Saturday, April 9, 2022

Comparative Education in Hindi

सर्वप्रथम 1817 ई० में France के Marc-Antoine Jullien de Paris ने Comparative Education का अध्ययन किया । इन्होंने विभिन्न शैक्षिक व्यवस्थाओं के समान तथा असमान कारकों के विश्लेषण पर विशेष बल दिया था । इस तरह Comparative Education का अध्ययन 19 वी सदी अर्थात 1817 में France में शुरू हुआ । Marc-Antoine Jullien de Paris , Comparative Education को एक विज्ञान का रूप देना चाहते थे । उनके अनुसार शिक्षा एक सकारात्मक विज्ञान है ।

Antoine Jullien de Paris मैं सन 1817 ईस्वी में the plan and preliminary views for a work on comparative education प्रकाशित किया ।

Comparative Education के Father या जनक I.L. Candle है ।

George Z. F. Bereday के अनुसार " various philosophies of education based not on theories but on the actual practices which prevail"


World Council of Comparative Education की स्थापना सन् 1970 ई में हुई । America में Comparative Education Council की स्थापना 1956 में तथा Japan में Comparative Education Council की स्थापना 1964 ई में हुई| 

Comparative Education के 5 महत्वपूर्ण एवम् व्यापक उद्देश्य है ।

Comparative Education का Development 3 Steps मे हुआ ।



1. First Step प्रथम चरण

यह चरण Marc-Antoine Jullien de Paris द्वारा सन 1817 ई अर्थात 19 वी सदी में शुरू हुआ । इस चरण को अनुकरण की अवस्था कहा गया । इसमें France के Victor Cousin, England के Matthew Arnold, America के Horace Mann व Henry Barnard, Russia के Tolstoy और Konstanty Dmytrovych Ushynsky तथा Argentina के Domingo Faustino Sarmiento का नाम उल्लेखनीय रहा है । 

England के Matthew Arnold एक विद्यालय प्रशासक एवं कवि थे ।

Victor Cousin ने 1831 में प्रशा देश की शिक्षा प्रणाली का अध्ययन किया था ।

इस चरण में शिक्षा को प्रभावित करने वाले घटक सामाजिक, आर्थिक आदि परिस्थितियो पर ध्यान नही दिया जाता ।


2. Second Step द्वितीय चरण

इस चरण में शिक्षा को प्रभावित करने वाले घटक सामाजिक, आर्थिक आदि परिस्थितियो पर ध्यान दिया जाने लगा । तथा अंधानुकरण की प्रवृत्ति का त्याग किया गया । इस चरण की शुरुवात England की Sir Michael Ernest Sadler ने की । इसलिए इन्हें इस अवस्था का पिता कहा जाता है । इस चरण में Isaac candle तथा Robert uleach, Germany के Frederick Schneider, England के Josef lories तथा England के Nicholas Hans का नाम उल्लेखनीय है । इसमें  विविध घटकों और विशेषताओं का कोई निश्चित क्रम नही है ।



3. Third Step तृतीय चरण 

यह चरण 1950 ई से शुरू हुआइसे विश्लेषण का काल कहा गया । इस चरण को George ZF. Bereday Alice  ने The Period of Analysis कहा । इस चरण में विश्लेषणात्मक अध्ययन पर विशेष बल दिया । इसमें विविध घटकों और विशेषताओं का निश्चित क्रम  या क्रम बद्धता है । इस चरण में Robert uleach, Frederick Schneider तथा Isaac candle का नाम उल्लेखनीय है ।

द्वितीय और तृतीय चरण में केवल रूप का अंतर हैं । 


Comparative Education की अध्ययन विधियाँ


1. ऐतिहासिक विधि -

इस विधि में भौगोलिक, जातिय, राजनीतिक, सामाजिक, भाषागत तथा धार्मिक बातो का अध्ययन किया जाता है । इस विधि को Nicholas Hans, Frederick Schneider, Candle आदि ने विशेष महत्त्व दिया ।



2. वर्णात्मक विधि -

सर्वप्रथम इस विधि का प्रयोग 19वीं सदी में हुआ । इस विधि का वर्णन John Briscum ने किया । John Briscum America के निवासी थे । इस विधि के संबंध में America के Henry Bernard  के विचार The American General of Education  में सन 1865 से 1881 के मध्य 31 खंडों में प्रकाशित हुए |



3. विश्लेषणात्मक विधि -

समाजशास्त्रीय विधि के दोषों को दूर करने के लिए इस विधि का विकास हुआ । इस विधि में कुल चार चरण होते हैं ।



4. संश्लेषनात्मक विधि -

इस विधि के प्रतिपादक Edmund King हैं । सन 1962 ई में Edmund King ने The Background of Education नामक पुस्तक लिखी । इसका प्रयोग शैशव अवस्था में किया जाता है ।



5. समाजशास्त्रीय विधि -

इस विधि के प्रमुख समर्थक Sadler है । इसके दो प्रमुख दोष यह है की इसमें व्यक्तिगत योगदान के तथ्यों की उपेक्षा कर दी जाती है दूसरा यह देश की शिक्षा प्रणाली की निर्धारित घटनाओं पर ध्यान नहीं देती ।



6. सांख्यिकीय विधि -

इसके द्वारा देश की शिक्षा के क्षेत्र में हुई अवनति या प्रगति का पता चलता है ।


विभिन्न देशों की शिक्षा प्रणालियों में पाए जाने वाले समान व असमान तत्वों के विश्लेषण का अध्ययन शिक्षा शास्त्र के अंतर्गत किया जाता है ।

I.L. Candle ने Scool और राजनीतिक तंत्र के बीच गहरा संबंध पाया ।

America में Comparative Education Subject को शिक्षा आधार नाम से जाना जाता है ।

Hans ने Comparative Education को सैद्धांतिक रूप दिया ।

एक देश की Education System के विभिन्न घटकों का विश्लेषण विभिन्न कालों में करके उसे एक विकास क्रम के रूप में प्रस्तुत करने वाले शैक्षिक विश्लेषण को अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक विश्लेषण कहा जाता है ।

रविंद्र नाथ टैगोर के अनुसार एक दीपक दूसरे दीपक को कभी नहीं जला सकता जब तक कि वह श्वेत अपनी लौ ने जलाए रखें ।

सांख्यिकीय आयाम से किसी शिक्षा प्रणाली की उन विशेषताओं की जानकारी नहीं हो पाती जो वहां की सामाजिक सांस्कृतिक राजनैतिक तथा धार्मिक परिस्थितियों के कारण उत्पन्न होती है ।

Sir Michael Ernest Sadler ने शिक्षा में व्यवहारिक मूल्यों को सीखने पर बल दिया था ।

Comparative Education - शिक्षा के कारक एवम परंपराएं (1949) Nicholas Hans का अध्ययन कार्य है ।

A year in Europe (यूरोप में एक वर्ष), Rachel Hawthorne की रचना है ।

जीवनपर्यंत शिक्षा के विचार के लिए Jan Amos Komenský ने आवाज उठाई ।

Nicholas Hans के अनुसार "विश्व तुलनात्मक अध्ययन के लिए एक प्रयोगशाला है । "

George Z. F. Bereday ने Comparative Education के चार पद दिए - विवरण, व्याख्या, समानता, तुलना ।

Thomas Arnold के अनुसार "मैं चाहता हूं कि मेरे विद्यार्थी बहते हुए झरने से पानी पिए न कि ठहरे हुए तालाब से"

Sir Michael Ernest Sadler के अनुसार school के बाहर चीजें अधिक अर्थपूर्ण है बजाय school की आंतरिक चीजों के ।

Comparative Education ने शिक्षा का एक नया प्रत्यय दिया जिसे शिक्षा का भूमंडलीकरण कहा गया ।

संरचनात्मक कारक शिक्षा प्रणाली के स्वरूप को प्रभावित करता है ।

Nicholas Hans के अनुसार इन कार्य को प्राकृतिक धार्मिक एवं राजनैतिक का तुलनात्मक विश्लेषण ऐतिहासिक विकास की दृष्टि से करना और समस्याओं के समाधान की तुलना करना ही तुलनात्मक शिक्षा का मुख्य लक्ष्य है । Nicholas Hans ने comparative education a study of educational factors and traditions (1949) लिखा ।

Sir Michael Ernest Sadler के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली एक सजीव वस्तु है ।

C. Arnold Anderson ने शिक्षा प्रणाली के स्वरूप की अंतर सांस्कृतिक तुलना पर बल दिया था ।

I.L. Candle के अनुसार तुलनात्मक शिक्षा का उद्देश्य उन शक्तियों तथा कारणों को खोजना है जो शिक्षा प्रणाली में अंतर उत्पन्न करती है ।

Sir Michael Ernest Sadler के अनुसार सभी अच्छी एवं सच्ची शिक्षा राष्ट्रीय जीवन एवं चरित्र की ही अभिव्यक्ति है ।

Robert uleach के अनुसार जनजातीय शिक्षा सख्त परंपराओं से रूढ़ीवादी थी और आज भी किसी भी प्रकार के विचलन को हेय माना गया ।

How for can we learn anything for practical values from the study of foreign system of education , Sir Michael Ernest Sadler द्वारा लिखा गया ।

XVII World Congress of Comparative Education , cancon  (Mexico) में 20 -24 मई 2019 में आयोजित की गई ।

Comparative Education का उद्देश्य विश्वविद्यालयों की स्थापना करना नहीं है ।

Comparative Education की पहुंच जैविक नही है ।

19वीं शताब्दी में 1800 से 1833 प्रारंभिक शिक्षा के इतिहास में धर्मार्थ काल United Kingdom देश से संबंधित है ।

दर्शनिको ने बीसवीं शताब्दी में Comparative Education के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया ।

Sir Michael Ernest Sadler ने Comparative Education में Cross सांस्कृतिक तुलना पर जोर दिया ।


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