिरुनेलवेली जिला तमिल नाडु
, अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC) अहमदाबाद गुजरात
, राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC) हैदराबाद तेलंगाना
, ISRO tele Maitri tracking aur command network (ISTRAC) Bengaluru Karnataka
, Indian institute of remote sensing (IIRS) Dehradun Uttarakhand

ANTRIX CORPORATION LIMITED :

ANTRIKSH CORPORATION LIMITED (ACL), बेंगलुरु अंतरिक्ष विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारत की पूर्ण स्वामित्व वाली सरकार कंपनी है अंतरिक्ष कॉरपोरेशन लिमिटेड को सितंबर 1992 में भारत सरकार के स्वामित्व वाली एक निजी लिमिटेड कंपनी के रूप में शामिल किया गया था जो अंतरिक्ष उत्पादों तकनीकी परामर्शी सेवाएं इसरो द्वारा विकसित तकनीकों के हस्तांतरण के प्रचार और वाणिज्य दोहन के लिए इसरो की मार्केटिंग शाखा के रूप में थी एक अन्य प्रमुख उद्देश्य भारत में अंतरिक्ष संबंधी औद्योगिक क्षमताओं के विकास को सुविधाजनक बनाना है। ISRO की वाणिज्यिक और विपणन शाखा के रूप में अंतरिक्ष दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को अंतरिक्ष उत्पाद और सेवा प्रदान करने में लगी हुई है

ISRO important missions

Mars orbiter mission मांस ऑर्बिटर मिशन
(Interplanetary space) इंटरप्लेनेटरी स्पेस में भारत के प्रमुख उद्यम के रूप में मांस ऑर्बिटर मिशन (MOM) मंगल की सतह की विशेषताओं आकृति विज्ञान खनिज विज्ञान और मंगल के वायुमंडल का पता लगाएगा उसका निरीक्षण करेगा इसके अलावा मंगल ग्रह के वातावरण में मिथेन की खोज ग्रह पर जीवन की संभावना या प्राचीन जीवन अस्तित्व के बारे में जानकारी प्रदान करेगी।

 LVM3-X / CARE MISSION :

LVM3-X / CARE MISSION, भारत की नवीनतम पीढ़ी के लॉन्च वाहन (LVM3) की पहली पर योगिक उड़ान सतीश धवन स्पेस स्टेशन हरी कोटा से 18 दिसंबर 2014 को विकसित की गई थी और 126 किलोमीटर की ऊंचाई पर फ्री मोड ओन केयर को इंजेक्ट किया गया उड़ान के करीब 20 मिनट बाद क्यों मॉड्यूल बंगाल की खाड़ी में अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के पास गिरा तिरुवरुल भारतीय तटरक्षक बल द्वारा बरामद किया गया था (LVM3) कि इस उड़ान में एक पैसिव cariogenic था।

(ASTROSAT MISSION) एस्ट्रो सेट मिशन

एस्ट्रो सेट पहला समर्पित भारतीय खगोल विज्ञान मिशन है जिसका उद्देश्य एक्स-रे ऑप्टिकल और युवी स्पेक्ट्रम बैंड में आकाशीय स्रोतों का अध्ययन करना है बस पराबैंगनी निकट और दूर लिमिटेड ऑप्टिकल और एक्स-रे रिजिम जीरो पॉइंट 3 केवी से शो किलो केवीके ऊर्जा बैंड को कवर करते हैं स्ट्रॉस एडमिशन की एक अनूठी विशेषता यह है कि यह एक ही उपग्रह के साथ विभिन्न खगोलीय पिंडों की एक साथ बहुत तरंग धैर्य टिप्पणियों को सक्षम करता है। 1515 किलोग्राम के बाहर वाले एस्ट्रोसाइट को 28 सितंबर 2015 को श्री हरी कोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C30 द्वारा भूमध्य रेखा से 6 डिग्री के कोण पर 650 किलोमीटर की कक्षा में लांच किया गया था एस्ट्रोस एडमिशन का न्यूनतम उपयोगी जीवन 5 वर्ष होने की उम्मीद है। ऑर्बिट में प्रवेश के बाद एस्ट्रो सेट के दोष और पैनल स्वचालित संचलन के लिए तैनात किए गए थे इस रोड टेलिमेटरी ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क ( ISTRAC). mission operation complex ( MOX) मैं अंतरिक्ष यान नियंत्रण केंद्र बेंगलुरु अपने पूरे मिशन काल के दौरान उपग्रह का प्रबंधन करता है

GSAT 30:

भारत के दूरसंचार उपग्रह जीसैट 30 को 17 जनवरी 2020 को कोरू लांच बेस्ट फ्रेंच गुयाना से Arean-51, VA-251 राकेट द्वारा सफलतापूर्वक जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट GTO में लांच किया गया था। जीसैट 30 को इसरो की उन्नत 1-3K  बस संरचना पर कॉन्फ़िगर किया गया है ताकि सी और केयू बैंड में जियो स्टेशनरी ऑर्बिट से संचार सेवाएं प्रदान की जा सके उपग्रह इसरो के पहले इंसर्ट / जीसैट उपग्रह संख्या में अगली कड़ी है।
3357 किलोग्राम वजनी जीसैट 30 को बड़े हुए कवरेज के साथ इंसाफ और ए अंतरिक्ष यान सेवाओं के प्रतिस्थापन के रूप में काम करना है उपग्रह केयू बैंड में भारतीय मुख्य भूमि और दूर तक कवरेज प्रदान करता है और सी बैंड में विस्तृत कवरेज खाड़ी देशों अधिकांश एशियाई देश और ऑस्ट्रेलिया को कवर करता है जी सेट का ऑर्बिट ऑपरेशनल लाइफ 15 साल से ज्यादा का है।

PSLV-C48 / RISAT-2BR1

PSLV-C48 ने सफलतापूर्वक RISAT-2BR1 और 9 वाणिज्य उपग्रहों को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस स्टेशन से लांच किया। भारत के पोलर सैटलाइट लॉन्च व्हीकल ने अपनी 50वीं उड़ान PSLV-C48, मैं पृथ्वी अवलोकन उपग्रह के साथ-साथ इजरायल इटली जापान और अमेरिका के 9 वाणिज्य उपग्रहों के साथ श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस स्टेशन से सफलतापूर्वक RISAT-2BR1 लॉन्च किया। 
RISAT-2BR1 एक राडार इमेजिंग पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है जिसका वजन 628 किलोग्राम है उपग्रह कृषि वाणी की और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करेगा इस उपग्रह का मिशन काल 5 वर्ष है

PSLV-C47 /  CARTOSET-3 MISSION :

भारत के PSLV-C47 ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से कार्टोसैट 3 और 13 वाणिज्य नैनो सेटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। कार्टोसैट 3 उपग्रह तीसरी पीढ़ी का उन्नत उपग्रह है जिसमें high-resolution इमेजिंग क्षमता है।

लांचर / प्रक्षेपण यान:

ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान:

पोलर सैटलाइट लॉन्च व्हीकल भारत की तीसरी पीढ़ी का लॉन्च व्हीकल है यह तरल चरणों से लैस होने वाला पहला भारतीय प्रक्षेपण यान है अक्टूबर 1994 में अपने पहले सफल परीक्षण के बाद पीएसएलवी जून 2017 तक 39 लगातार सफल मित्रों के साथ भारत के विश्वसनीय और बहुमुखी वर्क हॉर्स लांच वाहन के रूप में उभरा 1994 2017 की अवधि के दौरान वाहन ने विदेशों से ग्राहकों के लिए 48 भारतीय उपग्रह और 209 उपग्रह लॉन्च की है। इसके अलावा यान ने सफलतापूर्वक दो अंतरिक्ष यान 2008 में chandrayaan-1 और 2013 में मार्च ऑर्बिटल स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किया बाद में क्रमशः चंद्रमा और मंगल की यात्रा की।

GSLV MK-III :

GSLV MK-III, chandryan-2 अंतरिक्ष यान को लांच करने के लिए चुना गया है जो इसरो द्वारा विकसित एक भारी उपग्रह ले जाने वाला तीन चरण युक्त लांच वाहन है वाहन में दो ठोस स्ट्रैप ऑन एक कोर तरल बूस्टर और एक कार्य जनक ऊपरी चरण होता है। GSLV MK-III को 4 टन वर्ग के उपग्रहों को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (G T O) या लगभग 10 टन उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) मैं ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है जो GSLV MK-II की अक्षमता से लगभग 2 गुना है।

Geosynchronous satellite launch vehicle (GSLV) :

JIO SYNCHRONISED SATELLITE LAUNCH VEHICLE (GSLV MK-II) भारत द्वारा विकसित किया गया सबसे बड़ा लॉन्च व्हीकल है। जो फिलहाल कार्यशील है यह चौथी पीढ़ी का तीन चरण का लांच वाहन है जिसमें 4 तरल स्ट्रैप ऑन है स्वदेशी रूप से विकसित CARIOGENIC UPPER STAGE (CSU), GSLV MK-II का तीसरा चरण है जनवरी 2014 से वहां ने लगातार चार सफल प्रक्षेपण किए हैं।

RLV-TD (रीयूज एबल लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर)

पुणे प्रायोजक लोन चौहान प्रौद्योगिकी प्रदर्शन करता इसरो के सबसे तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण प्रयासों में से एक हैं जो अंतरिक्ष में कम लागत की पहुंच को सक्षम करने के लिए पूरी तरह से पुनः प्रयोज्य लोन चौहान के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की दिशा में काम करता है आरएलबी टीवी का विन्यास एक विमान के समान है और यह प्रक्षेपण वाहन और विमान दोनों की जटिलता का संयोग मन है भविष्य में इस वाहन को भारत के पुणे प्रयोग दो चरण वाले कक्षीय प्रक्षेपण यान के पहले चरण के रूप में बनाया जाएग

SCRAMJET ENGINE - TD

एयर ब्रेकिंग प्रोपल्शन सिस्टम की प्राप्ति के लिए इसरो के स्क्रैमजेट इंजन का पहला प्रायोगिक मिशन 28 अगस्त 2016 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
एक रैमजेट इंजन में वाहन की आगे की गति का उपयोग * करने वाले कंप्रेशन के बिना दहन के लिए आने वाली हवा को संपीड़ित करने के लिए किया जाता है यह एक वायु श्वास प्रणाली का एक प्रकार है बहन कक्ष में इंजन गरम संपीड़ित हवा के साथ मिश्रित होता है और प्रज्वलित करता है किसी भी इंजन को थ्रस्ट का उत्पादन करने के लिए एक सहायक टेक ऑफ की आवश्यकता होती है सुपर सोनिक गति पर कुशलता से काम करते हैं एक स्क्रैमजेट इंजन राम जेट इंजन प्रौद्योगिकी का एक कामचलाऊ व्यवस्था है जो हाई प्रगति पर भी कुशलता से संचालित करने के लिए और सुपर सोनिक दहन की अनुमति देता है एक स्क्रैमजेट इंजन कुशलतापूर्वक सब सोने को सुपर सोनिक कंपोस्टर मोड़ दोनों में काम कर सकता है इसलिए इसे सुपर सोनिक कॉन्बिनेशन रैमजेट या स्क्रैमजेट के नाम से पुकारा जाता है।
इसरो द्वारा डिजाइन किया गया स्क्रैमजेट इंजन हाइड्रोजन का उपयोग इंधन के रूप में और वायुमंडलीय हवा से ऑक्सीकारक के रूप में ऑक्सीजन का उपयोग करता है यह परीक्षण इसरो का स्क्रैमजेट इंजन मैक्स की गति वाली हाइपरसोनिक उड़ान के साथ इसरो की पहली छोटी अवधि का प्रायोगिक परीक्षण था इसरो का उन्नत प्रौद्योगिकी वाहन एटीवी जो एक उन्नत प्रज्ञा पी रॉकेट है सुपर सोने की स्थिति में स्क्रैमजेट इंजन का हाल ही में किए गए परीक्षण में ठोस बूस्टर रॉकेट का उपयोग किया था इसे वहन किया स्क्रीन जेट इंजन का उत्थान के समय वजन 3277 किलोग्राम था।

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