Monday, May 24, 2021

आँखों द्वारा समंजन क्या है What is accommodation by Eye | Physics

आँखों में लेंस से रेटिना की दूरी लगभग 2 cm होती है। जब हम नजदीक की वस्तु को देखते हैं, तब भी प्रतिबिंब इसी रेटिना पर बनता है और जब दूर की वस्तु देखते हैं तब भी प्रतिबिंब इसी रेटिना पर बनता है। 

सूत्र (1/v) - (1/u) = (1/f) में v का मान हर वस्तु के लिए एक जितना ही रहता है। स्पष्ट है कि अलग-अलग दूरी की वस्तुओं के लिए फोकस-दूरी f का मान अलग-अलग होगा, अर्थात लेंस की वक्रता त्रिज्याएँ अलग-अलग होगी। फोकस-दूरी को बदलने का काम आँख सिलियरी मांसपेशियों की सहायता से करती है। 

जब हम किसी दूर की वस्तु को देखते हैं, तो सिलियरी मांसपेशियाँ लगभग पूरी तरह तनावमुक्त (least strained) या कहें न्यूनतम संपीडन की अवस्था में होती हैं। इस स्थिति में लेंस कम फूला हुआ होता है, इसलिए नेत्र-लेंस की फोकस-दूरी सबसे अधिक होती है। दूर की वस्तु से आती लगभग समानांतर किरणें नेत्र-लेंस द्वारा रेटिना पर संसृत (converge) होकर वहाँ प्रतिबिंब बनाती हैं और हम दूर की वस्तु को स्पष्ट देख पाते हैं। 

जब हम किसी नजदीक की वस्तु को देखते हैं तो सिलियरी मांसपेशियाँ संपीडित (compressed) हो जाती हैं और विभिन्न प्रक्रियाओं के कारण लेंस फूल जाता है। इस स्थिति में नेत्र-लेंस की फोकस-दूरी कम हो जाती है और उस नजदीक की वस्तु का प्रतिबिंब भी उतनी ही दूरी पर स्थित रेटिना पर बनता है और हम वस्तु को स्पष्ट देख पाते हैं। फोकस-दूरी को बदलने की इस प्रक्रिया को समंजन (accommodation) कहते हैं। इस समंजन की भी एक सीमा है। आँख के लेंस की एक न्यूनतम फोकस-दूरी होती है जब वह अधिकतम फूला रह सकता है। इसलिए यदि वस्तु को आँखों के बहुत नजदीक ले आया जाए, तो हम उसका प्रतिबिंब रेटिना पर नहीं बना सकते और वह वस्तु हमें स्पष्ट नहीं दिखती। 

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